यह वीडियो २०१४ में गोपालगंज बिहार के मुहर्रम जुलुस का है और इसमें अलग से ऑडियो जोड़ा गया है जोकि २०१७ के एक विरोध प्रदर्शन का है |

५ जुलाई २०१९ को Ai MiM Rayachoty youth नामक एक फेसबुक यूजर ने एक वीडियो  पोस्ट किया, जिसके शीर्षक में लिखा गया है कि “तबरेज अंसारी के समर्थन में आगरा में सबसे बड़ा जुलूस निकला हिंदुस्तान में रहना होगा अल्लाह हू अकबर कहना होगा दलित मुस्लिम मिलकर निकाला जुलूस” | लाठी-डंडों और तलवारों से लैस पुरुषों का एक वीडियो, जहां उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बजरंग दल और शिवसेना के खिलाफ नारे लगाते हुए सुना जा सकता है, इस वीडियो  को सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा है, वीडियो  के माध्यम से यह दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो आगरा का है, जहां पिछले दिनों झारखंड में मॉब लिंचिंग के शिकार तबरेज अंसारी के समर्थन में मुसलमानों ने जुलूस निकाला था | वीडियो में दिखाए लोग अपने हाथों में तलवार व डंडे लेकर “शिवसेना हाय हाय और बजरंग दल हाय हाय” के नारे लगा रहे है | इस वीडियो को अलग अलग सोशल मीडिया के मंचों पर काफ़ी तेजी से फैलाया जा रहा है | फैक्ट चेक किये जाने तक यह वीडियो  ९१३१ प्रतिक्रियाएं व २६६००० व्यूज प्राप्त कर चूका था |

फेसबुक पोस्ट | आर्काइव वीडियो  

इस वीडियो को ध्यान से देखने पर हमें यह नज़र आता है कि वीडियो में एक भी आदमी नारे लगाते हुए नहीं दिखा रहा था और इसी बात पर हमें इस वीडियो की सत्यता पर संदेह हुआ, और हमने सच्चाई जानने की कोशिश की | 

संशोधन से पता चलता है कि..

जांच की शुरुआत हमने इस वीडियो को इनविड टूल का इस्तेमाल कर छोटे छोटे कीफ्रेम्स में तोडा व उनका गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया, जिसके परिणाम से हमें एक यूट्यूब लिंक मिला | हमें यूट्यूब पर २ मिनट ३८ सेकंड का लंबा मूल वीडियो मिला, यह वीडियो ४ नवंबर २०१४  को यूट्यूब पर अपलोड किया गया था | इस वीडियो के शीर्षक में लिखा गया है कि “गोपालगंज मुहर्रम २०१४”, इस वीडियो में शुरुआत में ताजिए भी नजर आ रहे हैं | इस वीडियो  के ऑडियो में किसी तरह के नारे सुनाई नहीं देते, बल्कि हमें केवल ढोल की आवाज सुनाई देती है |

हमने पाया कि तबरेज़ अंसारी की मृत्यु से बहुत पहले से ही यह वीडियो इंटरनेट पर उपलब्ध था | साथ ही, वीडियो में ऑडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है और नारों को बाहरी रूप से जोड़ा गया है |  नीचे आप दोनों वीडियो  की तुलना देख सकते है |

इसके पश्चात हमने वायरल वीडियो में सुनाई दे रहे नारों को ढूँढा, गूगल सर्च पर “हिंदुस्तान में रहना होगा अल्लाह हू अकबर कहना होगा” इन कीवर्ड्स को सर्च करते हुए हमें एक यूट्यूब वीडियो  मिला | यूट्यूब पर इस वीडियो  को १७ दिसंबर २०१७ को अपलोड किया गया था | इस वीडियो  के शीर्षक में लिखा गया है कि “हिंदुस्तान में रहना होगा अल्लाह ओ अकबर कहना होगा ??? ”, यह वीडियो  उदयपुर का है | इस वीडियो में सुनाई दे रहा ऑडियो, वायरल वीडियो के ऑडियो से मेल खाता है | इस ऑडियो में “शिवसेना हाय हाय, बजरंग दल हाय हाय और हिंदुस्तान में रहना होगा” वाले नारे सुने जा सकते हैं | यह वीडियो इंडिया टुडे द्वारा प्रसारित बुलेटिन का एक हिस्सा है |

इसके पश्चात हमें इस जुलुस का मूल वीडियो भी मिला, जहाँ हम वायरल वीडियो में दिए गए नारे सुन सकते हैं | इस वीडियो  को २९ दिसंबर २०१७ को प्रकाशित किया गया था |

दरअसल, कथित लव जेहाद के नाम पर एक मुस्लिम युवक की हत्या के आरोपी शंभूलाल रैगर के विरोध में उदयपुर के चेतक सर्कल पर मुस्लिम समुदाय ने रैली का आयोजन किया था | इस खबर को ७ दिसंबर २०१७ को हिंदुस्तान टाइम्स ने भी प्रकाशित किया था | ८  दिसंबर २०१७  को किए गए इस विरोध प्रदर्शन में लगाए गए इन नारों के ऑडियो को वायरल वीडियो के साथ जोड़ दिया गया है |

हिंदुस्तान टाइम्स | आर्काइव लिंक | स्क्रॉल | आर्काइव लिंक 

इंडिया टीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, उक्त घटना १३ दिसंबर २०१७ को उदयपुर में हुई, जहां शिवसेना, बजरंग दल और पीएम मोदी के खिलाफ इसी तरह के नारे लगाए गए |

झारखंड में तबरेज की मौत के विरोध में १ जुलाई २०१९ को आगरा में विरोध प्रदर्शन किया गया था | इस विरोध प्रदर्शन में कुछ लोगों ने पथराव शुरू कर दिया जिसके बाद वहां भगदड़ का माहौल हो गया | पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर बितर किया | कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान जैसे अमर उजाला  ने इस घटना को कवर किया था | 

अमर उजाला | आर्काइव लिंक 

निष्कर्ष: तथ्यों एक जांच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | वायरल वीडियो आगरा में हुए विरोध प्रदर्शन का नहीं है, साथ ही इस वीडियो का ऑडियो भी बदला गया है | मूल वीडियो मुहर्रम के जुलूस का है जो २०१४ को गोपालगंज बिहार में हुआ था और ऑडियो एक विरोध प्रदर्शन से है जो २०१७ में राजस्थान के उदयपुर में हुआ था | 

Title:यह वीडियो २०१४ में गोपालगंज बिहार के मुहर्रम जुलुस का है और इसमें अलग से ऑडियो जोड़ा गया है जोकि २०१७ के एक विरोध प्रदर्शन का है |

Fact Check By: Aavya Ray

Result: False

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