सोशल मंचो पर भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म को लेकर कई पोस्ट साझा किये जाते हैं। ऐसा ही एक पोस्ट इंटरनेट पर काफी तेज़ी से वायरल हो रहा है। इस पोस्ट में आपको दो तस्वीरों का संकलन देखने को मिलेगा। पहली तस्वीर एक बहुत पुरानी तस्वीर है वहीँ दूसरी तस्वीर वर्तमान की तस्वीर है, इन तस्वीरों के संकलन के साथ जो दावा वायरल हो रहा है, उसमें इन दोनों तस्वीरों को तुलनात्मक विश्लेषण कर कहा जा रहा है कि प्राचिन काल में भी वर्तमान की तरह प्राणवायु टैंक लगाकर स्विमिंग होती थी। वर्तमान में भी विज्ञान द्वारा सनातनी धर्म के विज्ञान का प्रयोग हो रहा है।

वायरल हो रहे पोस्ट के शीर्षक में लिखा है,

#सनातनकाविज्ञान, हमें गर्व है सनातन धर्म संस्कृति और सभ्यता पर। विश्व कि सबसे उन्नत सभ्यता और विज्ञान भारत की थी।

तस्वीर में दी गयी जानकारी में लिखा है,

प्राचीनकाल में भी प्राणवायु टैंक लगाकर स्विमिंग होती थी, और वही तरीका आज है। साफ और स्पष्ट रुप से समानताएँ दिख रही है।

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अनुसंधान से पता चलता है कि...

फैक्ट क्रेसेंडो ने जाँच के दौरान पाया कि वायरल हो रहा दावा सरासर गलत व भ्रामक है। दावे के साथ जो प्राचीन तस्वीर संग्लित की गई है वो एक असीरियन सैनिक की है जो श्वास यंत्र से साथ जलमार्ग में तैरता हुआ जा रहा है। इस तस्वीर का सनातन धर्म से कोई संबन्ध नहीं है।

जाँच की शुरुवात हमने वायरल हो रही तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च कर की, परिणाम में हमें ये तस्वीर पीइंटरेस्ट नामक एक वैवसाइट पर क्रिस्टी नामक एक उपभोक्ता द्वारा प्रकाशित की हुई मिली। इस तस्वीर के शीर्षक में लिखा है, “श्वास यंत्र के साथ जलमार्ग पर चढ़ता हुआ असीरियन सैनिक । असीरिया, 700 ई.पू.

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इसके पश्चात उपरोक्त पोस्ट में दी गयी जानकारी को ध्यान में रखते हुए गूगल पर कीवर्ड सर्च किया, नतीजन हमें कई समाचार लेख मिले जिनमें इस तस्वीर को प्रकाशित किया गया था। हमें यह तस्वीर द फूकेट न्यूज़ नामक एक वैबसाइट पर प्रकाशित एक लेख में मिली, तस्वीर के साथ दी गयी जानकारी में लिखा था “9 वीं शताब्दी ईसा पूर्व असीरियन नक्काशी से, फुलाए हुए थैलियों से सांस लेने वाले योद्धा।“

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तदनंतर अधिक कीवर्ड सर्च करने पर हमें इससे मिलती – जुलती तस्वीर रीसर्चगेट.नेट नामक एक वैबसाइट पर मिली। उस तस्वीर के नीचे दी गयी जानकारी में लिखा है, “असीरियन सैनिक एक फुलाई हुए बकरी की त्वचा की मदद से तैराकी करते हुए। (ब्रिटिश म्यूजियम)”

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तदनंतर उपरोक्त दी गयी जानकारी, जहाँ ब्रिटिश म्यूजियम का नाम लिखा हुआ है, उसे ध्यान में रखकर हमने गूगल पर कीवर्ड सर्च के माध्यम से अधिक शोध किया, परिणाम में हमें वायरल हो रही यही तस्वीर ब्रिटिश म्यूजियम की वैबसाइट पर प्रकाशित की हुई मिली। तस्वीर के साथ दी गयी जानकारी में लिखा है,

जिप्सम दीवार पैनल रिलीफ: एक नदी पार करते हुए। घोड़े तैरते हुए, दूल्हे के नेतृत्व में, जबकि एक रथ, बिस्तर और जार को शवों पर ले जाया जा रहा है। फिगर्स पूर्ण दिखाए गए हैं और आधे डूबे हुए नहीं हैं जो असीरियन कला के विशिष्ट हैं। क्यूनिफॉर्म लिपि में एक शिलालेख है।“

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ब्रिटिश म्यूजियम की वैबसाइट पर आप उपरोक्त तस्वीर से सदृश्य और भी तस्वीरें देख सकते है।

निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने पाया है कि उपरोक्त दावा गलत व भ्रामक है। वायरल हो रही तस्वीर एक असीरियाई सैनिक की है जो श्वास यंत्र से साथ जलमार्ग में तैरता हुआ जा रहा है। इस तस्वीर का सनातन धर्म से कोई संबन्ध नहीं है।

फैक्ट क्रेसेंडो द्वारा किये गये अन्य फैक्ट चेक पढ़ने के लिए क्लिक करें :

१. बेल्जियम के पुराने वीडियो को फ्रांसीसी संसद में इस्लाम विरोधी भाषण के रूप में फैलाया जा रहा है|

२. क्या इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने किसान आंदोलनों के समर्थन में अपना भारत दौरा रद्द किया? जानिये सच…

३. वर्ष 2017 में पंजाबी भाषा की सर्वोच्चता को लेकर हुये विरोध की तस्वीरों को वर्तमान किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।

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Title:असीरियाई सैनिक की तस्वीर को प्राचीन सनातन धर्म का बता, गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

Fact Check By: Rashi Jain

Result: False