सोशल मीडिया मंचों पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक आदमी को पेड़ से बंधा हुआ देखा जा सकता है, और कथित तौर पर उसे मनुष्य का मूत्र पीने के लिए मजबूर किया जा रहा है | वीडियो को व्यापक रूप से इस दावे के साथ प्रसारित किया जा रहा है कि यह वीडियो राजस्थान से है जहाँ एक चमार दलित व्यक्ति पर उच्च जाति के पुरुषों द्वारा हमला किया गया है | हालाँकि, हमने पाया कि इस घटना का सम्बन्ध किसी भी जातिगत मुद्दे से नहीं है और यह घटना वास्तव में सजातीय है|
अनुसंधान से पता चलता है कि…
जाँच की शुरुवात हमने उपरोक्त वीडियो के बारें में संबंधित ख़बरों को गूगल पर कीवर्ड सर्च करने से किया जिसके परिणाम से हमें ३१ जुलाई २०२० को द हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा प्रकाशित एक खबर प्राप्त हुई | हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह घटना चोहटन ब्लॉक, बाड़मेर के रतनपुरा गाँव में हुई थी, इस घटना का होने का मुख्य कारण इस व्यक्ति का एक विवाहिता के साथ अवैध संबंध था | इस रिपोर्ट में इस घटना के साथ किसी भी प्रकार के सांप्रदायिक जुड़ाव का उल्लेख नहीं किया गया था |
तद्पश्चात इस घटना के बारें में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए फैक्ट क्रेसेंडो ने बाड़मेर के एडिशनल एस.पी खिंव सिंह भाती से समपर्क किया, उन्होंने हमें बताया कि
“चोहटन ब्लॉक में इस तरह की एक घटना हुई थी, लेकिन वहाँ कोई जाति कोण नहीं था और इसमें सभी लोग एक ही जाति के थे | इस मामले से जुड़े सारे लोग भील जाति के थे यानी एक ही समुदाय के थे | पीड़ित ने दूसरे आदमी के घर में रात बिताई थी जब वह व्यक्ति घर पर मौजूद नहीं था और उसकी पत्नी वहां मौजूद थी | जब उस व्यक्ति के परिवार वालों को पता चला, तो उन्होंने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया और उसके साथ मारपीट की और उसे पेशाब पीने के लिए मजबूर किया | बाद में, इस घटना में शामिल लोगों ने व पीड़ित के परिवार वालों ने पुलिस से संपर्क किए बिना आपस में इस मामले में सुलह कर ली थी| जब हमें इस घटना के बारे में पता चला, तो हमने सुओ मोटो शिकायत दर्ज की और प्राथमिकी में छह लोगों को नामजद किया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया |” यह पूछे जाने पर कि उसे पीने के लिए क्या दिया गया था, ए.एस.पी भाती ने कहा कि इसका परीक्षण नहीं किया गया था, इसलिए इसे सत्यापित नहीं किया जा सकता है, लेकिन पुलिस को दोनों समूह द्वारा ये ही बताया गया था कि पीड़ित को पेशाब पिलाई गयी थी |
फैक्ट क्रेसेंडो ने बाड़मेर के एस.पी आनंद शर्मा से भी इस प्रकरण के सन्दर्भ में संपर्क किया, उन्होंने भी एडिशनल एस.पी खिंव सिंह भाती के उपरोक्त वक्तव्य की पुष्टि करते हुये हमें बताया कि
“इस घटना के साथ फैलाया गया विवरण गलत है क्योंकि इस घटना में जितने लोग शामिल थे सब एक ही समुदाय के है | इस घटना के चलते किसी दलित पर उच्च जाति के हिन्दू पुरुषों द्वारा उत्पीड़न करने वाली बात गलत है | इस मामले में ६ लोगों को गिरफ्तार किया गया है |”
हमने पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी की एक छायाप्रति प्राप्त की और पाया कि सभी पुरुष वास्तव में एक ही जाति के थे | प्राथमिकी में यह भी उल्लेख किया गया है कि घटना २५ जुलाई को हुई थी और यह २८ जुलाई को पुलिस के संज्ञान में आई थी, जिसके बाद कार्रवाई की गई थी |
CamScanner-07-31-2020-07.02.59बाड़मेर पुलिस ने इस मामले को लेकर ट्विटर पर भी एक स्पष्टीकरण जारी किया है जिसमे लिखा गया है कि “इस वीडियो में दिखाया गया है कि एक दलित व्यक्ति को एक प्रमुख जाति द्वारा प्रताड़ित किया गया था लेकिन वास्तव में यह मामला एक पारिवारिक विवाद का है। पुलिस ने ६ आरोपियों की गिरफ्तारी करके एक सुओ-मोटो एफआईआर दर्ज की है |”
निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात् हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | एक व्यक्ति को पेड़ से बांधने, पीटने और जबरन मूत्र पिलाने का वीडियो गलत दावे के साथ साझा किया जा रहा है कि यह उच्च जातीय वालों द्वारा दलित उत्पीड़न का एक उदाहरण है | असल में यह मामला एक ही जाति के लोगो के बीच हुआ है जिसके चलते ६ लोगों को गिरफ्तार किया गया है | इस घटना के साथ जातिगत भेदभाव का कोई संबंध नही है |
Title:आदमी को जबरन मूत्र पिलाने के वीडियो को जातिगत द्वेष से जोड़ फैलाया जा रहा |
Fact Check By: Aavya RayResult: False
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