२५ नवम्बर २०१९ को फेसबुक पर ‘कनक मिश्र’ द्वारा किये गये एक पोस्ट में एक तस्वीर साझा की गयी है | पोस्ट के विवरण में लिखा है कि, “दिल्ली की JNU के गरीब छात्र भगवा का विरोध करते हुए !” इस पोस्ट में यह दावा किया जा रहा है कि – ‘तस्वीर में दिखने वाले युवक और युवती JNU के विद्यार्थी है, जो भाजपा का विरोध कर रहें हैं |’ क्या सच में ऐसा है ? आइये जानते है इस पोस्ट के दावे की सच्चाई |
सोशल मीडिया पर प्रचलित कथन:
अनुसंधान से पता चलता है कि…
हालही में JNU के विद्यार्थी अपने विरोध के लिए काफ़ी सुर्खियाँ बटोर रहें हैं | कुछ सच घटनाएँ है और कुछ सिर्फ़ अफवाह या गलत दावे से सोशल मिडिया पर प्रचलित हो रहे हैं | ऐसीही एक तस्वीर JNU के नाम से सोशल मीडिया पर वाइरल हो रही है |
हमने इस तस्वीर की सच्चाई के बारे में जानकारी के लिए सबसे पहले इस तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च पर ढूंढा, तो हमें २५ नवम्बर २०१९ को Hindi.news18 नामक समाचार वेबसाइट पर यह तस्वीर प्रकाशित मिली | इस ख़बर के अनुसार यह तस्वीर २४ नवम्बर २०१९ को दिल्ली में आयोजित ‘दिल्ली कुईर प्राइड परेड’ में खींची गयी थी, जिसका मूल मुद्दा संसद द्वारा प्रस्तावित Transgender Persons (Protection of Rights) Bill, 2019 के विरोध में था |
Hindi.news18Post | ArchivedLink
इस संशोधन से इस बात की पुष्टि होती है कि यह तस्वीर JNU के विरोध की नहीं है, बल्कि ट्रांसजेंडर बिल के के लिए ‘दिल्ली कुईर प्राइड परेड’ की है |
इसके बाद हमने JNU के स्टूडेंट यूनियन के सदस्य अक्षत सेठ से संपर्क किया उन्होंने हमें बताया की इस तस्वीर का JNU के वर्तमान विरोध प्रदर्शन से कोई सम्बन्ध नहीं है | इसके पश्चात् हमने इस प्रदर्शन से जुड़े लोगों के बारे में जानने की कोशिश की, हमें इस प्रदर्शन के आयोजक (नाम गोपनीय रखने की दरख्वास्त की गयी है) का पता चला व उनसे हमारी बात हुई, उन्होंने हमें बताया कि “यह तस्वीर २४ नवम्बर २०१९ को दिल्ली के ललित होटल से शुरू की गयी ‘दिल्ली कुईर प्राइड परेड’ के वक़्त की है | तस्वीर में दिखने वाले दोनों व्यक्ति JNU के विद्यार्थी भी नहीं है | यहाँ इस ‘दिल्ली कुईर प्राइड परेड’ में कई लोग आते हैं, जो हमारे साथ एक जुट होकर LGBTQ समुदाय के प्रति अपना समर्थन देते हैं | रेनबो-LGBTQ समुदाय का प्रतीत है | हाथ में पकड़े हुए पोस्टर में जो लिखा है (Rainbows over Saffron. Resist Definition and Fascism.) यह सांप्रदायिक हिंसा, राजनितिक मतभेद, फ़ैसिस्टवाद, राम मंदिर मुद्दा जैसा हर एक मुद्दा जो हमारे समाज को नष्ट कर रहा है-इन सबके विरोध में लिखा है | समाज सबके सामान अधिकार के लिए है, जिसमें कोई राजनीति, फ़ैसिस्टवाद या साम्प्रदायिक हिंसा की कोई जगह ना रहे |”
इसके अलावा हमने इस ‘दिल्ली कुईर प्राइड परेड’ में भाग लेने वाले एक और व्यक्ति से भी संपर्क किया | राहुल गर्ग नामक युवक ने हमें २४ नवम्बर २०१९ को दिल्ली में आयोजित इस ‘दिल्ली कुईर प्राइड परेड’ के बारे में बताया कि, “‘प्राइड मार्च’ २००८ से हर साल आयोजित किया जाता है | यह मार्च ट्रांसजेंडर लोगों के हक के लिए किया जाता है और इस साल इस मार्च का उद्देश्य संसद द्वारा Transgender Persons (Protection of Rights) Bill, 2019 के विरोध में था | इस परेड के मूल मुद्दे के प्रति हम अपने मत को शांतिपूर्व रूप से रख प्रदर्शन करते हैं |”
हमने जब गूगल पर इस परेड के बारे में ‘pride march delhi 2019’ कीवर्ड्स से ढूंढा, तो हमें इस परेड पर कई ख़बरें प्रकाशित मिली | इन ख़बरों के अनुसार, इस साल आयोजित ‘दिल्ली कुईर प्राइड परेड’ का मूल मुद्दा ‘Transgender Persons (Protection of Rights) Bill, 2019’ के विरोध में था | संसद द्वारा जारी किये गए इस बिल में कई बातें स्पष्ट रूप में वर्णित नहीं है, जिसपर LGBTQ सामुदाय ने शांतिपूर्ण विरोध किया था | इन ख़बरों को पूरा पढने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें |
इस अनुसंधान से यह बात स्पष्ट होती है कि उपरोक्त पोस्ट में साझा तस्वीर का JNU विद्यार्थियों की नहीं है | यह तस्वीर २४ नवम्बर २०१९ को दिल्ली में आयोजित ‘दिल्ली कुईर प्राइड परेड’ की है, जहां ट्रांसजेंडर (प्रोटेक्शन ऑफ़ राइट्स) बिल के खिलाफ विरोध किया गया था | इस तस्वीर को गलत विवरण के साथ लोगों को भ्रमित करने के उद्देश्य से फैलाया जा रहा है |
जांच का परिणाम : उपरोक्त पोस्ट मे किया गया दावा “तस्वीर में दिखने वाले युवक और युवती JNU के विद्यार्थी है |” ग़लत है |
Title:दिल्ली में २४ नवम्बर २०१९ को आयोजित ‘दिल्ली कुईर प्राइड परेड’ की तस्वीर को JNU से जोड़कर फैलाया जा रहा है |
Fact Check By: Natasha VivianResult: False
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