क्रिसलर के अंतरिक्ष शटल प्रोग्राम के एक एनिमेटेड वीडियो को सूर्यायान का बता कर गलत सन्दर्भ में साझा किया गया है।

चंद्रयान 3 की कामयाबी के बाद भारत सूरज पर जाने की तैयारी में जुटा है। सूर्य का अध्यन करने के लिए भारतीय स्पेस एजेंसी यानी कि इसरो 2 सितंबर को एक सौर्य मिशन शुरू करने जा रहा है, जिसका नाम आदित्य L1 रखा गया है। इसके लिए ज़ोर शोर से तैयारी की जा रही है। वहीं इसरो के अगले मिशन के लिए सोशल मीडिया पर इससे जुड़े पोस्ट वायरल हो रहे हैं। इस बीच एक यूज़र द्वारा व्यापक रूप से एक ऐसा वीडियो वायरल हुआ है। जिसमें एक स्पेस शटल को उड़ान भरते दिखाया गया है। दावा किया गया है कि ये सूर्या यान 1 का वीडियो है जो अपनी उड़ान भर रहा है। वायरल वीडियो में लिखा गया है कि…

भारत का सूर्य यान 1

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अनुसंधान से पता चलता है कि…

वीडियो सम्बन्धी पड़ताल के लिए हमने गूगल पर की-वर्ड सर्च किया और ये जानकारी जुटाई कि सूर्ययान मिशन को लेकर ताज़ा अपडेट क्या है ? क्यूँकि जिस दिन चंद्रयान 3 की चंद्रमा पर लैंडिंग हुई थी इसकी सफलता के दौरान ही पीएम मोदी द्वारा यह घोषणा कि गयी थी अब बारी सूरज पर जाने की है जिसके लिए आदित्य L1 को सितम्बर में लांच किया जायेगा। इस दौरान 27 अगस्त 2023 को यूट्यूब पर टाइम्स नाउ नवभारत द्वारा एक वीडियो अपलोडेड मिला। वीडियो के नीचे लिखा गया था कि ISRO ने सूर्यायान के लिए 'Aditya L-1' को किया तैयार, लांच की तारीख भी की जारी।

इसके बाद हमने स्क्रीन शॉट्स से तस्वीर निकाल कर गूगल लेंस से खोज को आगे बढ़ाया। परिणाम में हमें हेज़ग्रेयर्ट द्वारा यूट्यूब पर अपलोड किया हुआ वहीं वीडियो दिखाई दिया जो वायरल वीडियो में दिख रहा है। वीडियो 3 जून 2020 को अपलोड किया गया था जिसके नीचे लिखे डिस्क्रिप्शन में यह बताया गया कि क्रिसलर के अंतरिक्ष शटल प्रस्ताव के तहत एसएसटीओ सर्व और एमयूआरपी। और आगे पढ़ने पर ये पता चला कि 1971 में क्रिसलर एयरोस्पेस को सैटर्न 1 और 1बी प्रथम चरण के लिए पहले से ही अनुबंधित किया गया था। जहां उन्होंने एक वैकल्पिक शटल कार्यक्रम, SERV और MURP SERV का प्रस्ताव रखा।

डिस्क्रिप्शन में इसके ढांचे के बारे में बताया गया है। वहीं वीडियो के नीचे लिखे कमेंट को ध्यान से पढ़ने पर भी पता चला कि वीडियो ग्राफ़िक्स द्वारा तैयार किये गए है जो एनिमेटेड है। जबकि वायरल वीडियो वाले दृश्य 0 : 59 से दिखाई देते हैं।

इसी शीर्षक के साथ वीडियो से जुड़ा एक छोटा सा पोस्ट पिनटेरेस्ट की वेबसाइट पर साझा किया हुआ मिला।

आगे बढ़ते हुए हमें द ड्राइव नाम की एक वेबसाइट पर एक रिपोर्ट मिली जिसमें वायरल वीडियो साझा किया हुआ था। जबकि रिपोर्ट में ये बताया गया कि क्रिसलर का रेडिकल स्पेस शटल डिज़ाइन अपने समय से 50 साल आगे था। ये भी बताया गया कि किस प्रकार एक कार कंपनी क्रिसलर कॉर्पोरेशन के पास एक एयरोस्पेस विभाग हुआ करता था। हालाँकि यह स्पष्ट रूप से आज अपनी कारों की तरह उतनी अच्छी तरह से याद नहीं किया जाता है, क्रिसलर ने वास्तव में सैटर्न वी के पूर्ववर्ती रेडस्टोन रॉकेट बनाए थे, जिन्होंने बुध अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा था, और बोइंग के साथ-साथ सैटर्न वी का पहला, सबसे बड़ा प्रयोग तैयार किया था। इन सभी अद्भुत परियोजनाओं को पूरा करने के बाद, अंतरिक्ष कार्यक्रम बंद होना शुरू हो गया। राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के तहत कटौती का मतलब था कि महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पर खर्च करने के लिए कम पैसा था। हालाँकि, क्रिसलर अभी भी नासा के बजट का एक हिस्सा चाहता था। यह अंतरिक्ष यान के निर्माण में विशेषज्ञ था और ऐसा करना जारी रखना चाहता था। इसकी इच्छा तब पूरी हुई जब 1972 में शटल कार्यक्रम आया।

इसी प्रकार की मिलती जुलती रिपोर्ट हमने सिआ मैगज़ीन, फाल्स स्टेप्स वर्ड प्रेस डॉट कॉम की वेबसाइट पर प्रकाशित देखी। इनमें से कहीं भी सूर्यायान का नाम नहीं था।

इससे ये साफ़ हुआ कि वायरल वीडियो भारत के सूर्यायान का नहीं है।

निष्कर्ष-

तथ्यों की जाँच से ये पता चलता है कि वायरल वीडियो को भारत का सूर्यायान का बता कर गलत दावा किया गया है। असल में ये एक एनिमेटेड वीडियो है जो 1972 में क्रिसलर द्वारा SERV और MURP SERV का एक प्रायोजित मॉडल था।

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Title:सूर्यायान अभी लांच नहीं हुआ है ये वीडियो गलत दावे से वायरल है।

Written By: Priyanka Sinha

Result: False