१९ अगस्त २०१९ को फेसबुक पर ‘Sanju Jannat’ नामक फेसबुक यूजर ने एक वीडियो साझा किया है, इस वीडियो को २ अलग-अलग वीडियो व ९ तस्वीरें को जोड़कर बनाया गया है| वीडियो देखने से लगता है कि लोगों पर अत्याचार हो रहा है | इस पोस्ट के विवरण में लिखा है कि, “कश्मीर और कश्मीरियों के हालात…. पता नही भारतीय मीडिया को ये दर्द क्यु नही दिखता…।” इस पोस्ट के माध्यम से यह दावा किया जा रहा है कि, ‘यह वीडियो कश्मीर में हुई बर्बरता की व्यथा दर्शाता है जिसे मीडिया छुपा रही है |’
क्या सच में ऐसा है ? आइये जानते है इस पोस्ट के दावे की सच्चाई |
सोशल मीडिया पर प्रचलित कथन:
अनुसंधान से पता चलता है कि…
उपरोक्त साझा वीडियो में २ वीडियो और ९ तस्वीरें दी गयी है | इनको हमने जब InVid Tool की मदद से अलग करके ढूंढा, तो मिले परिणाम आप नीचें देख सकतें हैं|
पहला वीडियो : ००:०० से ००:२४ सेकंड तक : गूगल रिवर्स इमेज सर्च
इस अनुसंधान में हमें YouTube पर २१ अक्टूबर २०१८ को JKNN JAMMU KASHMIR NATION NEWS द्वारा अपलोड किया गया एक वीडियो मिला | इस वीडियो के विवरण में लिखा है कि : (हिंदी अनुवाद) : ‘कुलगाम में सात लोगों की मौत | श्रीनगर, २१ अक्तूबर (जीएनएस): दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में एक और की मौत के साथ नागरिकों की मौत का आंकड़ा बढ़कर सात हो गया है | आधिकारिक सूत्रों ने नागरिक की पहचान कुलगाम के माखनपोरा के गुल मोहम्मद के बेटे अकीब अहमद शेख के रूप में की है | उन्होंने कहा कि आकिब की मुठभेड़ स्थल के पास मृत्यु हो गई थी और वह शुरुआती हताहतों में से था | उनकी मौत के साथ, कुलगाम में मृत लोगों का आंकड़ा सात पर पहुँच गया है, जहां तीन स्थानीय आतंकवादी मारे गए थे और लारू गांव में गोलाबारी में सैनिक घायल हो गए थे | मुठभेड़ स्थल के पास विस्फोट में नागरिकों की मौत हो गई, जबकि अन्य लोग प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए सरकारी बलों द्वारा गोलीबारी में मारे गए | सेना और एसओजी की संयुक्त टीम द्वारा रविवार को लारू गांव में घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू करने के बाद मुठभेड़ शुरू हो गई | (GNS)’
जब हमने गूगल पर ‘7 civilians killed in kulgam’ की-वर्ड्स से ढूंढा, तो हमें यह घटना २१ अक्तूबर २०१८ को समाचार पत्रिकाओं के प्रकाशन मिले, जिसके मुताबिक जब कश्मीर में कुलगाम जिले के लारू इलाके में आतंकवादी और सुरक्षा बालों के बीच हुई मुठभेड में जैश-ए-मोहम्मद के ३ सदस्य मारे गए | मगर आतंकवादियों द्वारा किये गए बमबारी के दौरान ७ आम नागरिक मारे गए और कई सैनिक व आम नागरिक घायल भी हो गए थे | इस घटना पर राज्यपाल के सलाहकार के. विजय कुमार, और डीजीपी दिलबाग सिंह ने भी मुठभेड़ स्थल पर नागरिक जीवन की क्षति पर खेद व्यक्त किया और शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की थी | पूरी ख़बरों को पढने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें |
TOIPost | ArchivedLink | HTPost | ArchivedLink | BSPost | ArchivedLink |
वीडियो में दी गयी तस्वीरें :
पहली तस्वीर : १८ अगस्त २०१६ : गूगल रिवर्स इमेज सर्च : ArchivedLink
Avax.News ने १९ अगस्त २०१६ को कश्मीर में हफ़्तों से चल रहे हिंसा और दंगो में आहत लोगों की तस्वीरें साझा की थी | यह तस्वीर उनमें से एक है |
दूसरी तस्वीर : २००९ : गूगल रिवर्स इमेज सर्च : ArchivedLink
KashmirLife नामक वेबसाइट ने २० जनवरी २०१४ को एक ख़बर प्रकाशित की जिसमें यह तस्वीर दी गयी थी | २००९ को श्रीनगर में किशोर(नाबालिक) बंदियों के साथ आई.जी.पी एसएम सहाय, एस.एस.पी आशिक बुखारी और डी.आई.जी एजी मीर की तस्वीर|
तीसरी तस्वीर : १२ मई २००९ : गूगल रिवर्स इमेज सर्च : ArchivedLink
Sweetneha नामक एक वेबसाइट पर हमें १२ मई २००९ को प्रकाशित कुछ तस्वीरें मिली, जिनमे यह तस्वीर भी दी गयी थी |
हालाँकि यह तस्वीर कहां की है इसकी पुष्टि नहीं हो पायी, मगर यह तस्वीर कश्मीर की वर्तमान स्थिति को नहीं दर्शाती है, यह तस्वीर २००९ से इन्टरनेट पर कश्मीर के नाम से मौजूद है |
चौथी तस्वीर : २ फ़रवरी २०११ : गूगल रिवर्स इमेज सर्च : ArchivedLink
Nasir-khan.blogspot.com नामक एक वेबसाइट पर हमें २ फ़रवरी २०११ को प्रसारित कुछ तस्वीरें मिली, जिनमे यह तस्वीर भी दी गयी थी और कश्मीर का बताया गया है |
हालाँकि यह तस्वीर कहां की है इसकी पुष्टि नहीं हो पायी, मगर यह तस्वीर कश्मीर की वर्तमान स्थिति को नहीं दर्शाती है, यह तस्वीर २०११से इन्टरनेट पर कश्मीर के नाम से मौजूद है |
पांचवी तस्वीर : १५ अप्रैल २०१६ : यांडेक्स इमेज सर्च : ArchivedLink
Kartarpur.com नामक एक वेबसाइट पर हमें १५ अप्रैल २०१६ को प्रकाशित कुछ तस्वीरें मिली, जिनमे यह तस्वीर भी दी गयी थी और भारत की कही गई है |
हालाँकि यह तस्वीर कहां की है इसकी पुष्टि नहीं हो पायी, यह तस्वीर २०१६ से इन्टरनेट पर भारत के नाम से मौजूद है |
छटवी तस्वीर : २ फ़रवरी २०११ : गूगल रिवर्स इमेज सर्च : ArchivedLink
Sudhan.wordpress.com नामक एक वेबसाइट पर हमें २ फ़रवरी २०११ को प्रकाशित कुछ तस्वीरें मिली, जिनमे यह तस्वीर भी दी गयी थी और कश्मीर की बताई गई है | यह तस्वीर २०११ से इन्टरनेट पर कश्मीर के नाम से मौजूद है |
सातवी तस्वीर : ९ मार्च, २०११ : गूगल रिवर्स इमेज सर्च : ArchivedLink
Catchnews में १४ फ़रवरी २०१७ में छापी ख़बर के अनुसार यह तस्वीर २०११ में तब के लखनऊ के DIG डी. के. ठाकुर की है, जो आनंद भदौरिया को मारते हुए दिख रहे है | इस तस्वीर के संदर्भ में अधिक खबरें ढूँढने पर हमें इंडियन एक्सप्रेस की खबर मिली, जिसके अनुसार यह घटना ९ मार्च, २०११ को हुई थी | समाजवादी पार्टी का फ्रंटल संगठन लोहिया वाहिनी के अध्यक्ष आनंद सिंह भदौरिया के सिर पर लखनऊ के तत्कालीन डीआईजी डी. के. ठाकुर जुते से पैर रखा था |
आठवी तस्वीर : ३१ मार्च २००९ : गूगल रिवर्स इमेज सर्च : ArchivedLink
Nasir-khan.blogspot.com नामक एक वेबसाइट पर हमें ३१ मार्च २००९ को प्रकाशित कुछ तस्वीरें मिली, जिनमे यह तस्वीर भी दी गयी थी और कश्मीर का बताया गया |
यह तस्वीर २००९ से इन्टरनेट पर कश्मीर के नाम से मौजूद है |
नौंवी तस्वीर : २ फ़रवरी २०११ : गूगल रिवर्स इमेज सर्च : ArchivedLink
Nasir-khan.blogspot.com नामक एक वेबसाइट पर हमें २ फ़रवरी २०११ को प्रकाशित कुछ तस्वीरें मिली, जिनमे यह तस्वीर भी दी गयी थी और कश्मीर का बताया गया है |
इस बात की पुष्टि अभी तक नहीं हो पायी है कि यह तस्वीर कहां की है, मगर यह तस्वीर २०११ से इन्टरनेट पर कश्मीर के नाम से मौजूद है |
दूसरा वीडियो : ०१:१० से ०१:४० सेकंड तक : फैक्ट चेक लिंक
यह वीडियो अक्टूबर २०१७ को झारखंड के खूंटी जिले में हुये एक मॉक ड्रिल का है और इसका कश्मीर से कोई सम्बंध नहीं है|
इस अनुसंधान से यह बात स्पष्ट होती है कि पोस्ट में साझा वीडियो मे दर्शाए गए वीडियो व तस्वीरें पुरानी घटित वारदातों की है और विभिन्न शहरों की है, सिर्फ़ कश्मीर की नहीं | वर्तमान में इन वीडियो व तस्वीरों का कश्मीर की मौजूदा स्थिति से कोई संबंध नहीं है | जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद ३७० के हटने पर कई पुराने वीडियो व तस्वीरें वर्तमान का बताकर गलत विवरण के साथ लोगों को भ्रमित करने के उद्देश्य से फैलाया जा रहा है |
जांच का परिणाम : उपरोक्त पोस्ट मे किया गया दावा ‘यह वीडियो में कश्मीर की स्थिति दर्शायी गयी है जो मीडिया छुपा रही है |’ ग़लत है |
(UPDATE : फैक्ट क्रेसेंडो द्वारा 10 जनवरी 2020 को किये गए फैक्ट चेक में सातवी तस्वीर दरअसल लखनऊ की है, यह साबित हुआ | पहले हमने यह तस्वीर दिल्ली की बताई थी | नई जानकारी सामने आने पर हमने इस आर्टिकल में सुधार किया है |)
Title:विभिन्न शहरों की पुरानी वारदातों को जोड़कर एक वीडीयो के जरिये कश्मीर की वर्तमान स्थिति बताकर फैलाया जा रहा है |
Fact Check By: Natasha VivianResult: False
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