यह विडियो मुस्लिम परिवारों द्वारा बच्चों को आतंकवादी बनाने की ट्रेनिंग का नहीं, बल्कि बच्चों द्वारा प्रस्तुत एक नाटक है |
२३ जुलाई २०१९ को “Namo Always” नामक एक फेसबुक पेज ने एक विडियो पोस्ट किया, जिसके शीर्षक में लिखा गया है कि “ये शांतिप्रिय कौम वाले अपने बच्चों को बचपन से सीख देते हैं के उसे बड़ा हो कर क्या करना है | करता वो वही है तो इनको शोभा देता है | या तो पंचर बनाता है, या फलों की रेड़ी लगता है या फिर आतंकवादी बन जाता है | यहाँ ये बच्चा बम बन कर फटने का अभ्यास करता हुआ | धितकार है ऐसे लोगों पर” |
इस वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मस पर इस दावे के साथ साझा किया जा रहा है कि मुस्लिम क़ौम बच्चों को उनके बचपन से ही आतंकवादी बनने के लिए प्रशिक्षत करती है।
१ मिनट २५ सेकंड के वीडियो में एक बच्चे को काले रंग का मुखौटा पहने हुए कुछ बच्चों से विदाई लेते हुये दिखाया गया है, इसके बाद वह बच्चों के दूसरे समूह के पास जाता है और आत्मघाती हमलावर की तरह खुद को उड़ा देता है | विस्फोट को दर्शाने करने के लिए रेत को हवा में फेंक दिया जाता है और बच्चों को जमीन पर गिरते हुये देखा जा सकता है | जैसे ही धूल जम जाती है, कैमरे को हम बच्चों की तरफ घूमते हुए देख सकते है जहाँ सभी बच्चे मृत होने का अभिनय कर रहे हैं। इस विडियो को फ़ैक्टचेक करने तक लगभग १८०० व्यूज मिल चुके है, और वर्तमान में ये विडीओ काफ़ी तेज़ी से सोशल मंचों पर फैल रहा है।
संशोधन से पता चलता है कि...
जांच की शुरुआत में हमने इस विडियो को इनविड टूल का इस्तेमाल कर के छोटे छोटे कीफ्रेम्स में तोडा व उनका बिंग रिवर्स इमेज सर्च किया, जिसके परिणाम से हमे २४ मार्च २०११ को बीबीसी द्वारा प्रकाशित एक खबर मिली | खबर के अनुसार पाकिस्तान में बच्चों ने किया आत्मघाती विस्फोट का नाटक। साथ ही लिखा गया है कि “YouTube पर एक शौकिया वीडियो पोस्ट किया गया है, जिसमें दिखाया गया है कि युवा लड़के आत्मघाती हमले को अंजाम दे रहे हैं, इस नाट्यरूपांतर की यूनिसेफ और बच्चों के लिए कार्यरत पाकिस्तानी चैरिटी ने घोर निंदा की है।वीडियो की उत्पत्ति स्पष्ट नहीं है लेकिन यह पाकिस्तान या अफगानिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में शूट किया गया है”|
हमें गूगल रिवर्स इमेज सर्च के परिणाम से एल्पइस इंटरनेशनल वेबसाइट का लिंक मिला जिसे १ मार्च २०११ को प्रकाशित किया गया था | वेबसाइट में दी गई जानकारी के अनुसार “एक आतंकवादी हमले को रीक्रिएट करते हुए कई बच्चे तालिबान हिंसा के मनोवैज्ञानिक प्रभाव को दर्शाते हैं |” यह विडियो तालिबान प्रभावित इलाके में बच्चों के दिमाग पर पड़ रहे गंभीर असर को उजागर कर रहा है |
१ मार्च २०११ को द टेलीग्राफ द्वारा प्रकाशित खबर में वायरल विडियो का उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि इस वीडियो में माना जाता है कि दक्षिण-पूर्व अफगानिस्तान के पश्तून स्कूल में बच्चों ने इस नाटक को रीक्रिएट किया है।
निष्कर्ष: तथ्यों के जांच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है, इस विडियो को वायरल करते हुए किये गए दावे कि “यह विडियो मुस्लिम परिवारों द्वारा बच्चों को आतंकवादी बनने की ट्रेनिंग है” गलत है, यह विडियो २०११ का है जब कुछ अफगानी बच्चों ने आतंकी हमले को रीक्रिएट कर नाटक के रूप में प्रस्तुत किया।
Title:यह विडियो मुस्लिम परिवारों द्वारा बच्चों को आतंकवादी बनाने की ट्रेनिंग का नहीं, बल्कि बच्चों द्वारा प्रस्तुत एक नाटक है |
Fact Check By: Aavya RayResult: False