कोलकाता से प्राइड परेड के तस्वीर को जेएनयू छात्रों द्वारा हिन्दू संस्कृति के विरोध का बता वायरल किया जा रहा है|

False Political

सोशल मीडिया पर एक महिला की तस्वीर जिसमे वे सारी और शॉर्ट्स पहेने हुए खड़ी है को यह दावा करते हुए फैलाया जा रहा है कि ये दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की छात्राएं हैं, जो साड़ी और सिंदूर पहने हिंदू महिलाओं का विरोध करती हुईं नज़र आ रहीं है | इस तस्वीर को सी.ए.ए के विरोध प्रदर्शन से जोड़ते हुए भी यह दावा किया जा रहा है कि यह विरोध हिन्दू संस्कृति के खिलाफ किया गया था |
पोस्ट के शीर्षक में लिखा गया है कि

 “ये #JNU के प्रगतिशील छात्र है इनका विरोध है कि हिन्दू महिलाएं साड़ी, बिंदी, ओर सिंदूर क्यो लगाती है …इसका विरोध करने सड़क पर निकले है |”

फेसबुक पोस्ट | आर्काइव लिंक 

अनुसंधान से पता चलता है कि…

फैक्ट क्रेसेंडो ने पाया कि वायरल तस्वीर २०१९ में कोलकाता में हुई एक प्राइड परेड में ली गई है | तस्वीर में दिख रही महिला एक्टिविस्ट पांचाली कर है, जिन्होंने कभी जेएनयू में पढ़ाई नहीं की है |

जाँच की शुरुवात हमने इस तस्वीर को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने से किया, जिसके परिणाम से हमें यह तस्वीर एक बंगाली समाचार पोर्टल “ख़ास ख़बर” पर एक लेख के साथ संग्लित मिली, जिसमें महिला की पहचान पांचाली कर के रूप में की गई है, जो एक कलाकार है जो अपने विवादास्पद फेसबुक पोस्ट और तस्वीरों के लिए जानी जाती है |

आर्काइव लिंक  

तद्पश्चात हमने पांचाली को फेसबुक पर ढूँढा जहाँ हमें यह तस्वीर ३० दिसंबर २०१९ को उनके द्वारा अपलोड की हुई मिली | वायरल तस्वीर के विवरण में लिखा गया है कि 

“प्राइड २०१९” | इस तस्वीर का लोकेशन बघ बाज़ार स्ट्रीट लिखा हुआ है |  

आर्काइव लिंक 

इस प्राइड परेड के दुसरे एंगल की तस्वीर पांचाली ने २०२० में भी अपलोड की है | इस तस्वीर के शीर्षक में भी “प्राइड २०१९” लिखा हुआ है |

यूथ की आवाज़ नामक एक वेब पोर्टल ने भी इस तस्वीर को साझा करते हुए लिखा गया है कि 

“यह LGBTQIA + कम्युनिटी का एक वार्षिक कार्यक्रम है, जो २९ दिसंबर, २०१९ को कोलकाता में सम्पन्न हुआ था |” इस तस्वीर के शीर्षक में लिखा गया है कि “पांचाली कर ने इस मार्च में हिस्सा लिया था |”
आर्काइव लिंक

फैक्ट क्रेसेंडो ने तद्पश्चात पांचाली कर से संपर्क किया जिन्होंने हमें बताया कि

 “वायरल तस्वीर 2019 के कोलकाता प्राइड वॉक की है | मैं जेएनयू की छात्र नहीं हूँ और ना कभी थी | जेएनयू से मेरे कई मित्र हैं, लेकिन जेएनयू के साथ व्यक्तिगत रूप से कोई संबंध नही है | २०१९ की प्राइड वोक के दौरान, हमने एनआरसी और सीएए के खिलाफ नारे लगाए, क्योंकि यह अभी भी एक बड़ा संकट है | लेकिन यह दावा करना कि यह तस्वीर सीएए विरोधी रैली में हिन्दू संस्कृति के खिलाफ निकाले गए मार्च की है सरासर गलत है और ये बात यह बात सुनने में हास्यास्पद लगती है |”

निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात् हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | वायरल तस्वीर २०१९ में कोलकाता की एक प्राइड परेड में ली गई थी | तस्वीर में दिख रही महिला एक्टिविस्ट पांचाली कर है, जिन्होंने कभी जेएनयू में पढ़ाई नहीं की है |

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Title:कोलकाता से प्राइड परेड के तस्वीर को जेएनयू छात्रों द्वारा हिन्दू संस्कृति के विरोध का बता वायरल किया जा रहा है|

Fact Check By: Aavya Ray 

Result: False