CAA प्रदर्शन के दौरान की पुरानी तस्वीरों को फर्जी कम्युनल एंगल से शेयर किया जा रहा है।

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद से प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है। इसी से जोड़ते सोशल मीडिया पर नौ तस्वीरों वाली एक कोलाज को शेयर किया जा रहा है। तस्वीरों में आगजनी, सड़कों पर विस्फोट, और उपद्रव दिखाई दे रहे हैं। है। इन तस्वीरों पर हिन्दू त्योहारों के नाम भी दर्शाये गए हैं। वहीं तस्वीर शेयर करते हुए अंग्रेजी में कैप्शन लिखा गया है जोकि इस प्रकार है…
𝐃𝐨𝐞𝐬𝐧’𝐭 𝐦𝐚𝐭𝐭𝐞𝐫 𝐭𝐡𝐞 𝐟𝐞𝐬𝐭𝐢𝐯𝐚𝐥 — 𝐭𝐡𝐞𝐲 𝐣𝐮𝐬𝐭 𝐧𝐞𝐞𝐝 𝐚𝐧 𝐞𝐱𝐜𝐮𝐬𝐞 𝐭𝐨 𝐛𝐮𝐫𝐧 𝐢𝐭 𝐚𝐥𝐥 𝐝𝐨𝐰𝐧.#MamataBanerjee #WestBengalViolence #Murshidabad #TMC
इसी समान दावे के साथ हमें कोलाज वाली यहीं तस्वीर बीजेपी बंगाल के एक्स हैंडल द्वारा भी शेयर की हुई मिली।
अनुसंधान से पता चलता है कि…
हमने जांच की शुरुआत में वायरल कोलाज में दिख रही एक- एक कर तस्वीरों के बारे में सर्च करना शुरू किया।
तस्वीर – 1 गणेश चतुर्थी के दिन हिंसा को दिखाने के दावे से वायरल तस्वीर में इस्लामी टोपी पहना एक शख्स पुलिस बैरिकेड के जलते हुए ढेर के सामने हाथ उठा कर खड़ा दिख रहा है। इस तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च करने से यह पता चला कि यह तस्वीर हावड़ा जिले के सतरागाछी इलाके में हुए हिंसक सीएए विरोधी प्रदर्शन की है। हमें यह तस्वीर बिजनेस स्टैंडर्ड , फ्री प्रेस जर्नल और एशियन एज के समाचार आउटलेट द्वारा साझा की हुई मिली। वहीं तस्वीर का क्रेडिट न्यूज एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) को दिया गया है।
तस्वीर – 2 इसमें कोलाज में दूसरी तस्वीर को “सरस्वती पूजा” के दावे से वायरल किया गया है। इसकी पड़ताल करने पर हमने पाया कि यह तस्वीर दिसंबर 2019 की है, जब उत्तर प्रदेश के लखनऊ में NRC और CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया था। हमें इससे जुड़ी रिपोर्ट इंडिया टीवी के वेबसाइट पर मिली जिसे 19 दिसंबर 2019 को प्रकाशित किया गया था।
तस्वीर – 4 इसमें एक प्रदर्शनकारी मुंह पर कपड़ा बांधे पत्थरबाजी करते नज़र आ रहा है। उसके आस-पास कुछ गाड़ियां है जो जलती हुई नजर आ रही है। हमने इस तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च किया तो परिणाम में हमें द इंडियन एक्सप्रेस की न्यूज़ रिपोर्ट मिली, जिसमें इस तस्वीर को शेयर किया गया था। 31 दिसंबर 2019 को छपी यह रिपोर्ट बताती है कि यह उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुए सीएए विरोध प्रदर्शन की है।
तस्वीर 5 – जिसमें पश्चिम बंगाल में दिवाली समारोह के दौरान अशांति दिखाने का दावा किया गया है , हमने इसकी भी पड़ताल की। परिणाम में हमें द हिंदू की वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट मिली, जो दिसंबर 2019 की है। इसके अनुसार दिसंबर 2019 में कर्नाटक के मैंगलोर में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ एक प्रदर्शन आयोजित किया गया था। इस दौरान प्रदर्शन में मंगलुरु के तत्कालीन मेयर के. अशरफ की मदद करते हुए दिखाया गया था, जो विरोध प्रदर्शन में घायल हो गए थे।
तस्वीर – 6- छठी तस्वीर जिसे दुर्गा पूजा के दौरान हुई हिंसा के दृश्य के रूप में प्रसारित किया जा रहा है, असल में दिसंबर 2019 में पश्चिम बंगाल के हावड़ा में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ हुए एक विरोध प्रदर्शन की है। हमें यह तस्वीर 15 जनवरी 2020 को प्रकाशित द इंडियन एक्सप्रेस की वेबसाइट पर मिली।
तस्वीर- 7 सातवीं तस्वीर को पश्चिम बंगाल में हनुमान जयंती समारोह के दौरान हुई झड़प के दृश्य के दावे से शेयर किया जा रहा है, जो वास्तव में दिसंबर 2019 में कर्नाटक के मैंगलोर में सीएए के खिलाफ आयोजित एक विरोध प्रदर्शन की है। यह तस्वीर और इससे जुड़ी रिपोर्ट मंगलोर टुडे की वेबसाइट पर देखे जा सकते हैं, जिसे 28 दिसंबर 2019 को प्रकाशित किया गया था।
तस्वीर – 8- आठवीं तस्वीर में प्रदर्शनकारियों को सड़क जाम कर वाहनों में आग लगाते हुए दिखाया गया है। इसे शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति के मौके सांप्रदायिक दंगा हुआ। लेकिन हमारी पड़ताल में यह पता चला कि तस्वीर असम के डिब्रूगढ़ की है जब CAA के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ था। उस समय प्रदर्शनकारियों ने एक बस टर्मिनल में आग लगा दी थी। इसे बारे में 12 दिसंबर 2019 को छपी इंडिया टुडे की रिपोर्ट देखे जा सकते हैं।
हालांकि नौवीं तस्वीर जिसमें एक जगह पर कुछ वाहनों और रिक्शे में आग लगी हुई दिखाई दे रही है, रामनवमी के दावे से शेयर हो रही है। इसकी पड़ताल करने पर हमने पाया कि वास्तविक रूप से दंगों के दृश्य की ही हैं। इसके बारे में हमें द इंडियन एक्सप्रेस की ही रिपोर्ट मिली है, जो दावे की सटीक पुष्टि करती है।रिपोर्ट में यह तस्वीर 2023 में राम नवमी समारोह के दौरान पश्चिम बंगाल के हावड़ा में हुए दंगों को ही दर्शाती है।
हमारी खोज के दौरान हमें पश्चिम बंगाल पुलिस के आधिकारिक एक्स हैंडल से एक पोस्ट शेयर की हुई मिली। जिसमें वायरल कोलाज को फर्जी बताया गया है। इसलिए हम कह सकते हैं कि वायरल कोलाज में नौ में से आठ तस्वीरें 2019 के CAA विरोधी प्रदर्शन की ही हैं।
निष्कर्ष
तथ्यों के जांच से पता चलता है कि वायरल फोटो कोलाज, जिसमें कथित तौर पर हिंदू त्योहारों के दौरान पश्चिम बंगाल में मुसलमानों द्वारा दंगे और फैलाये जाने वाली अशांति के दृश्य के तौर पर शेयर किया जा रहा है दावा भ्रामक है। हमारी जांच से यह स्पष्ट होता है कि कोलाज में आठ तस्वीरें CAA के खिलाफ हुए प्रर्दशन के दौरान की हैं, जिसे फर्जी सांप्रदायिक दावे से साझा किया जा रहा है।

Title:वायरल तस्वीरों का मुर्शिदाबाद मामले से नहीं है कोई संबंध , CAA के खिलाफ प्रदर्शन की तस्वीरें फर्जी सांप्रदायिक दावे से हो रही हैं वायरल…
Fact Check By: Priyanka SinhaResult:Partly False
