2019 में केंद्रीय सरकार ने अपने 100-दिवसीय एजेंडे के हिस्से के रूप में, भारतीय रेलवे में बेहतर दक्षता हासिल करने के लिए रेलवे की सात रोलिंग स्टॉक उत्पादक इकाइयों को कॉर्पोरेट करने की योजना बनाई थी और इसी के चलते देश में कई जगह रेलवे कर्मचारियों ने इस प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ आंदोलन के रूप में रैली में हिस्सा लिया था।
वर्तमान में इस सन्दर्भ को लेकर सोशल मंचों पर एक वीडियो काफी चर्चा में है, इस वीडियो को वर्तमान में देश भर में चल रहे आंदोलनों में से एक बताया जा रहा है, पोस्ट के शीर्षक में लिखा है:-
“पूरे देश मे लगातार 7 दिन से लाखों “रेलवे कर्मचारी” निजीकरण के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं लेकिन देश को पता ही नही चल रहा है…. क्यों ???”
इस वीडियो को विभिन्न सोशल मंचों पर काफी तेज़ी से साझा किया जा रहा है। वायरल हो रहे वीडियो के साथ उसमें दिखाये गये दृश्य की तस्वीरें भी इंटरनेट पर वायरल हो रहे दावे के साथ साझा की जा रही हैं।
आर्काइव लिंक
अनुसंधान से पता चलता है कि…
जांच की शुरुवात हमने इंवीड टूल के माध्यम से रीवर्स इमेज सर्च करने से की, परिणाम में हमें वायरल हो रहे पोस्ट जैसा ही एक पोस्ट मिला जो 2019 में पोस्ट किया गया था। इससे हमें अनुमान हुआ कि वायरल हो रहा वीडियो 2020 का नहीं है, और अधिक जाँच करने पर हमें एक समाचार लेख मिला जिसमें इस वीडियो में दिखाई दे रहे दृश्य की एक तस्वीर दिखाई गई है। रेल समाचार नामक वेबसाइट पर हमें एक समाचार लेख मिला जिसमें सात रेलवे उत्पादन कंपनियों के नाम लिखे हुए है और इन्हीं को ध्यान में रखते हुए हमने कीवर्ड सर्च के माध्यम से वायरल हो रहा वीडियो मूल रूप से किस जगह का है उसका पता लगाने की कोशिश की।
हमने पाया कि एन.सी.पी के नेता नवाब मलिक ने भी रेल समाचार में प्रसारित की गयी तस्वीरों को वर्ष 2019 में अपने ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया था।
आर्काइव लिंक
जाँच के दौरान हमें द ट्रिब्यून नामक मीडिया कंपनी के यूटूयूब चैनल पर वायरल हो रहा वीडियो मिला जिसके शीर्षक में लिखा है,
“रेल कोच फैक्ट्री के कर्मचारियों ने कपूरथला में निजीकरण के विरोध में रैली निकाली”
इस वीडियो को द ट्रिब्यून ने 9 जुलाई 2019 को प्रसारित किया था।
जाँच के दौरान हमें कुछ समाचार लेख भी मिले जिन्होंने 2019 में कपूरथाला में हुए इस विरोध प्रदर्शन के बारे में रिपोर्ट की थी।
इसके पश्चात हमने कपूरथाला में स्थित रेल्वे कोच फैक्ट्री के पी.आर.ओ जितेश कुमार से संपर्क किया उनके द्वारा हमें बताया गया कि,
“ऐसे आंदोलन कपुरथाला में पिछले डेढ़ सालों से चलते आ रहे है। जब से केंद्र सरकार ने निजीकरण के लिए 100 दिनों का एजेंडा तय किया था तब से ये आंदोलन जारी है। सरकार के 100 दिनों के एजेंडा के तहत रेलवे के जितने भी उत्पादन इकाई है, उनका अगर निजीकरण करना हो तो उस पर अभियान करने के लिए सर्क्युलर जारी किया था, परंतु निजीकरण करने का कोई निर्णय नहीं हुआ था और इसके बाद से लोगों ने यहाँ लगभग हर महीने आंदोलन करना शुरू कर दिया है। रेलवे में कई तरह की यूनियन है जैसे मजदूर यूनियन, एमप्लोई यूनियन, मेन्स् यूनियन और यही सब यूनियन के सदस्य व उनके प्रतिनिधि आंदोलन में भाग लेते है, वायरल हो रहा वीडियो वर्तमान का नहीं है ये वीडियो पिछले साल का है, इसे वर्तमान कोरोनाकाल का बता वायरल करना गलत है।“
निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त दावे को गलत पाया है। वायरल हो रहा वीडियो पंजाब के कपूरथाला से 2019 में हुये आंदोलन का है।
Title:कपूरथला (पंजाब) के एक पुराने वीडियो को वर्तमान में रेलवे निजीकरण के खिलाफ हो रहे आंदोलन का बताया जा रहा है ।
Fact Check By: Rashi JainResult: False
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