१२ सितम्बर २०१९ को “Bivash Paul” नामक एक फेसबुक यूजर ने कुछ तस्वीरें पोस्ट की थी, जिसके शीर्षक में लिखा गया है कि “उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में योगी सरकार के कुशासन के खिलाफ सीपीएम का शानदार जुलूस |” तस्वीरों में हम हजारों लोगों को किसी रैली में हिस्सा लेते हुए देख सकते है | इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर तेजी से साझा करते हुए दावा किया जा रहा है कि यह उत्तर प्रदेश के राजधानी लखनऊ में भाजपा सरकार के खिलाफ सी.पी.एम् द्वारा निकाले गये जुलुस का है | फैक्ट चेक किये जाने तक यह पोस्ट ३६९ प्रतिक्रियाएं प्राप्त कर चुकीं थी |

फेसबुक पोस्ट | आर्काइव लिंक

अनुसंधान से पता चलता है कि...

जाँच की शुरुआत हमने हर तस्वीर का गूगल रिवर्स इमेज किया, जिसके परिणाम से हमें पता चला है कि यह जलूस भारत से नही है बल्कि हॉग कॉग से है |

पहली तस्वीर का परिणाम-

परिणाम से हमें १६ जून २०१९ की ब्लूमबर्ग द्वारा प्राकशित खबर मिली, जिसके शीर्षक में लिखा गया है कि “भले ही हॉन्ग कॉन्ग के प्रदर्शनकारियों की जीत हुई हो, लेकिन दीर्घ काल में ये चीन के लिए ही फायदेमंद साबित होगा |” तस्वीर के नीचे लिखा गया है कि “रविवार १६ जून को हॉन्ग कॉन्ग में एक रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों ने मार्च निकाला | फोटोग्राफर: पौला ब्रोनस्टेन/ ब्लूमबर्ग” | यह तस्वीर हॉन्ग कॉन्ग में हुई रैली की हैं |

आर्काइव लिंक

इस तस्वीर को १७ जून २०१९ को आउटसाइड द बेल्टवे नामक वेबसाइट ने भी अपलोड किया था |

आर्काइव लिंक

दूसरी तस्वीर का परिणाम-

परिणाम से हमें ७ जुलाई २०१९ को स्टैण्डर्ड.को.यूके द्वारा प्रकाशित खबर मिली,जिसके शीर्षक में लिखा गया है कि “हॉन्ग कॉन्ग विरोध प्रदर्शन: सड़कों पर हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने अपने मांगों को लेकर हंगामा किया” | तस्वीर के नीचे लिखा गया है कि “रविवार के मार्च में हजारों लोगों ने भाग लिया, जहाँ 'फ्री हॉन्ग कॉन्ग' के नारे लगाये गये थे | साथ ही लिखा गया है कि यह तस्वीर एपी द्वारा खिची गयी है |

आर्काइव लिंक

यह तस्वीर ७ जुलाई, २०१९ को एसोसिएटेड प्रेस 'किन चेंग' द्वारा क्लिक की गयी थी और यह एपी इमेजे आर्काइव पर उपलब्ध है | तस्वीर के विवरण में लिखा गया है कि “प्रदर्शनकारियों ने ७ जुलाई, २०१९ रविवार को हॉन्ग कॉन्ग में एक मार्च में भाग लिया | हजारों लोग, काले शर्ट पहने और कुछ ब्रिटिश झंडे लेकर रविवार को हॉन्ग कॉन्ग में प्रदर्शन कर रहे थे | चीनी ऑडियंस को ध्यान में रखते हुए इस रैली को निकाला गया क्योंकि एक महीने पुराने विरोध आंदोलन से कोई परिवर्तन नही हुआ” |

आर्काइव लिंक

तीसरी तस्वीर का परिणाम-

परिणाम से हमें १६ जून २०१९ को लोस अनगेलेस टाइम्स द्वारा प्रकाशित खबर मिली, इस खबर में इस तस्वीर को देखा जा सकता है जिसके विवरण में लिखा गया है कि “रविवार को हॉन्ग कॉन्ग के सड़कों पर हजारों प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए|” (विंसेंट यू / एसोसिएटेड) |

आर्काइव लिंक

यह तस्वीर भी एसोसिएटेड प्रेस द्वारा ली गयी है | यह १६ जून २०१९ को एपी के लिए फोटोग्राफर विंसेंट यू द्वारा ली गयी थी |

आर्काइव लिंक

चौथी तस्वीर का परिणाम-

चौथी तस्वीर भी हॉन्ग कॉन्ग के विरोध प्रदर्शन के दौरान शूट की गई है | हमें १ मिनट २६ सेकंड का एक वीडियो मिला, जो कि गेटी इमेजेज के जिन जी द्वारा शूट किया गया था | १९ सेकंड पर एक आदमी को लाल छाते के साथ और ओवर ब्रिज के एक स्तंभ को देखा जा सकता है | यह वीडियो गेट्टी इमेज पर उपलब्ध है जिसके एक भाग का स्क्रीनशॉट लेकर साझा किया जा रहा है |

आर्काइव लिंक

निष्कर्ष: तथ्यों के जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | यह तस्वीरें हॉन्ग कॉन्ग में हुए विरोध प्रदर्शन की हैं जिन्हें उत्तर प्रदेश के लखनऊ में सी.पी.एम् द्वारा की गयी रैली की तस्वीरें बता कर ग़लत रूप से फैलाया जा रहा है|

Avatar

Title:हॉन्ग कॉन्ग प्रदर्शन की तस्वीरें यू.पी में सीपीआई (एम) की रैली की तस्वीरें बता के फैलायी जा रही है |

Fact Check By: Aavya Ray

Result: False