सोशल मीडिया पर एक घायल बच्चे के १० सेकंड की क्लिप को साझा करते हुए दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो उत्तर प्रदेश के वाराणसी से है जहाँ पुलिस ने मस्जिद में पढ़ने जाने वाले मुसलमान बच्चों को बर्बरता से पीटकर घायल किया है | साथ ही कहा जा रहा है कि ये भारत के मुसलमान समुदाय का हाल है जहाँ उनके साथ इतनी बेरेहेमी से व्यवहार किया जाता रहा है | इस वीडियो को फेसबुक पर भी काफी तेजी से फैलाया जा रहा है |
अनुसंधान से पता चलता है कि..
जाँच की शुरुवात हमने इस वीडियो के सम्बंधित जानकरी प्राप्त करने से की, हमने उत्तर प्रदेश वाराणसी पुलिस के एस.एस.पी प्रभाकर चौधरी जी से संपर्क किया, उन्होंने हमें बताया कि
“वायरल वीडियो का वाराणसी से कोई संबंध नहीं है | इस वीडियो को गलत दावे के साथ फैलाने वालें के खिलाफ उचित न्यायिक कार्यवाही की जा रही है | इस बारे में वाराणसी पुलिस की तरफ से एक स्पष्टीकरण जारी किया जा चुका है |”
वाराणसी पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल द्वारा अपलोड किये गये स्पष्टीकरण को आप नीचे देख सकते है | इस स्पष्टीकरण में लिखा गया है कि यह वीडियो काफी पुराना है और जनपद वाराणसी से संबंधित नही है |
इसके पश्चात हमने उपरोक्त वीडियो से संबंधित ख़बरों को कीवर्ड्स के माध्यम से ढूँढा, जिसके परिणाम से हेमन हिंदी टाइम्स न्यूज़ द्वारा प्रसारित एक खबर मिली | इस खबर के शीर्षक में लिखा गया है कि
“बिजनौर | जलालाबाद पुलिस ने मासूम बच्चों को भी नही बख़्शा |” यह वीडियो २८ दिसंबर २०१९ को अपलोड किया गया था | वीडियो के विवरण में लिखा गया है कि “जलालाबाद में उपद्रव के दौरान मासूम बच्चों को भी नहीं बख्शा गया था | इन मासूम बच्चों के अलावा लोगों ने भी पुलिस पर मासूम बच्चों पर लाठीचार्ज करने का आरोप लगाया है। लाठी चार्ज के शिकार बच्चो ने मीडिया कर्मियों को बताई खुद अपनी कहानी | दरअसल २० दिसंबर २०१९ को जुमे के बाद जलालाबाद में उपद्रव हुआ था | जिसमें पत्थराव से २ पुलिसकर्मी भी घायल हो गए थे | पुलिस ने इस मामले में दो मुकदमे पंजीकृत किए थे जिसमें ३०७ और ७ क्रिमिनल एक्ट सहित संगीन धाराओं को शामिल किया गया था | मुकदमा दर्ज होने से जलालाबाद में सन्नाटा पसर गया था इस मामले में पुलिस ने एक दर्जन नामजद लोगों को पकड़ कर जेल भेजा था | घटना के बाद पुलिस की दबिश से लोगों में दहशत का माहौल देखने को मिला |”
निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | सोशल मीडिया पर वायरल घटना न तो हालिया है और न ही वाराणसी जनपद से संबंधित है |
Title:२०१९ के एक पुराने वीडियो को हाल में हुई घटना बता सांप्रदायिक रंग फैलाया जा रहा है |
Fact Check By: Aavya RayResult: False
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