पीएम मोदी ने काटी पाकिस्तान की सप्लाई लाइन, इमरान बोले सुसाइड कर दूंगा, क्या यह सत्य है?
१३ फरवरी २०१९ को साझा इस इंडिया टीवी के पोस्ट की हैडलाइन में कहा गया है की पीएम मोदी ने काटी पाकिस्तान की सप्लाई लाइन, इमरान बोले सुसाइड कर दूंगा | इस पोस्ट पर पांच हजार के करीब लाइक, शेयर, कमेंट्स की गई | क्या सच में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सुसाइड की बात कही? क्या यह शीर्षक सही है?
देखते है खबर क्या है....
असल में खबर है पाकिस्तान के बदतर आर्थिक हालात की | खबर में कहा गया है कि पाकिस्तान पर ३० हज़ार अरब का कर्ज़ है । मुल्क की ६० फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जी रही है । हर पाकिस्तानी करीब डेढ़ लाख रुपये का कर्ज़दार है और इस मुल्क का रुपया गर्त में समा चुका है। २०२५ तक पाकिस्तान में पानी ख़त्म हो जाएगा लेकिन पाकिस्तानी हुक्मरानों को अब भी बम-बारूद और दहशतगर्दी के सिवाय कुछ नजर नहीं आता और इन्हीं करतूतों ने पाकिस्तान को भिखमंगा मुल्क बना दिया है और ये सब हुआ है भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण ।
खबर में यह भी कहा गया है कि भारत द्वारा पीओके में की गई सर्जिकल स्ट्राइक एवं मोदी के विदेश नीति की वजह से पाकिस्तान को यह दिन देखने पड रहे है | इसके अलावा पाकिस्तानी टीवी चैनल पर चल रही विभिन्न चर्चाओं का भी जिक्र है, जिसमे भाग लेने वाले वक्ताओं ने इमरान खान को सुसाइड करने की सलाह तक दे डाली |
सुसाइड शब्द का सन्दर्भ....
बस्स | सुसाइड का खबर की हैडलाइन में जो उल्लेख है वह सिर्फ इसी सन्दर्भ में आता है की टीवी चर्चाओं में भाग लेने वाले वक्ताओं ने इमरान खान को सुसाइड करने की सलाह दी | खबर में यह कहीं भी नहीं कहा गया है कि इमरान खान ने सुसाइड करने की बात खुद कही, जैसा कि हैडलाइन में कहा गया है |
तथ्यों की जांच का परिणाम : इससे ये स्पष्ट होता है कि पाकिस्तानी टीवी चैनल पर चल रही विभिन्न चर्चाओं में भाग लेने वाले वक्ताओं ने इमरान खान को सुसाइड करने की सलाह दी है | न कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सुसाइड की बात कही है | उपरोक्त खबर का शीर्षक पाठकों को किसी और बात की तरफ ले जाता है जबकि नीचे की खबर में बात कोई और कही गयी है | अतः यह गलत शीर्षक (FALSE HEADLINE) का मामला है |
Title: पीएम मोदी ने काटी पाकिस्तान की सप्लाई लाइन, इमरान बोले सुसाइड कर दूंगा, क्या यह सत्य है? Fact Check By: Rajesh Pillewar Result: FALSE HEADLINE (गलत शीर्षक) |