२ मई २०१९ को फेसबुक पर ‘GangaBopaiah’ नामक एक यूजर द्वारा एक पोस्ट साझा किया गया है | पोस्ट में एक फोटो दिया गया है | फोटो में कचरे के डिब्बों जैसे दिखने वाले बॉक्सेस दिखाई दे रहे है बाजू में कुछ लोगों के पैर दिखाई दे रहे है, जिन्होंने आर्मी की पैंट पहनी हुई है | पोस्ट के विवरण में अंग्रेजी में जो लिखा है उसका सरल हिंदी भाषांतरण इस प्रकार है – नहीं, ये कचरे के डिब्बे नहीं है | यह हमारे शूरवीर पुलिसवालों के शव है, जो गडचिरोली के नक्सल हमले में मारे गए | हमारी राष्ट्रवादी बीजेपी इस तरह हमारे सुरक्षा जवानों के साथ कैसे सुलूक करती है, देखिये | इस तरह की दुर्घटनाओं का वोट के लिए इस्तेमाल करना, यही उनका असली मकसद है | जब आप मतदान के लिए जाओगे, तो इस बात को ध्यान में रखना |

अंग्रेजी में लिखा विवरण इस प्रकार है –

No, these aren't garbage boxes.
These are dead bodies of our brave policemen who were killed in the ghastly #GadchiroliNaxalAttack

This is how nationalist BJP treats our security forces. Their only motive is to milk such tragedies for vote. Remember this when you vote.

इस पोस्ट द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि यह कचरे के डिब्बे है तथा उनमें गडचिरोली के नक्सल हमले में मारे गए पुलिसवालों के शव है | क्या सच में ऐसा कुछ हुआ था? आइये जानते है इस पोस्ट के दावे की सच्चाई |

ARCHIVE POST

संशोधन से पता चलता है कि...

हमने सबसे पहले इस तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च में ढूंढा, तो हमें जो परिणाम मिले वह आप नीचे देख सकते है |

इस परिणाम से हमें oneindia समाचार वेबसाइट पर ९ अक्तूबर २०१७ को प्रसारित एक खबर मिली, जिसमे लिखा गया है कि, अरुणाचल प्रदेश में हुए एक चॉपर क्रेश में सात जवानों की मौत हो गई थी और उनके शव कार्डबोर्ड के खोंकों में रखे गए थे | इसपर स्पष्टीकरण देते हुए आर्मी ने कहा था कि, हमेशा ऐसा नहीं किया जाता है | उस समय कोई दूसरा उपाय न होने की वजह से ऐसा किया गया | इस खबर में वही फोटो इस्तेमाल किया गया है, जो उपरोक्त पोस्ट में गडचिरोली का सन्दर्भ देकर पोस्ट किया गया है |

ARCHIVE ONEINDIA

इसके अलावा हमें इंडिया टीवी की ९ अक्तूबर २०१७ को प्रसारित और एक खबर मिली, जिसमे लिखा है कि, तवांग में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में सात सैन्यकर्मियों की मृत्यु होने के दो दिन बाद इन सैनिकों का शव कथित तौर पर प्लास्टिक की बोरियों में लपेटे होने और कार्डबोर्ड में बंधे होने की तस्वीरें आज सामने आईं। इसको लेकर लोगों में आक्रोश है। इसपर सेना ने एक ट्वीट करके कहा कि स्थानीय संसाधनों से शवों को लपेटना भूल थी और मृत सैनिकों को हमेशा पूर्ण सैन्य सम्मान दिया गया है। उत्तरी सैन्य कमान के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एच एस पनाग ने शवों की तस्वीर के साथ अपने ट्वीट में कहा, सात युवा अपनी मातृभूमि भारत की सेवा करने के लिये कल दिन के उजाले में निकले। इस तरह से वे अपने घर आए। इस खबर में भी वही फोटो इस्तेमाल किया गया है, जो उपरोक्त पोस्ट में गडचिरोली का सन्दर्भ देकर पोस्ट किया गया है |

ARCHIVE INDIATV

इसके बाद यांडेक्स सर्च द्वारा हमें जो परिणाम मिले, उसमे NEWSPOINT की ९ अक्तूबर २०१७ को प्रसारित एक खबर मिली | इस खबर में भी वही सब बातों का जिक्र है, जो उपरोक्त दोनों ख़बरों में है | इस खबर में भी वही फोटो इस्तेमाल किया गया है, जो उपरोक्त पोस्ट में गडचिरोली का सन्दर्भ देकर पोस्ट किया गया है |

ARCHIVE NEWSPOINT

यांडेक्स सर्च से ही हमें अमर उजाला द्वारा १२ अक्तूबर २०१७ को प्रकाशित और एक खबर मिली, जिसमे कहा गया है कि, सन १९९९ में सेना की जरूरत के लिए ९०० बॉडी बैग्स और कास्केट खरीदे गए थे मगर पिछले १७ सालों से वे गोदाम में पड़े हैं। चार लाख अमेरिकी डॉलर के रिश्वत के आरोप लगने के बाद इस मामले की सीबीआई जांच हुई थी जो कि अब खत्म हो चुकी है। अब सेना ने इन सामानों को जल्द से जल्द सौंपे जाने की मांग की है।

ARCHIVE UJALA

इस संशोधन से हमें पता चलता है कि, उपरोक्त पोस्ट में जो फोटो साझा किया गया है वह गडचिरोली के नक्सल हमले में मारे गए जवानों के शवों का नहीं है |

इसके बाद हमने गडचिरोली में नक्सल हमले में मारे गए पुलिसवालों के शवों के बारे में सर्च किया तो हमें टाइम्स ऑफ़ इंडिया का एक ट्वीट मिला, जिसमे शवों को सम्मान के साथ अंतिम विदाई देते हुए एक फोटो दिया गया है | महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनविस मारे गए पुलिसवालों को नमन करते हुए हम इस फोटो में देख सकते है |

ARCHIVE TWEET

जांच का परिणाम : इस संशोधन से यह स्पष्ट होता है कि, उपरोक्त पोस्ट में किया गया दावा की, “नहीं, ये कचरे के डिब्बे नहीं है | यह हमारे शूरवीर पुलिसवालों के शव है, जो गडचिरोली के नक्सल हमले में मारे गए |” सरासर गलत है | यह फोटो दो साल पुराना है जब अरुणाचल प्रदेश में चॉपर गिरने से सात आर्मी जवानों की मौत हुई थी |

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Title:क्या गडचिरोली के नक्सल हमले में मारे गए पुलिसवालों के शव कचरे के डिब्बों में रखे गए थे ?

Fact Check By: Rajesh Pillewar

Result: False