१० जुलाई २०१८ को नवभारत टाइम्स ने एक खबर प्रकाशित की | खबर के हैडलाइन में लिखा गया है कि “पिता की जिंदगी की खातिर २ घंटे ड्रिप पकड़े खड़ी रही ७ साल की बेटी” | खबर में लिखा गया है कि औरंगाबाद के एकनाथ गवली को ५ मई को घाटी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था | ऑपरेशन के बाद जब उन्हें वार्ड में शिफ्ट किया गया, तो वहां ड्रिप के लिए स्टैंड नहीं था | फिर डॉक्टर्स ने उनकी ७ साल की बच्ची को बॉटल पकड़ा दी | वह बॉटल पकड़कर घंटो खड़ी रही | इस खबर की फेसबुक पर काफी चर्चा रही | इस तस्वीर को लगभग १५००० बार साझा किया गया है |
इस खबर का हैडलाइन ही सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत बयान करता है | क्या औरंगाबाद के घाटी अस्पताल का इतना बुरा हाल है ? तो हमने इस खबर की सच्चाई जानने कि कोशिश की |
संशोधन से पता चलता है कि..
जांच कि शुरुआत हमने तस्वीर के स्क्रीन शॉट को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने से की | परिणाम से हमें इस तस्वीर से संबंधित ख़बरें मिली | हमें ९ मई २०१८ को सामना द्वारा प्रकाशित की गयी खबर मिली जिसमे यह लिखा गया था कि एकनाथ गवली को अस्पताल में भर्ती कराया गया और उसके कुछ समय बाद ही उस पर एक सर्जरी की गई थी | सर्जरी के बाद जब उन्हें वार्ड नंबर ९ में शिफ्ट किया गया, तो डॉक्टर ने स्टैंड की कमी के कारण उनकी बेटी को हाथ में सलाइन बोतल पकड़ने को कहा |
इसके पश्चात हमें ११ मई २०१८ को दिव्य मराठी द्वारा प्रकाशित खबर मिली | खबर में इस पूरी घटना का विस्तार से विवरण दिया गया है | खबर में यह लिखा गया है कि जिस व्यक्ति ने यह तस्वीर खिंची थी, उसने उस ७ साल कि बच्ची को अपना विजिटिंग कार्ड दिया था | विजिटिंग कार्ड के अनुसार वह ग्लोबल फाउंडेशन से कोई मोहसिन खान नामक व्यक्ति है | ‘दिव्य मराठी’ को उन्होंने बताया कि ग्लोबल फाउंडेशन के माध्यम से वे चिकित्सा सेवाएं प्रदान करते हैं और उस रात को वह घाटी अस्पताल में मौजूद थे | उन्होंने उस बच्ची को अपने पिता की सेवा करते हुए देखा था | उस दृश्य को अधिक भावनात्मक बनाने के लिए, उनमे से एक ने बच्ची को सलाइन की बोतल हाथ में पकड़ने के लिए कहा व यह तस्वीर खिंची गयी |
इस खबर से हम स्पष्ट हो सकते है कि यह तस्वीर भ्रमित तरीके से साझा किया जा रहा है | यह बच्ची २ घंटे हाथ में सलाइन की बोतल लेकर खड़ी नहीं थी |
इसके पश्चात् आगे और संशोधन करने पर हमें एबीपी लाइव द्वारा प्रकाशित किये गए बुलेटिन में एकनाथ गवली व उनकी बेटी से किया गया इंटरव्यू मिला | इंटरव्यू में हम साफ़ साफ़ एकनाथ गवली को सुन सकते है | उन्होंने कहा था कि उनकी बेटी सिर्फ १५ से २० मिनट तक हाथ में सलाइन पकड़कर खड़ी थी | उन्होंने कहा कि हालांकि उन्हें पूरे समय होश नहीं था, फिर भी वह कह सकते हैं कि उनकी बेटी अधिकतम आधे घंटे तक खड़ी थी | सात वर्षीय बच्ची जिसका नाम ध्रुपदा है, उसने भी इंटरव्यू में यह कहा कि वह सिर्फ १० से २० मिनट तक सलाइन की बोतल हाथ में लेकर खड़ी थी जब उसका बड़ा भाई सलाइन का स्टैंड लेने गया था | इस इंटरव्यू का विडियो यूट्यूब पर भी उपलब्ध है | नीचे आप विडियो देख सकते है |
इंटरव्यू में किसीने भी उस बच्ची का २ घंटे ड्रिप पकड़े खड़ी रहने वाली बात का उल्लेख नहीं किया |
इस खबर को लोकमत | आर्काइव लिंक व नवाकाल | आर्काइव लिंक ने भी प्रकाशित किया |
देखते है उपरोक्त खबर में क्या कहा है…
उपरोक्त खबर की हैडलाइन तथा खबर की शुरुआत में तो यह कहा गया है कि बच्ची दो घंटों तक सलाईन की बोतल लेकर कड़ी थी, लेकिन नीचे अस्पताल के डीन व मौके पर मौजूद डॉक्टर का कहना देकर यह कहा गया है की बच्ची कुछ देर के लिए ही बोतल पकड़कर खड़ी थी | यह भी कहा गया है की, NGO के लोगों ने उस बच्ची के हाथों में बोतल पकड़ाकर तस्वीर खिंची | यह बात हमारे संशोधन से भी सरोकार रखती है | लिहाजा यह साबित होता है कि इस खबर में कुछ बातें तो सही लिखी है, मगर दो घंटे बोतल हाथ में लेकर खड़े रहने के मुद्दे को नीचे खबर में नकारा भी गया है | सो यह खबर मिश्रित जानकारी देकर भ्रमित करती है |
निष्कर्ष: तथ्यों कि जांच के बाद हमने उपरोक्त खबर को मिश्रित पाया | खबर का हैडलाइन हमे भ्रामक संदेश देता है जबकि खबर में यह उल्लेख किया गया है कि किसी एनजीओ के कर्मचारी ने इस घटना को भावनात्मक बनाने के लिए इस तस्वीर को खिंचा | कुल मिलाकर खबर में दी गई जानकारी को हमने मिश्रित पाया है |
Title:क्या पिता की जिंदगी की खातिर २ घंटे ड्रिप पकड़े खड़ी रही ७ साल की बेटी?
Fact Check By: Drabanti GhoshResult: Mixture
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