पिछले दिनों में म्यांमार में चुनाव संपन्न हुए है, जिसके चलते सोशल मंचों पर कई गलत व भ्रामक खबरें वायरल की जा रही है, ऐसी ही एक खबर अभी काफी चर्चा में है। वायरल हो रही खबर के मुताबिक म्यांमार में मुस्लिम समुदाय के लोगों को उनके मतदान करने के अधिकार से वर्जित किया गया है।
फेसबुक पोस्ट में लिखा है,
“म्यांमार दुनिया का पहला देश बना जहां मुसलमानों को मतदान का अधिकार समाप्त कर दिया गया है।“
अनुसंधान से पता चलता है कि…
फैक्ट क्रेसेंडो ने जाँच के दौरान पाया कि उपरोक्त दावा गलत है।
सबसे पहले हमने कीवर्ड सर्च के माध्यम से ये पता लगाने की कोशिश की कि क्या सच में म्यांमार में मुस्लिम समुदाय के लोगों से उनके मतदान करने का अधिकार को छिना गया है, परिणाम में हमें कई समाचार लेख मिले जिनमें लिखा था कि इस वर्ष हुए चुनाव में रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय के लोगों को चुनाव में मतदान नहीं करने दिया गया क्योंकि ये लोग आधिकारिक तौर पर म्यांमार के नागरिक नहीं है।
हमें द वायर का समाचार लेख मिला जिसके मुताबिक हालही में म्यांमार में हुए चुनाव में रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय के चार उम्मीद्वारों को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहराया गया क्योंकि उनके माता-पिता की नागरिकता की स्थिति म्यांमार के चुनाव कानून के मुताबिक नहीं थी। समाचार लेख में यह भी लिखा है कि, देश के चुनाव कानून की धारा 10 (ई) के अनुसार, उम्मीदवार के माता-पिता दोनों को जन्म के समय म्यांमार के नागरिक होना आवश्यक है।
इसके पश्चात हमें टाइम का एक समाचार लेख मिला जिसमें लिखा है कि 8 नवंबर 2020 को हुए मतदान में रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय के लोगों को मतदान नहीं करने दिया गया था। म्यांमार में सैन्य शासन के अंत के बाद इस वर्ष यह दूसरा चुनाव था जब रोहिंग्या मुस्लिमों को मतदान नहीं करने दिया गया, इसके पहले वे मतदान किया करते थे।
इसके पश्चात हमने यह जानकारी हासिल करने की कोशिश की कि किन लोगों को म्यांमार में इस वर्ष हुए चुनाव में मतदान करने से वर्जित किया गया था। हमने कीवर्ड सर्च के माध्यम से इसकी जाँच की व हमें द गार्डियन का समाचार लेख मिला जिसमें लिखा है कि,
संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में जातीय अल्पसंख्यकों के लगभग 1.5 मिलियन मतदाताओं को सुरक्षा चिंताओं के कारण, चुनाव में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गयी। उनमें से राखीन राज्य में कई राखाइन बौद्ध हैं। इसके अलावा, लगभग 1.1 मिलियन रोहिंग्या, जिन्हें लंबे समय से नागरिकता और मतदान के अधिकार से वंचित रखा गया है।
निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने पाया है कि उपरोक्त दावा गलत है। म्यांमार में संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में लगभग 1.6 मिलियन मतदाता व लगभग 1.1 मिलियन रोहिंग्या को चुनाव में भाग नहीं लेने दिया गया था, उपरोक्त दावा जो कि मुसलमानों को लेकर किया गया है वो गलत है, अगर कोई मुस्लिम म्यांमार का नागरिक है तो वो आधिकारिक रूप से मतदान का अधिकारी है ।
Update (2-12-2020)
हमने उपरोक्त दावे की पुष्टि करने के लिए म्यांमार के थार यार टाउनशिप के सब इलेक्शन कमीशन के सचिव, उ ये कउ थू से संपर्क किया औऱ उन्होंने हमें बताया कि, “ म्यांमार में धर्म पर आधारित कोई भेदभाव या मुस्लिम समुदाय को लक्षित करने वाला कोई भी ऐसा कानून नहीं है जो इन लोगों को मतदान करने से रोके। हर व्यक्ति जो म्यांमार का नागरिक है या नागरिक बनने का अधिकार रखता है और अठारह वर्ष से अधिक आयु का है वह चुनाव में मतदान कर सकते हैं।”
Title:क्या म्यांमार ने मुस्लिम समुदाय के लोगों के मतदान अधिकार को समाप्त कर दिया है?
Fact Check By: Rashi JainResult: False
वायरल वीडियो अप्रैल का है, जब पाकिस्तान के पंजाब में पाकिस्तान एयर फोर्स का एक…
अगर आप भारत और पाकिस्तान के टीवी न्यूज़ चैनल पर दिखाए जा रहे समाचारों को…
इस वीडियो के सहारे ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना के जवान का पाकिस्तान के हमले…
पहलगाम आतंकी हमले के विरुद्ध ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत की सैन्य कार्रवाई की बौखलाहट…
वायरल वीडियो का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से कोई लेना- देना नहीं है। पाकिस्तानी न्यूज़ एंकर फरवा…
पहलगाम आतंकी हमले के विरुद्ध ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत की सैन्य कार्रवाई की बौखलाहट…