Political

२०१५ से यू.पी की एक घटना को वर्तमान योगी शासन का बता फैलाया जा रहा है |

सोशल मीडिया पर अखबार की एक कटिंग को वायरल करते हुए दावा कर रहे हैं कि यू.पी में योगी आदित्यनाथ के राज्य में बागपत क्षेत्र की एक खाप पंचायत ने दो दलित बहनों का बलात्कार करने का आदेश जारी किया है, इसके अलावा ये भी कहा गया है कि बलात्कार करने के बाद इन दलित युवतियों को निर्वस्त्र कर गाँव में घुमाने का फैसला हुआ है| अख़बार के कटिंग के शीर्षक में लिखा गया है कि “यूपी में खाप पंचायत का फरमान- दलित बेहेनों से दुष्कर्म करके निर्वस्त्र घुमाओं |

पोस्ट के शीर्षक में लिखा गया है कि “योगी जी के रामराज के बागपत में खाप पंचायत ने एक फैसला किया है, जिसमे २ दलित बहनों का रेप करने और रेप करने के बाद नंगे घुमाने का फरमान जारी किया है, दलित भाइयों बहुत-बहुत मुबारक हो आपके सपनों का भारत बहुत तेज़ी से हिन्दुराष्ट्र की तरफ बढ़ रहा है |”

फेसबुक पोस्ट 

अनुसंधान से पता चलता है कि..

जाँच की शुरुवात हमने इस उपरोक्त खबर को गूगल पर सर्च करने से की, जिसके परिणाम में हमें १९ अगस्त २०१५ को प्रकाशित नवभारत टाइम्स की इस सम्बन्ध में एक खबर मिली | इस खबर के शीर्षक में लिखा गया है कि “यूपी में खाप पंचायत का फरमानः दलित बहनों का रेप कर नंगा घुमाओ |” इससे हम स्पष्ट हो सकते है कि सोशल मीडिया पर वायरल अख़बार की कटिंग लगभग ५ साल पुरानी है |

आर्काइव लिंक

इसके आलावा हमें बागपत पुलिस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट द्वारा जारी किया गया इस सम्बन्ध में एक ट्वीट प्राप्त हुआ | ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि “वर्ष 2015 की उक्त पुरानी न्यूज़ के द्वारा अफवाह फैलाने के संबंध में कार्यवाही हेतु पुलिस अधीक्षक बागपत द्वारा थाना प्रभारी खेकड़ा को अभियोग पंजीकृत करने के निर्देश जारी किए हैं |”

आर्काइव लिंक 

इसके पश्चात हमने यह ढूँढा की २०१५ को यूपी में किसकी सरकार थी, हमें यह ज्ञात हुआ की २०१५ में उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा की सरकार थी | ५ मार्च २०१२ से लेकर १९ मार्च २०१७ तक यूपी में सपा के अखिलेश यादव की सरकार थी | इसके बाद १९ मार्च २०१७ को योगी आदित्‍यनाथ ने यूपी के मुख्‍यमंत्री के पद की जिम्‍मेदारी ली थी |

निष्कर्ष: तथ्यों के जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर उत्तर प्रदेश से है परन्तु ये एक पुरानी घटना है जो कि २०१५ से है | यह प्रकरण योगी आदित्यनाथ के शासनकाल का नहीं अपितु अखिलेश यादव के शासनकाल का है| 

Title:२०१५ से यू.पी की एक घटना को वर्तमान योगी शासन का बता फैलाया जा रहा है |

Fact Check By: Aavya Ray

Result: False

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