२० मार्च २०१९ को सुरेश सैनी नामक एक फेसबुक यूजर ने दो तस्वीरें पोस्ट की | तस्वीर के शीर्षक में लिखा गया है कि “गंगा मैया तब और अब..६० साल बनाम ५ साल” | इस शीर्षक के साथ दो तस्वीरें भी साझा की गई है | पहली तस्वीर में हमें एक घाट दिखता है जहाँ कथित गंगा नदी में ढेर सारा कचरा फेंका गया है वहीँ दूसरी तस्वीर में एक स्वच्छ घाट दिखाया गया है जहाँ कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी पानी पीते हुए दिखती है | इस पोस्ट को लगभग ३०० प्रतिक्रियाएं मिली है |
पहली तस्वीर, जिसमे गंगा में बहुत गन्दगी दिख रही है, वह ६० साल से कांग्रेस की सरकार के कार्यकाल की बताया गया हैं, जबकि दूसरी फोटो अभी (भाजपा कार्यकाल) की बताई जा रही है, जिसके एक कोने में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा पानी पीती नजर आ रही है |
क्या ये दोनों तस्वीरे सही है ? आइये जानते है सच्चाई |
संशोधान से पता चलता है कि….
जांच की शुरुवात हमने दोनों तस्वीरों को अलग-अलग कर गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने से की | पहली फोटो जिसमें सिर्फ गंदगी नजर आ रही है, वो हमे गेट्टी इमेजस में मिली | यह तस्वीर ५ अप्रैल २००९ को बनारस के किसी घाट पर खिंची गई थी | इस तस्वीर को प्रकाश सिंह नामक फोटोग्राफर ने एएफपी के लिए खिंचा था | गूगल से हमे पता चलता है कि बनारस में करीब ८८ घाट है | उपरोक्त तस्वीर किस घाट की है, इस बात का उल्लेख फोटो के कैप्शन में नहीं किया गया है, जो आप नीचे देख सकते है |
आर्काइव लिंक
Youatlas नाम की एक वेबसाइट ने एक लेख में इस तस्वीर का उपयोग किया है। लेख का शीर्षक है- “पृथ्वी के १० खतरनाक शहरों की सूची, जहां आपको नहीं जाना चाहिए” | तस्वीर को उड़ीसा में स्थित सुकिंडा नामक जगह होने का दावा किया गया है ।
गूगल रिवर्स इमेज द्वारा परिणाम दिखाने के बाद इमेजेस के टैब पर क्लिक करने पर, हमने संदर्भ चित्र के रूप में इसी तस्वीर का कई वेबसाइटों को उपयोग करते हुए पाया ।
वैदिक वर्ल्ड न्यूज़ | आर्काइव लिंक | upliftconnect | आर्काइव लिंक | whichcountry | आर्काइव लिंक | India Today | आर्काइव लिंक
इस तस्वीर को संदर्भ हेतु कई ब्लॉग में भी इस्तेमाल किया गया था |
Metaloobrabokta | आर्काइव लिंक | work way | आर्काइव लिंक
दूसरी तस्वीर, जिसमें नदी बेहद साफ सुथरी नज़र आ रही है, उसका भी स्क्रीनशॉट लेकर गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमने पाया कि ये फोटो भी पहली फोटो की तरह कई बार अलग-अलग जगहों पर इस्तेमाल की गई है |
इस तस्वीर को २०१८ में संदर्भ चित्र के रूप में कई जगह इस्तेमाल किया गया है |
tourism news live | आर्काइव लिंक | wion news | आर्काइव लिंक
इसके उपरांत हमने इस तस्वीर का मूल स्थान ढूंढ़ने कि कोशिश की | हमने घाट की पहचान करने के लिए तस्वीर के प्रमुख स्थानों की पहचान करने की कोशिश की जिससे हम घाट को पहचान सकते है | तस्वीर में एक लाल मिनार हमे नज़र आया, उस का स्क्रीनशॉट लेकर हमने गूगल रिवर्स इमेज सर्च करके ढूंढ़ने की कोशिश की |
गूगल इमेज सर्च द्वारा दिए गए परिणाम से हमे उस लाल मीनार से मिलती-जुलती तस्वीरें मिली जिससे हमे पता चला कि यह एक लाल रंग का वाच टावर है |
परिणाम में से एक तस्वीर को क्लिक करते ही वह हमे एक वेबसाइट पर लेकर जाता है | वेबसाइट की तस्वीर से हमे पता चलता है कि वायरल तस्वीर और यह तस्वीर एक ही घाट की है | तस्वीर सिर्फ एक अलग एंगल से ली गयी है | इस बात की पुष्टि आप दोनों तस्वीरों में मौजूद लाल वाच टावर से कर सकते है | 123RF वेबसाइट से हमे पता चलता है कि तस्वीर ६ नवंबर २०१७ को हरिद्वार में ली गयी है | तस्वीर के विवरण में लिखा गया है कि इस घाट का नाम हर की पौड़ी है, और यह भी लिखा गया है कि हर की पौड़ी हरिद्वार का प्रसिद्ध घाट है | इस तस्वीर को डेनिस वोस्त्रिकोव नामक एक फोटोग्राफर ने २०१७ में खिंचा था |
उपरोक्त खोजबीन से यह बात स्पष्ट होती है कि यह घाट हरिद्वार का है, बनारस का नहीं |
दूसरी फोटो, जिसमे एक कोने में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पानी पीती नजर आ रही है उसे उनके १८ मार्च २०१९ को प्रयागराज से वाराणसी तक गंगा में की गई बोट यात्रा से जोड़ा गया है, हालाँकि प्रियंका गांधी ने बनारस घाट पर गंगाजल पिया था और इस खबर को प्रतिष्ठित मीडिया संगठनों ने प्रकाशित भी किया था |
news18 | आर्काइव लिंक
उपरोक्त तथ्यों से ये स्पष्ट होता है कि प्रियंका गांधी की बनारस घाट पर जल अर्चन की तस्वीर को फोटोशोप कर हरिद्वार के हर की पौड़ी घाट में पानी पीते हुए वाइरल किया जा रहा है |
इस तस्वीर की फोटोशोप द्वारा छेड़छाड़ की जाने की पुख्ता जानकारी पाने के लिए हमने फोटोफोरेंसिक वेबसाइट पर तस्वीर की जांच की |
जांच से पता चलता है कि हरिद्वार के हर की पौड़ी घाट की मूल तस्वीर हमे काली नज़र आती है, जिसका यह मतलब है कि यह तस्वीर ओरिजिनल है व छेड़छाड़ नहीं की गयी है |
प्रियंका गांधी के साथ साझा की गयी तस्वीर को फोटो फोरेंसिक से जांच करने पर हमे कुछ सफ़ेद डॉट वाले क्षेत्र नज़र आतें है जिसका यह मतलब है कि इस तस्वीर को अलग से जोड़ा गया है व मूल तस्वीर से छेड़छाड़ की गयी है |
निष्कर्ष: तथ्यों कि जांच से हमे पता चलता है कि फेसबुक पर वायरल की गयी तस्वीरें गलत है | पहली तस्वीर २००९ को खिंची गयी बनारस के किसी घाट की है | दूसरी तस्वीर २०१७ में खिंची गयी हरिद्वार के ‘हर की पौड़ी’ घाट की है | प्रियंका गांधी की तस्वीर १८ मार्च २०१९ को बनारस में ली गयी थी व उसे भ्रामक रूप से हरिद्वार के घाट के साथ जोड़ा गया है | तीनों तस्वीरें तीन अलग अलग साल में ली गयी है व उन्हें गंगा के स्वछता के सन्दर्भ के साथ जोड़कर भ्रमित करने के लिए साझा किया जा रहा है |
Title:क्या है गंगा नदी के स्वच्छता का दावा करती इन दोनों तस्वीरों का सच ?
Fact Check By: Drabanti GhoshResult: False
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