इन दिनों सोशल मंचों पर एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें आपको एक समाचार लेख की तस्वीर देखने को मिलेगी। इस तस्वीर में दिख रहे लेख में लिखा है कि केरल के एक दंपति ने हनुमान की तस्वीर छपी एम्बुलेंस में जाने से इंकार कर दिया, इस लेख के साथ उस एम्बुलेंस की तस्वीर भी छपी हुई है।
वायरल हो रहे पोस्ट के शीर्षक में लिखा है,
“केरल के कोरोना पीड़ित ईसाई दम्पति ने एम्बुलेंस में केवल इसलिए बैठने से इनकार कर दिया क्योंकि उस एम्बुलेंस पर हिन्दू देवता श्री हनुमान जी का स्टीकर लगा था। परिणाम दोनों की मौत हो गई।“
अनुसंधान से पता चलता है कि…
फैक्ट क्रेसेंडो ने जाँच के दौरान पाया कि वायरल हो रही खबर गलत है। तस्वीर में दिख रही एम्बुलेंस बैंगलुरु में स्थित एक एम्बुलेंस सर्विस की है, इसका केरल से कोई सम्बंध नहीं है। इस एम्बुलेंस की तस्वीर के साथ वायरल हो रही केरल के दंपति की खबर फर्ज़ी है।
जाँच की शुरुवात हमने वायरल हो रही तस्वीर को गूगल रीवर्स इमेज सर्च कर के की, परिणाम में हमें ब्लूबर्ग की बैवसाइट पर प्रसारित किये हुये वीडियो के थंबनेल में यही तस्वीर लगी हुई मिली। ब्लूमबर्ग द्वारा प्रसारित किये गये उस वीडियो के शीर्षक में लिखा है,
“एस एंड पी: भारत के विकास पर बड़े पैमाने पर प्रभाव डाल रही है महामारी” व इसके नीचे दी गयी जानकारी में लिखा है, “एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स में एशिया पैसिफिक के मुख्य अर्थशास्त्री शॉन रोचे देखते हैं कि कोरोनावायरस महामारी भारत की अर्थव्यवस्था और नीतियों को कैसे प्रभावित कर रही है। भारत की राजधानी ने अपने लॉकडाउन को एक और सप्ताह के लिए बढ़ा दिया और कोविड -19 संक्रमण की एक नई लहर को नियंत्रित करने के लिए कड़े प्रतिबंधों को अपनाया क्योंकि देश दुनिया में वायरस के सबसे तेजी से बढ़ते प्रकोप से जूझ रहा है। रोचे “ब्लूमबर्ग मार्केट्स: एशिया” पर बोलते हैं।“
इससे हमें यह समझ आया कि ब्लूमबर्ग ने इस तस्वीर को प्रतिनिधित्वात्मक छवि के तौर पर इस्तेमाल किया है।
इसके बाद हमने तस्वीर में दिख रही एम्बुलेंस को गौर से देखा तो उसमें हमें दाहिनी ओर प्रसन्न एम्बुलेंस सर्विस लिखा हुआ दिखा। इसको ध्यान में रखते हुये हमने गूगल पर कीवर्ड सर्च किया तो हमें बंगलुरु में स्थित एक प्रसन्न एम्बुलेंस सर्विस नामक एक कंपनी मिली व गूगल पर दिये एम्बुलेंस की तस्वीरें वायरल हो रही तस्वीर से काफी मिलती-जुलती नज़र आयी।
तत्पश्चात फैक्ट क्रेसेंडो ने प्रसन्न एम्बुलेंस सर्विस में संपर्क किया व ये पता लगाने की कोशिश की कि क्या हनुमान की तस्वीर छपी हुई एम्बुलेंस उनकी कंपनी की है व क्या एक ईसाई समुदाय के दंपति में उसमें जाने से इंकार कर दिया व उनकी मृत्यू हो गयी। उन्होंने हम से कहा, “वायरल हो रही तस्वीर में दिख रही एम्बुलेंस हमारी कंपनी यानि की प्रसन्न एम्बुलेंस सर्विस की ही है, परंतु ईसाई दंपति ने हनुमान की तस्वीर छपी होने के कारण एम्बुलेंस में प्रवास नहीं करने की खबर गलत है। हमारी एम्बुलेंस के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ है।“
इसके पश्चात हमने तस्वीर के साथ वायरल हो रही खबर पर गौर किया, नतीजन हमें समझ आया कि वायरल हो रहे लेख की तस्वीर में लेख के नीचे हिंदुस्तान टाइम्स का नाम लिखा हुआ है।
इसके पश्चात हमने गूगल पर कीवर्ड सर्च किया तो हमें हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा प्रकाशित किया हुआ एक लेख मिला जिसमें वायरल हो रही तस्वीर को इस्तेमाल किया गया था। उस लेख के शीर्षक में लिखा है, “श्मशान घाटों में लकड़ी के बढ़ती मांग को लेकर वन विभाग हुआ सतर्क।”
इस लेख में हमें कही भी ऐसा लिख हुआ नहीं मिला कि केरल के ईसाई दंपति ने हनुमान की तस्वीर छपी एम्बुलेंस में जाने से इंकार किया। इसके पश्चात हमने देखा कि इस लेख को सौम्या पिल्लई नामक एक पत्रकार ने लिखा है और इसको ध्यान में रखते हुये फैक्ट क्रेसेंडो ने सौम्या पिल्लई से संपर्क किया व इस लेख व वायरल हो रही खबर के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की, तो उन्होंने हमें बताया कि, “तस्वीर के साथ सोशल मंचों पर वायरल हो रही खबर गलत है व इस प्रकार की कोई भी ख़बर मैंने रिपोर्ट नहीं की है। मैं सिर्फ दिल्ली की खबरों पर रिपोर्टिंग करती हूँ और वायरल हो रही खबर के बारे में मैंने सुना भी नहीं है। जिस मूल आर्टिकल को पढ़कर आपने मुझसे संपर्क किया वो निश्चित रूप से मैंने लिखा है, परंतु उसके साथ जो तस्वीर आप देख रहे है वो हमारे डिजिटल टीम ने प्रकाशित की है और वह प्रतिनिधित्वात्मक छवि के तौर पर इस्तेमाल की गयी है।“
यहाँ ये स्पष्ट होता है कि हिंदुस्तान टाइम्स ने सोशल मंचो पर इस तस्वीर के साथ वायरल हो रही इसाई दंपति की खबर जैसी कोई भी खबर को रिपोर्ट नहीं किया है।
तदनंतर हमने यह पता लगाने की कोशिश की कि क्या सच में केरल में एक ईसाई समुदाय के दंपति ने हनुमान की तस्वीर छपी एम्बुलेंस में जाने से इंकार किया व उनकी मृत्यू हो गयी।
फैक्ट क्रेसेंडो ने इस खबर की पुष्टि करने हेतु केरल के स्थानिय पत्रकार एशियानेट न्यूज़ के रुजिश.वी.रवीनदरम से संपर्क किया और उन्होंने हमें बताया कि, “वायरल हो रही खबर सरासर गलत व फेक है, ऐसी कोई घटना केरल में नहीं घटी है।“
निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने पाया कि एम्बुलेंस की तस्वीर मूल लेख के साथ प्रतिनिधित्वात्मक छवि के रूप में छापी गई थी, जिसे एडिट कर सोशल मंचों पर गलत दावों के साथ प्रसारित किया गया है, तस्वीर के साथ किया जा रहा उपरोक्त दावा गलत व भ्रामक है।
Title:FactCheck: क्या हिन्दू देवता की तस्वीर लगी एम्बुलेंस में जाने से इंकार करने के कारण केरल में कोरोना पीड़ित इसाई दंपति की मृत्यु हुई? जानिये सच…
Fact Check By: Rashi JainResult: False
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