भारत-बांग्लादेश सीमा पर मिलन मेले का पुराना वीडियो बांग्लादेश की हालिया घटना से जोड़ कर गलत दावे से वायरल।

बांग्लादेश में फैली अशांति के बीच हिंसा और लूटपाट की खबरें आ रही हैं। वहां रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं को भी निशाना बनाया जा रहा है। हालात ऐसे बन गए हैं कि जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। हाल की घटनाओं को देखते हुए वहां रहने वाले कई हिंदुओं का भारत में आने के लिए सीमा पार करने की कोशिशें जारी है। बांग्लादेश में भारतीय सीमा के पास रहने वाले हिंदू भारत में शरण लेने का प्रयास कर रहे हैं। इसी संदर्भ में कुछ लोगों की भीड़ को बॉर्डर के दोनों तरफ जुटते हुए दिखाने का वीडियो तेज़ी से वायरल हो रहा है। जिसे हाल की घटना बता कर तमाम सोशल मंचों पर साझा करते हुए दावा किया जा रहा है कि बांग्लादेश से हजारों हिंदू असम बॉर्डर की तरफ सीमा पर आ खड़े हुए हैं। वीडियो को इस कैप्शन के साथ फैलाया जा रहा है…

भारत बांग्लादेश बॉर्डर असम आज का दृश्य...ये तो हमारी सोच से भी पहले हो रहा है। भविष्य स्पष्ट दिख रहा है, बगलादेश के तरफ की बॉर्डर खुल जायेगी। कैसे खुलेगी?हिंदुओं के साथ साथ मुसलमान भी शरणार्थी बनकर घुसेंगे। और हाहाकार मच जाएगा। यह स्पष्ट दिख रहा है। कोई सामान्य बुद्धि वाला व्यक्ति भी इतना सबकुछ देख सोच सकता है।

फेसबुक पोस्टआर्काइव पोस्ट

अनुसंधान से पता चलता है कि…

हमने जांच की शुरुआत में वायरल वीडियो के कीफ्रेम को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च किया। परिणाम में हमें वायरल वीडियो योर फ्रेंड्स नाम के एक यूट्यूब चैनल पर जून 2018 में अपलोड किया हुआ मिला। इसके साथ लिखे शीर्षक को हिंदी में अनुवाद करने से पता चला कि, यह वीडियो भारत बांग्लादेश मिलन मेला 15 अप्रैल 2018 का है। इसमें भारत बांग्लादेश सीमा पर मिलन मेला लिखा है। आगे हमने देखा कि इसी चैनल पर मिलन मेला 2018 के और भी कई वीडियो अपलोड किए गए थें। इससे हम इतना तो समझ ही चुके थें कि वीडियो हाल का बिलकुल भी नहीं है।

आर्काइव

हमारे द्वारा इस वीडियो को लेकर और अधिक पड़ताल करने पर हमें असम पुलिस के एक्स (आर्काइव) और फेसबुक पेज पर इस वीडियो से जुड़ी एक पोस्ट मिली। जिसमें वीडियो के स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए इसे फेक बताने के साथ ही अप्रैल 2018 का वीडियो बताया गया है।

आर्काइव

अब इसके बारे में हमने कुछ मीडिया रिपोर्ट्स को प्राप्त किया। जिसमें 16 अप्रैल 2018 में प्रकाशित द टेलीग्राफ (आर्काइव) की रिपोर्ट्स के अनुसार इस मेले में भारत और बांग्लादेश में रहने वाले कई लोग, जिनके रिश्तेदार सीमा के दूसरी ओर रहते हैं, जलपाईगुड़ी के राजगंज ब्लॉक में आयोजित हुए मेले में बॉर्डर के पास एकत्रित हुए थें। यह मेला सीमा सुरक्षा बल और बीजीबी की देखरेख में आयोजित किया गया था।

24 जुलाई 2019 की अमर उजाला (आर्काइव) की छपी रिपोर्ट के मुताबिक बैसाखी की तिथि पर भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर मिलन समारोह का आयोजन होता है। लोग उस जगह पर जहां दोनों देशों की फैंसिंग (कंटीली तार) लगी होती है, दोनों देशों के ऐसे लोग साल में एक बार बॉर्डर पर आकर अपने रिश्तेदारों को देखते मिलते और उनसे बातें कर लेते हैं।

यह भी बताया गया है कि इस मेले को बीएसएफ ने बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) के साथ मिलकर शुरू किया है, जिनके पास वीजा या पासपोर्ट बनवाने के पैसे नहीं है। वह चार-पांच मीटर दूर खड़े होकर एक दूसरे का हालचाल जान लेते हैं।

इसके बाद 13 अप्रैल 2023 में प्रकाशित ईटीवी (आर्काइव) की खबर को देखने से यह स्पष्ट हुआ कि साल 2020 से कोरोना और फिर सुरक्षा कारणों के चलते लगातार चार साल तक यह मेला आयोजित नहीं हुआ था। बंगाली में हर नए साल की पूर्व संध्या पर भारत-बांग्लादेश सीमा पर पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में भारत और बांग्लादेश मिलन मेले का आयोजन किया जाता है। बंगाली नव वर्ष जिसे पोइला बोइसाख के नाम से भी जाना जाता है। बंगाली कैलेंडर के पहले दिन मनाया जाता है। यह आमतौर पर 14 या 15 अप्रैल को ही पड़ता है। लेकिन सुरक्षा कारणों से इस बार आयोजन की परमिशन नहीं दी गई थी।

इस प्रकार से यह साफ़ हो जाता है कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर मिलन मेले का पुराना वीडियो गलत दावे से वायरल किया गया जा रहा है। यह बांग्लादेश से हजारों हिंदू के असम बॉर्डर की तरफ घुसपैठ का वीडियो नहीं है।

निष्कर्ष

तथ्यों के जांच से यह पता चलता है कि साल 2018 में भारत-बांग्लादेश सीमा पर मिलन मेले का पुराना वीडियो गलत दावे से वायरल है। इस वीडियो को हाल में बांग्लादेश में चल रही हिंसा से जोड़ कर भ्रामक दावे से फैलाया गया है। वीडियो बांग्लादेश से हजारों हिंदू के असम बॉर्डर की तरफ घुसपैठ का नहीं है।

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Title:यह वीडियो असम में स्थित बांग्लादेश बॉर्डर से भारत में घुसपैठ की घटना का नहीं है , यह पुराना वीडियो है…

Written By: Priyanka Sinha

Result: False