१ अप्रैल २०१९ को फेसबुक पर Kundan Yadav नामक एक यूजर द्वारा साझा की गई यह पोस्ट काफी चर्चा में है | पोस्ट में एक न्यूज़ पेपर के कटिंग जैसा दिखने वाला फोटो दिया गया है, जिसका हैडलाइन है- चोरी और मुनाफाखोरी देश के बनियों की आदत :अमित शाह। पोस्ट में भी इसी तरह की बातें लिखी है | साथ में दो बॉक्स है, जिनके हैडलाइन है- विदेशी निवेश से लोकल व्यापारियों का होगा सफाया तथा मोदी ने भी व्यापारियों को बताया था चोर | पोस्ट के विवरण में लिखा है– “वैश्य समाज के सभी लोगों को वोट डालने से पहले इस न्यूज़ को पढ़ कर सोचना जरूर चाहिए”
चुनावी माहौल के दौरान अमित शाह द्वारा इस तरह की बात किसी चुनावी सभा में कही जाए, यह बात मुमकिन नहीं लगती |
फैक्ट चेक किये जाने तक इस पोस्ट को २०० से ज्यादा प्रतिक्रियाएं मिल चुकी है | आइये जानते है इसकी सच्चाई |
आपको बता दें की कुछ दिन पहले राहुल गांधी के बारे में भी इसी तरह का एक पोस्ट वायरल हुआ था | इस पोस्ट में भी हैडलाइन यही थी, बस अमित शाह के जगह राहुल गांधी का नाम लिखा हुआ था | न्यूज़ की भाषा भी तक़रीबन सरीखी है | यह पोस्ट आप नीचे की स्क्रीन शॉट पर देख सकते है तथा इस फेसबुक लिंक पर चेक भी कर सकते है |
संशोधन से पता चलता है कि…
सबसे पहला सवाल तो इस न्यूज़ पेपर के कटिंग जैसे दिखने वाला फोटो की सत्यता पर ही खड़ा होता है, की क्या वाकई यह कोई न्यूज़ पेपर में छपी खबर है? जब हमने इस बारे में छानबीन की तो पता चला की एक खबर को प्रकाशित करने के प्रकाशनों के अपने कुछ तय मापदंड होते है, जैसे की डेटलाइन | डेटलाइन खबर के शुरुआत में ही होती है जहाँ संवाददाता का नाम या उसका पदनाम, शहर का नाम, तारीख या वार जैसी जानकारी होती है | हालाँकि अलग अलग प्रकाशनों का अपना अलग स्टाइल होता है, मगर संवाददाता का नाम या उसका पदनाम और शहर का नाम तो लगभग सभी प्रकाशनों की खबर के शुरुआत में होता है | लेकिन जब हम इस खबर को देखते है, तो पता चलता है की ऐसी कोई डेटलाइन यहाँ नहीं है | नीचे की तुलना से आपको यह फर्क नजर आ जायेगा |
प्रकाशनों के खबर के डेटलाइन का स्टाइल…
पोस्ट के खबर के डेटलाइन में कोई स्टाइल नहीं…
एक बात और भी है की पोस्ट करने वाले यूजर ने इस खबर का कोई सोर्स नहीं दिया है, जैसे कि यह खबर किस अख़बार में छपी है या किस तारीख को छपी है | ऐसी जानकारी अमोमन मेन्स्ट्रीम मीडिया के लेखनी की स्टाइल को नक़ल कर ग़लत ख़बरों या बनावटी बातों को सोशल मंचों पर साझा कर परोसने के लिए की जाती है।
अब हमने अमित शाह के इस भाषण की खोज गूगल पर की तो हमें पता चला की शाह ने ३ दिसंबर २०१८ को बूंदी में एक रैली की थी, जब राजस्थान में विधानसभा के चुनाव हो रहे थे | बूंदी शहर में हुई इस सभा की खबर कुछ समाचार पत्रों में छपी है व न्यूज़ साइट्स पर भी उपलब्ध है | हमारे काफी सर्च करने के बाद भी किसी अख़बार की खबर में या वेबसाइट पर इस बात का जिक्र नहीं है की अमित शाह ने व्यापारियों को चोर या मुनाफाखोर कहा हो | वास्तविकता तो यह है की अगर अमित शाह ने ऐसा कुछ कहा होता तो आज की तारीख में वह एक बड़ी खबर बन जाती !
समाचार पत्र टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने शाह के इस भाषण की खबर ४ दिसंबर २०१८ को प्रकाशित की थी |
समाचार पत्र ‘पत्रिका’ ने शाह के इस भाषण की खबर ४ दिसंबर २०१८ को प्रकाशित की थी।
आइये अब अमित शाह के उस भाषण को ही पूरा सुन लेते है | भारतीय जनता पार्टी ने अपने फेसबुक पेज से इस भाषण का सीधा प्रसारण किया था तथा बाद में यह भाषण यू-ट्यूब पर अपलोड भी कर दिया था | यह भाषण कुल ३५ मिनट २० सेकंड का है |
बीजेपी नेता रवि अग्रवाल ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर यह भाषण साझा किया है |
जांच का परिणाम : इस संशोधन से यह स्पष्ट होता है कि, उपरोक्त पोस्ट में किया गया दावा कि, अमित शाह ने वैश्य समाज को या बनिया समाज को चोर, मुनाफाखोर कहा, गलत (FALSE) है | अमित शाह के भाषण में ऐसी किसी बात का जिक्र नहीं है |
Title:क्या अमित शाह ने बूंदी की चुनावी रैली में बनिया समाज को चोर कहा ?
Fact Check By: Rajesh PillewarResult: False
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