यह वीडियो वर्ष 2019 में उज्जैन में निकले जुलूस का है। हाल ही में हो रहे ज्ञानवापी मस्जिद विवाद या वाराणसी से इसका कोई संबन्ध नहीं है।

ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर खड़े हुए विवाद के बीच एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसके साथ दावा किया जा रहा है कि कि ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने की खुशी में वाराणसी में लोग जश्न मना रहे है।
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर को लेकर हुए सर्वे में हिंदू पक्ष की तरफ से दावा किया गया कि वहां शिवलिंग पाया गया। वहीं मुस्लिम पक्ष उसे फव्वारा बता रहा है।
वायरल हो रहे पोस्ट के साथ यूज़र ने लिखा है, “नन्दी की तपस्या पूरी हुई। बाबा भोले ज्ञानवापी कुंड से प्रकट हुए। हिन्दू जनमानस के लिए कोई 500 साल का सबसे अधिक आनंद का समाचार। हर हर महादेव।आज बनारस के हर एक गली में उत्सव का माहौल है! बम बम बोल रहा है काशी। ज्ञानवापी मस्जिद के बजू खाने में जहाँ शिवलिंग मिला है वो जगह सील होगी – वाराणसी कोर्ट।“
अनुसंधान से पता चलता है कि…
जाँच की शुरूआत हमने यूटयूब पर कीवर्ड सर्च कर की। हमें यही वीडियो अभिषेक श्रीवास्तवा नामक एक चैनल पर 12 अगस्त 2019 को प्रसारित किया हुआ मिला। इसके साथ दी गयी जानकारी में लिखा है, मंजिरा डमरू जुलूस।
फिर हमने इस वीडियो के नीचे कमेंट्स को पढ़ा। उसमें कई लोगों ने इसे वाराणसी का वीडियो बताया, तो कुछ लोगों ने इसे उज्जैन का बताया।
इसके बाद हमने और जानकारी लेने के लिये वाराणसी के स्थानीय पत्रकार जितेंद्र कुमार श्रीवास्तवा से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि “हाल ही में यहाँ ऐसा कोई जश्न नहीं मनाया गया और न ही कोई जुलूस निकाला गया। यह वीडियो पुराना है।“
वे इस बात की पुष्टि नहीं कर पाये कि ये वीडियो कहा का है। परंतु उन्होंने हमें यह जानकारी दी कि इस वीडियो में दिख रहे लोग डमरू दल के लोग है।
फैक्ट क्रेसेंडो ने “श्री शनिदेव डमरू दल” के एक सदस्य से बात की। उन्होंने हमें बताया कि ये जो वीडियो वायरल हो रहा है, “यह उज्जैन के महांकालेश्वर का है। बनारस में ऐसे डमरू नहीं बजते, बड़े-बड़े डमरू बजते है। और अभी हाल ही में यहाँ ऐसा कोई जुलूस नहीं निकाला गया है।“
इस जानकारी को ध्यान में रखते हुये फैक्ट क्रेसेंडो ने उज्जैन के प्रेस क्लब से अर्पन शर्मा नामक एक स्थानीय पत्रकार से संपर्क किया। हमने उनको भी ये वीडियो भेजा व इसके बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की।
उन्होंने हमें बताया कि “यह वीडियो उज्जैन का ही है। दरअसल यहाँ पर महांकाल की सवारी निकलती है, ये उसका वीडियो है। और इस वीडियो में डमरू और मंजिरे की जो धुन बज रही है, यह केवल उज्जैन में बजती है, और कही नहीं बजती।“
फिर हमने उज्जैन के डमरू दल भस्म रमैया भक्त मंडल के “लोकेश नामदेव” से बात की। उन्होंने हमें बताया कि “ये वीडियो उज्जैन में हुई शाही सवारी का है। इसमें दिख रहे लोग हमारे मंडल के नहीं है। हम लोग शिव भगवान के पालकी के पीछे होते है और ये लोग जो मंडल का हिस्सा नहीं है, पालकी के आगे होते है। ये लोग स्थानीय लोग नहीं है, बाहर से झाकियाँ लेकर आये हुये लोगों में से है। ये वीडियो दो वर्ष पहले का है। इसमें हम भी शामिल थे। यह सवारी महांकाल मंदिर से शुरू होकर पटनी बज़ार होती हुई शिप्रा नदी जाती है। वहाँ शिवजी की पूजा होती है और फिर गोपाल मंदिर होती हुई वापस महांकाल मंदिर जाती है।“
निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने पाया कि वायरल हो रहे वीडियो के साथ किया गया दावा गलत है। यह वीडियो वर्ष 2019 का है। यह वाराणसी का नहीं बल्की उज्जैन का वीडियो है।

Title:उज्जैन के पुराने वीडियो को वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।
Fact Check By: Rashi JainResult: False
