
भारत में कोरोना की दूसरी लहर व नये स्ट्रेन के चलते महाराष्ट्र व कई अन्य राज्यों में काफी बड़ी संख्या में कोरोना से संक्रमित लोग नित्य पाये जा रहे है। महाराष्ट्र इस समय कोरोना की सबसे भयंकर मार झेल रहा है और ऐसे में इंटरनेट पर कोरोना संक्रमितों को लेकर कई गलत व भ्रामक वीडियो महाराष्ट्र से जोड़कर गलत दावे के साथ फैलाये जा रहे है। फैक्ट क्रेसेंडो ने ऐसे कई वीडियो का पूर्व में भी अनुसंधान कर उनकी प्रमाणिता अपने पाठकों तक पहुंचाई है। वर्तमान में ऐसा ही एक वीडियो इंटरनेट पर इस दावे के साथ वायरल हो रहा है कि महाराष्ट्र के अकोला में कोरोना से संक्रमित मरीज़ ज़मीन पर पड़े हैं। इस वीडियो में आप कुछ लोगों को ज़मीन पर लेटे हुए देख सकते है।
वायरल हो रहे पोस्ट के शीर्षक में लिखा है,
“महाराष्ट्र में कोरोना की भयावहता। अकोला, महाराष्ट्र, भारत।“
इस वीडियो को इंटरनेट पर काफी तेज़ी से साझा किया जा रहा है।
अनुसंधान से पता चलता है कि…
फैक्ट क्रेसेंडो ने जाँच के दौरान पाया कि वायरल हो रहा वीडियो गुजरात के मोरबी का है। वीडियो में दिख रहे लोग कोरोना से संक्रमित नहीं है व इस वीडियो का महाराष्ट्र के अकोला से कोई संबद्ध नहीं है।
जाँच की शुरुवात फैक्ट क्रेसेंडो ने अकोला के जिला अधिकारी जितेंद्र.एस.पपलकर से संपर्क कर के की व उनसे जानने की कोशिश की कि क्या वायरल हो रहा वीडियो महाराष्ट्र के अकोला से है। उन्होंने इस दावे को गलत बताते हुए कहा कि, “वायरल हो रहा दावा सरासर गलत है। यह वीडियो अकोला का बिलकुल भी नहीं है।“
इससे यह तो स्पष्ट हो गया कि यह वीडियो महाराष्ट्र के अकोला का नहीं है, इसके पश्चात हमने इस वीडियो के उद्गम के बारे में जानने की कोशिश व जाँच कर ये पता लगाने से की कि क्या वास्तव में ये वीडियो करोना संक्रमितों से संदर्भित है…
हमने गूगल पर कीवर्ड सर्च के ज़रिये वायरल हो रहे वीडियो की जाँच की, हमें टाइम्स ऑफ इंडिया का एक समाचार लेख मिला जिसमें वीडियो में दिख रहे दृश्य की तस्वीर प्रकाशित की गयी है। समाचार लेख के मुताबिक यह वीडियो गुजरात के मोरबी का है, जहाँ कैप्सन टाइल्स नामक एक सिरेमिक फैक्टरी में उनके कुछ बीमार मजदूरों का इलाज फैक्टरी में ही किया गया था क्योंकि शहर के अस्पतालों में जगह नहीं थीं व चूँकि ये कोविड के मरीज़ नहीं थे, इस वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं कराया गया था।
यह समाचार लेख इस वर्ष 3 अप्रैल को प्रकाशित किया गया था।
तत्पश्चात हमने यूट्यूब पर अधिक कीवर्ड सर्च किया तो हमें झी 24 कलक के आधिकारिक चैनल पर वायरल हो रहा यही वीडियो प्रसारित किया हुआ मिला। वीडियो के शीर्षक में लिखा है, :मोरबी- अस्पताल में जगह की कमी के कारण लीफ शेड के अंतर्गत रोगियों का उपचार|” यह वीडियो इस वर्ष 2 अप्रैल को प्रसारित किया गया था। इस वीडियो में इस पूरे प्रकरण की रिपोर्ट दिखायी गयी है।
इसके पश्चात फैक्ट क्रेसेंडो ने कैप्सन टाइल्स फैक्टरी के मालिक अरुण पटेल से संपर्क किया व उनसे इस वीडियो के संदर्भ में जानकारी ली, उन्होंने हमें बताया कि, “वायरल हो रहा वीडियो मेरे ही फैक्टरी का है। मेरे यहाँ काम कर रहे 6-7 मजदूरों की तबीयत खराब हो गयी थी तो मैंने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने के लिए डॉक्टर से बात की थी, हमने उन मजदूरों का कोविड टेस्ट भी कराया था परंतु टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव आने की वजह से डॉक्टर ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करने से इनकार कर दिया व उनका इलाज फैक्टरी पर ही करने की सलाह दी। इसके बाद मैंने इलाज फैक्टरी में करवाया और इलाज करने के लिए एक डॉक्टर भी था। यह कुछ दस दिन पहले की बात है। उन सभी को मौसमी बुखार था और अब वे बिलकुल ठीक है व काम भी कर रहे हैं।“
इसके बाद उपरोक्त सबूतों की पुष्टि करने हेतु फैक्ट क्रेसेंडो ने मोरबी के जिला स्वास्थ्य अधिकारी जे.एम कटिरा से बात की, जिन्होंने हमें बताया, “कैप्सन सिरेमिक कंपनी का वीडियो, जो कि वायरल हुआ था उमसे सभी लोगों को वायरल संक्रमण के कारण बुखार और सर्दी होने की वजह से अस्पताल जाने को कहा गया था वे जब अस्पताल पहुंचे तो अस्पताल में जगह की कमी के कारण और कोरोना से संक्रमित होने से बचाने के लिए, कारखाने के मालिक ने डॉक्टरों के निर्देश के अनुसार उन्हें अपने कारखाने की शेड में ही इलाज कराया था। वर्तमान में ये सभी लोग स्वस्थ हैं। कोरोना से संक्रमित होने की जानकारी पूरी तरह से झूठी है।”
निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने पाया कि उपरोक्त दावा गलत है| वायरल हो रहा वीडियो गुजरात के मोरबी का है। वीडियो में दिख रहे लोग कोरोना से संक्रमित नहीं है व इस वीडियो का महाराष्ट्र के अकोला से कोई संबद्ध नहीं है।
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Title:टाइल फैक्टरी में सामान्य बीमार मजदूरों के इलाज के वीडियो को महाराष्ट्र में करोना की भयावह स्थिति का बता वायरल किया जा रहा है।
Fact Check By: Rashi JainResult: False
