
लगभग एक महीने से दिल्ली के आसपास चल रहे किसान आंदोलनों के चलते इंटरनेट पर कई तस्वीरें व वीडियो गलत दावों के साथ वायरल होते चले आ रहे है। ऐसे कई फर्जी व भ्रामक दावों का अनुसंधान फैक्ट क्रेसेंडो करता चला आ रहा है। वर्तमान में सोशल मंचों पर एक तस्वीर काफी चर्चा में है व इस तस्वीर को किसान आंदोलन के दौरान हो रहे भूख हड़ताल से जोड़ साझा किया जा रहा है, तस्वीर में हम केसरी रंग की पगड़ी पहने हुए एक सिख बुज़ुर्ग को बिस्तर पर लेटे हुए देख सकते है। तस्वीर के साथ जो दावा वायरल हो रहा है उसके मुताबिक यह तस्वीर बापू सूरत सिंह नामक एक शख्स की है, जो किसानों के समर्थन में भूख हड़ताल कर रहे है।
वायरल हो रहे पोस्ट के शीर्षक में लिखा है,
“#बापूसूरतसिंह…ने अपनी #किसान क़ौम के लिए अन्न जल त्याग दिए जनता अब भी साथ नहीं आइ तो आने वाले समय में उपवास जनता को करना होगा। #मर_रहा_किसान_जागो_प्रधान #farmersrprotest।”
अनुसंधान से पता चलता है कि…
फैक्ट क्रेसेंडो ने पाया कि बापू सूरत सिंह वर्ष 2015 से सिख राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए भूख हड़ताल कर रहे है, ये वे कैदी हैं जिनकी अदालती सजा तो पूरी हो चुकी है पर अभी तक उनकी रिहाई नहीं है।
जाँच की शुरुवात हमने वायरल हो रही तस्वीर को गूगल रीवर्स इमेज सर्च कर की, परिणाम में हमें कई लेख मिले जिनमें इस तस्वीर को प्रकाशित किया गया था। इंटरनेट पर एक लेख के मुताबिक बापू सूरत सिंह एक मानवाधिकार कार्यकर्ता है जो वर्ष 2015 से भूख हड़ताल कर रहे है। वे सिख राजनीतिक कैदियों, जिनकी अदालती सज़ा पूरी हो चुकी है पर जो फिर भी जेलों में हैं, उनकी रिहाई के लिए भूख हड़ताल कर रहे है।
इसके पश्चात हमने अधिक कीवर्ड सर्च किया तो हमें विकिपिडिया पर बापू सूरत सिंह के बारे में पूरी जानकारी मिली।
उपरोक्त लेख में लिखा है,
16 जनवरी 2015 को, सूरत सिंह खालसा ने भूख हड़ताल शुरू की जो अभी भी जारी है। उन्होंने सिख राजनीतिक कैदियों, जिन्होंने अपनी अदालती सजा पूरी कर ली है, की रिहाई के लिए भोजन और पानी लेने से इनकार कर दिया है। जहां वह सिख राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग कर रहे हैं, उन्होंने उन सभी धर्मों के कैदियों की बिना शर्त रिहाई की भी मांग की है, जिन्होंने अपनी सज़ा पूरी की है।
इसके बाद इंटरनेट पर अधिक कीवर्ड सर्च करने पर हमें 8 जुलाई 2020 को प्रकाशित किया हुआ एक समाचार लेख मिला जिसमें लिखा था कि इस वर्ष 7 जुलाई को सूरत सिंह खालसा की भूख हड़ताल के 2000 दिन पूरे हो चुके है। इस लेख के मुताबिक जुलाई में वे लुधियाना के डी.एम.सी अस्पताल में भर्ती थे।
इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए हमने लुधियाना की ए.डी.सी.पी (इनवेस्टिगेशन) रुपिंदर कौर भट्टी से संपर्क किया तो उन्होंने हमें स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि,
“वायरल हो रही खबर सरासर गलत व भ्रामक है। बापू सूरत सिंह खालसा की भूख हड़ताल जारी है परंतु उसका किसी भी किसान आंदोलन से कोई संबद्ध नहीं है। उनकी भूख हड़ताल का कारण अलग है। वे सिख कैदियों की रिहाई के लिए भूख हड़ताल कर रहे हैं। हमें अभी तक कहीं से भी ऐसी जानकारी नहीं मिली है जिसके मुताबिक सूरत सिंह किसानों के लिए भूख हड़ताल कर रहे है।“
अधिक जानकारी के लिए हमने यूट्यूब पर कीवर्ड सर्च किया तो हमें डी 5 चैनल पंजाबी के आधिकारिक चैनल पर बापू सूरत सिंह खालसा का 29.29 मिनटों का एक इंटरव्यू का वीडियो मिला। यह वीडियो 1 जनवरी 2020 को प्रसारित किया हुआ है, जिसमें वे अपने इस सत्याग्रह व अन्न जल त्यागने के कारणों को बताते हुये देखे जा सकते हैं ।
निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने पाया है कि उपरोक्त दावा आंशिक रुप से गलत है। बापू सूरत सिंह वर्ष 2015 से भूख हड़ताल पर हैं पर उनकी ये भूख हड़ताल उन सिख राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए है, जिनकी अदालती सजा पूरी हो चुकी है। उनकी भूख हड़ताल का किसान आंदोलन से कोई संबद्ध नहीं है।
फैक्ट क्रेसेंडो द्वारा किये गये अन्य फैक्ट चेक पढ़ने के लिए क्लिक करें :
१. २०१३ की लंदन में ली गई एक तस्वीर को वर्तमान किसान आंदोलन का बता फैलाया जा रहा है |

Title:बापू सूरत सिंह की भूख हड़ताल का किसान आंदोलन से कोई सम्बन्ध नहीं है
Fact Check By: Rashi JainResult: Partly False
