२८ सितम्बर २०१९ को फेसबुक पर ‘हिंद के मुसलमानों कि आवाज़’ द्वारा किये गये एक पोस्ट में एक तस्वीर साझा की गयी है, जिसमे एक युवक बहुत बुरी तरह घायल दिख रहा है | पोस्ट के विवरण में लिखा है कि, “ बिहार: महुआ में आतंकी भीड़ ने एक और मुस्लिम शिक्षक अबु कामिल को बुरी तरह पीटा, पीटने के बाद मरा हुआ समझकर कामिल को फेंक दिया था, मगर कामिल ज़िंदा हैं !!! इस खूनी आतंकी भीड़ के आतंक को रोकने के लिऐ न सरकार के पास नियत है, ना कोई कानून है, ना अदालत है, ना संविधान है, ना कोई सज़ा है !” इस पोस्ट में यह दावा किया जा रहा है कि – ‘तस्वीर में दिखाये गए युवक को बिहार के महुआ गांव में मुसलमान होने के वजह से बेरहमी से पीटा गया |’ क्या सच में ऐसा है ? आइये जानते है इस पोस्ट के दावे की सच्चाई |
सोशल मीडिया पर प्रचलित कथन:
अनुसंधान से पता चलता है कि…
हमने सबसे पहले इस तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च में ढूंढा, तो हमें GTVnews नामक एक वेबसाइट पर इस तस्वीर से सम्बंधित एक ख़बर प्रकाशित मिली | इस ख़बर के मुताबिक तस्वीर में दिखने वाले युवक का नाम शादाब है, जो महुआ के स्थायी निवासी है और हाजीपुर में पढ़ने जाते हैं | शादाब को कुछ लोगों ने घेरकर काफ़ी पीटा और फिर एक सुनसान जगह पर छोड़ दिया | वहाँ कुछ दलित समाज के लोगों ने इसे फिर से मरने की कगार तक पीटा व इसके बेहोश होने पर इसे मरा हुआ समझ कर छोड़कर चले गए | इसके पश्चात जबतक पुलिस मौके पर पहुँचती, तब तक शादाब को कंकड़बाग में नोबेल हॉस्पिटल में इलाज के लिए भर्ती कराया जा चुका था |
हमने इस घटना के बारे में जानकारी के लिए जब महुआ थाना से संपर्क किया, तो थाने के मुंशी ने हमें बताया कि यह घटना उनके इलाके में नहीं घटी थी, बल्कि यह घटना साराई थाना में दर्ज है |
इसके बाद हमने सराई थाना के SHO धरमजीत महतो से संपर्क किया, उन्होंने हमें बताया कि, “यह घटना २१ अगस्त की है | शादाब उर्फ़ अबू कामिल कंप्यूटर पढ़ाने हाजीपुर गया था और वापिस आते वक़्त उसने एक कार से लिफ्ट ली थी | उस कार के चालाक ने इसे नशीला पदार्थ खिलाकर बेहोश कर दिया व इसके पास से सब कुछ चोरी कर लिया | फिर उसे उस नशे की हालत में एक सुनसान इलाके के रस्ते में फेंक दिया था | वहाँ से एक राहगीर उसे सराई ले आया | लोगों को उसकी हालत देख शक हुआ कि ये एक चोर है और इसी भ्रम में उसे पीटने लगे | इस घटना पर प्राथमिकी क्र. ३४२/१९, IPC के तहद धारा ३४१, ३४२, ३२३, ३२४, ३०७, ३७९, ५०४, ३४ दर्ज की गयी है | जिन दो लोगों ने इस अफवाह को शुरू किया था, उन्हें गिरफ़्तार भी किया गया है व कार्रवाही भी चल रही है | यह घटना सिर्फ़ एक गलतफ़हमी और अफवाह की वजह से हुई थी और इस घटना में जाती या धर्म का कोई भी संबंध नहीं है |”
इसके बाद हमने सादाब उर्फ़ अबू कामिल के बड़े भाई अभू घुलाम सरबर से संपर्क किया जिनका सम्पर्कसूत्र हमें पुलिस से मिला, उन्होंने बताया कि, “शादाब अभी पटना मेडिकल कॉलेज में भर्ती है और उसका इलाज चल रहा है | २१ तरीक को शादाब कंप्यूटर की कोचिंग देकर वापिस आ रहा था | रास्ते में एक कार से उसने लिफ्ट मांगी | कार के ड्राईवर ने उसे खाने में नशीला पदार्थ मिलाकर दिया, जिससे वह बेहोश हो गया था | जब होश आया तो वो एक सुनसान जगह पर पड़ा हुआ था व उसके पास से उसका सब कुछ चोरी हो चुका था | एक राहगीर ने उसे अपने बाइक पर पास के गांव (सराई) में छोड़ दिया | नए इलाके में इस हालात में घूमने की वजह से दो लोगों ने शक़ के दायरे में आकर इसे चोर समझा और भीड़ को जमा कर के इसे मारने लगे | नशे में होने के वजह से शादाब सही तरीके से जवाब भी नहीं दे पा रहा था | जब तक पुलिस वहाँ पहुंची, तब तक शादाब बहुत ज़्यादा ज़ख़्मी हो गया था | इसके बाद उन दो युवकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी है और जिस व्यक्ति ने चोरी की, उसे भी ढूँढने का प्रयत्न किया जा रहा है | यह बहुत दुखद घटना घटी है | अगर लोगों को शक आया तो उसे पुलिस के हवाले कर देते, मारने की क्या ज़रुरत थी ?”
इस घटना पर हमें ‘हमारा बिहार’ पर प्रकाशित एक ख़बर मिली | इस ख़बर को पूरा पढने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें |
HumarabiharPost | ArchivedLink
इस अनुसंधान से यह बात स्पष्ट होती है कि उपरोक्त पोस्ट में दर्शायी गयी घटना का सांप्रदायिक हिंसा से कोई संबंध नहीं है | तस्वीर में दिखाया गया व्यक्ति दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति व हालात का शिकार हो गया था | यह तस्वीर गलत विवरण के साथ लोगों को भ्रमित करने के उद्देश्य से फैलायी जा रही है |
जांच का परिणाम : उपरोक्त पोस्ट मे किया गया दावा “तस्वीर में दिखाया गये युवक को बिहार के महुआ गांव में मुसलमान होने की वजह से बेरहमी से पीटा गया |” ग़लतहै |
Title:दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में फँसे युवक को चोर समझ कर पीटने की घटना को साम्प्रदायिक हिंसा बताकर फैलाया जा रहा है |
Fact Check By: Natasha VivianResult: False
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