बांग्लादेश में कोटा सिस्टम के खिलाफ चल रहे हिंसक प्रदर्शन का दौर अभी भी पूरी तरह थमा नहीं है। वहां रहने वाले हिन्दुओं को भी निशाना बनाये जाने की खबरें सामने रही है। इसी को लेकर सोशल मीडिया पर रबीन्द्रनाथ ठाकुर की एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें उनकी प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर जमीन पर रखे देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि तस्वीर अभी की है यानी अभी चल रहे बांग्लादेश हिंसा के दौरान की है। प्रदर्शनकारियों ने रबीन्द्रनाथ ठाकुर के हिन्दू होने के कारण उनकी प्रतिमा को तोड़ दिया। पोस्ट को इस कैप्शन के साथ वायरल किया है रहा है…

आज 7 अगस्त... महान कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर कि आज पुण्यतिथि है। राष्ट्रगान "आमार सोनार बांग्लादेश" के रचयिता रबिंदर नाथ टैगोर, इस तरह बांग्लादेशियों ने उन्हें वापस भुगतान किया है। उनके लिए जिहाद ही अंतिम लक्ष्य है!

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अनुसंधान से पता चलता है कि…

हमने जांच की शुरुआत में तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च किया। परिणाम में हमें कुछ मीडिया रिपोर्ट्स मिली जिनके अनुसार वायरल तस्वीर को 2023 का बताया गया है। इस पर बांग्लादेशी समाचार आउटलेट प्रोथोम अलो की रिपोर्ट जो 2023 की है में वायरल वही फोटो और उससे जुड़ी एक रिपोर्ट प्रकाशित थी। 17 फरवरी, 2023 की खबर के अनुसार रबीन्द्रनाथ ठाकुर की लापता मूर्ति का सिर दिखाया गया है। जिसे बाद में ढाका विश्वविद्यालय के टीएससी क्षेत्र में सुहरावर्दी उद्यान से बरामद किया गया था।

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17 फरवरी, 2023 की ढाका ट्रिब्यून छपी रिपोर्ट को देखने से पता चला कि 16 फरवरी 2023 को ढाका विश्वविद्यालय (डीयू) के अधिकारियों ने रबीन्द्रनाथ ठाकुर की एक मूर्ति हटा दी, जिसे छात्रों ने राजू मेमोरियल मूर्तिकला के बगल में स्थापित किया था। रिपोर्ट में डीयू प्रॉक्टर प्रोफेसर डॉ. एकेएम गुलाम रब्बानी के हवाले से बताया गया था कि संस्थान की विश्वविद्यालय परिसर में मूर्तियां रखने की नीति है। मूर्ति विश्वविद्यालय प्रशासन को सूचित किए बिना रखी गई थी। इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे हटा दिया था।

आर्काइव

हमें 16 फरवरी, 2023 की प्रोथोम एलो (आर्काइव) की और रिपोर्ट मिली जिसमें इस घटना को लेकर खबर लिखी हुई थी। इसमें छात्र संघ के एक गुट के अध्यक्ष और डीयू के मूर्तिकला संकाय के छात्र शिमुल कुंभकार द्वारा जानकारी दी गई थी कि देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सेंसरशिप के विरोध में मूर्ति स्थापित की गई थी। लेकिन उसे तोड़ दिया गया था।

18 फरवरी 2023 को पुणे मिरर की खबर में लिखा गया कि ढाका विश्वविद्यालय के परिसर से हटाई गई नोबेल पुरस्कार विजेता रबीन्द्रनाथ ठाकुर की मूर्ति का खंडित सिर कुछ राहगीरों को अमर एकुशे पुस्तक मेले के परिसर में मिला है। यह बात ढाका विश्वविद्यालय के बांग्लादेश छात्र संघ के नेता शिमुल कुंभकार ने बताई। ढाका विश्वविद्यालय (डीयू) के अधिकारियों ने कथित तौर पर टैगोर की मूर्ति हटा दी थी, जिसे विश्वविद्यालय के छात्रों ने राजू मेमोरियल मूर्ति के बगल में बनाया था।

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इस प्रकार से यह स्पष्ट होता है कि रविंद्रनाथ टैगोर की क्षतिग्रस्त प्रतिमा की तस्वीर पुरानी है जिसे बंगलादेश में अभी चल रहे घटना से जोड़कर कर भ्रामक दावा किया गया है।

निष्कर्ष-

तथ्यों के जांच पश्चात यह पता चलता है कि रबीन्द्रनाथ ठाकुर की क्षतिग्रस्त प्रतिमा की वायरल तस्वीर हाल की नहीं बल्कि 2023 की है।

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Title:रबीन्द्रनाथ ठाकुर की क्षतिग्रस्त प्रतिमा की पुरानी तस्वीर को हाल में हुए बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन से जोड़ कर वायरल…

Fact Check By: Priyanka Sinha

Result: Missing Context