False

क्या १९६६ को मोहम्मद रफ़ी के इस गाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था ?

९ मार्च २०१९ को फैक्ट क्रेसेन्डो के वाट्सऐप नम्बर पर एक मेसिज हमारे पाठक द्वारा सत्यता जाँचने के लिए भेजा गया, जब हमने उपरोक्त मेसिज को अन्य सोशल मीडिया मंचों पर ढूंढा तो यह ज्ञात हुआ कि यह खबर काफ़ी चर्चा में है | एक गाने का विडियो इस दावे के साथ वायरल हो रहा है कि यह गाना एक हिन्दी फ़िल्म का हिस्सा था, और ५०  साल पहले इस गाने को फ़िल्म से प्रतिबंधित कर दिया गया था। इस विडियो को साझा करते समय दो अलग अलग हैडलाइन जोड़ी गयी है जिसमे यह कहा गया है कि,

१-पचास साल पहले इस गाने को सेंसर ने कटवा दिया था लेकिन क्यों? सुने मोहम्मद रफी की आवाज में यह गीत जो कभी रिलीज नहीं हो पाया सुन कर बताइये! क्या कारण रहे होंगे

आर्काइव लिंक

फ़िल्म से इस गाने को सेन्सर बोर्ड द्वारा  हटाए जाने का दावा सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है, जो नीचे दिए गए विडियो में देख सकते है |

यही गीत शेयर करते हुए एक अन्य पोस्ट की हैडलाइन में कहा गया है कि, यह गाना तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था। हैडलाइन इस प्रकार है-

२-इस गीत का पाकिस्तान ने विरोध किया था और रेडियो सीलोन से कहा गया था की इसे बजाय न जाए । उस समय की हमारी सरकार ने चुपचाप इस गीत पर प्रतिबंध लगा दिया| इस गीत को व्हाट्सएप पर लाने वाले को सलाम। इस संदेश को सभी व्हाट्सएप समूहों में फैलाने की हमारी जिम्मेदारी है|  

हमने इतने व्यापक पैमाने पर साझा हो रहे इस मेसिज की सत्यता जानने की कोशिश की

संसोधन की शुरुवात हमने गूगल सर्च से की | गूगल सर्च पर गाने की बोल को सर्च करने पर हमने पाया कि गाने का शीर्षक “ज़न्नत की है तस्वीर” है | इसके पश्चात हमे ये पता चला कि १९६६ को रिलीज़ हुआ यह गाना “जोहर इन कश्मीर” नामक एक फिल्म का हिस्सा है |

इस फ़िल्म की कहानी, भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद, कश्मीर में १९४०  के दशक के लगभग अंतिम दिनों पर आधारित है।

यूट्यूब पर इस गाने के शीर्षक से सर्च करने पर हमने पाया कि, १३ अक्टूबर २०१० को इस गाने को सुरिंदर सिधु०० नामक यूजर ने अपलोड किया था |

गूगल सर्च पर १९६६ में प्रकाशित हुए अखबारों के आर्काइव को खंगालते हुए हमे १९६६  के भारत के राजपत्र (Gazette) का आर्काइव मिला, जिसमें सूचना और प्रसारण मंत्रालय के केंद्रीय फ़िल्म प्रमाणन बोर्ड के कार्यालय का एक आदेश शामिल हैं। जैसा कि नीचे दिए स्क्रीनशॉट में देखा जा सकता है, इस गाने में से केवल हाजी पीर शब्दों को हटाने के लिए कहा गया था।

उपरोक्त आदेश में जिन दो शब्दों का जिक्र किया गया है, वह  ऑनलाइन उपलब्ध  गाने व फ़िल्म में नहीं हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सेंसर बोर्ड के आदेश के बाद इसके बोल संशोधित किए गए थे।

इसके बाद इस गाने से जुड़े कुछ और लोगों से हमने सम्पर्क किया | सबसे पहले हमने १९६६ में रेडीओ पर सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम बिनाका गीतमाला के संचालक व भारत के सबसे सफल रेडीओ उद्घोषक  अमीन सयानी जी से बात की, ‘फैक्ट क्रेसेन्डो’को फ़ोन पर  अमीनजी ने बताया कि उन्हें बहुत ज्यादा याद तो नहीं है, लेकिन वह जानकारी इकट्ठा करेंगे और हमें सूचित करेगे, फिर से संपर्क करने पर उन्होंने हमे बताया कि उनकी इस बारे में फिल्म के  संगीत निर्देशक आनंदजी विरजी से बात हुई व उन्हें पता चला की “जब गाना रिलीज़ हुआ था तब पाकिस्तान में मतभेद हो रहे थे व पाकिस्तान ने रेडियो सीलोन को कहा था कि यह गाना मत बजाइए जिसके कारण भारत में भी खामखाँ विवाद हुआ था जो आनंदजी विरजी को भी ठीक से याद नहीं है”।

इसके पश्चात हमने मोहम्मद रफ़ी के पुत्र, शाहिद रफ़ी से फ़ोन पर संपर्क किया। शाहिद रफ़ी ने फैक्ट क्रेस्सन्डो को बताया, मेरे पिताजी के कोई भी गाने पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है | उन्होंने यह भी कहा कि यह गाना ऑनलाइन उपलब्ध है जिसका सीधा अर्थ यह होता है कि गाना प्रतिबंधित नहीं है |

हमने फिल्म ‘जोहर इन कश्मीर’ की प्रोडक्शन कंपनी एन एच स्टूडियोज से भी ई-मेल द्वारा संपर्क किया है, जिसका जवाब आते ही इस फैक्ट चेक को हम अपडेट करेंगे |

निष्कर्ष: उपरोक्त तथ्यों के विश्लेषण के बाद हमने वायरल हुए दावे को गलत पाया है,यह गाना आज भी ऑनलाइन उपलब्ध है।मोहम्मद रफ़ी जी के बेटे द्वारा दिए गए बयान और  अमीन  सयानी जी व आनंदजी विरजी के इस कथन से “कि पाकिस्तान को इस गाने से आपत्ति थी”, इस बात  की पुष्टि करता है कि यह गाना भारत में कभी भी प्रतिबंधित नहीं किया गया था।

Title:क्या १९६६ को मोहम्मद रफ़ी के इस गाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था ?

Fact Check By: Drabanti Ghosh

Result: False

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