फेसबुक में हालही में एक पोस्ट काफ़ी साझा की जा रही है| पोस्ट में यह कहा जा रहा है कि शहीद भगत सिंह को १४ फ़रवरी १९३१ के दिन फांसी की सजा सुनाई थी / फांसी दी गयी थी |
सोशल मीडिया पर प्रचलित विविध कथन:
पंजाबकेसरी ने भी यह बात को अपने समाचार में प्रकाशित किया हैं | पूरे समाचार को पढ़ने के लिये निचे दिये गये लिंक पे क्लिक करें |
हमारे द्वारा किये गए तथ्यों के जांच का परिणाम:
पिछले कुछ सालों से ये प्रथा चली आ रही है कि, १४ फ़रवरी को यह कहा जाता है कि शहीद भगत सिंह व राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सज़ा सुनाई गयी थी | हमारे द्वारा तथ्यों के जांच में हमें ये पता चला कि, भगत सिंह व उनके साथियों को १४ फ़रवरी के दिन ना ही फांसी की सजा सुनाई थी और नहीं उन्हें फांसी दी गयी थी |
फांसी का दिनांक २३ मार्च १९३१ था | उनकें फांसी की सजा ७ ऑक्टोबर १९३० को दी गयी थी | १४ फ़रवरी १९३१ के दिन, मदन मोहन मालविया ने इरविन के सामने ‘मर्सी अपील’ किया था |
इसके पश्चात आप निचे दिए लिंक मे भी क्लिक कर इस बात की पुष्टि स्वयं कर सकतें हैं |
यह चित्र शहीद भगत सिंह के मृत्यु दंड के फरमान का है |
यह चित्र शहीद भगत सिंह के मृत्यु प्रमाणपत्र का है |
‘द ट्रिब्यून’ ने भी २५ मार्च १९३१ को ऊपर दर्शाये गये आर्टिकल का प्रकाशन किया था |
कई न्यूस पोर्टल्स की तफ्तीश में भी इस बात की पुष्टि की गयी है |
TheQuint | Archived Link
TOI | Archived Link
निष्कर्ष:
गलत: यह दावा गलत है कि शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के फांसी की सजा या उनकी फांसी १४ फ़रवरी को हुई थी | उपरोक्त तथ्यों के आधार व विशलेषण पर हम कह सकतें हैं कि, शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के उनकें फांसी की सजा ७ ऑक्टोबर १९३० को दी गयी थी | १४ फ़रवरी १९३१ के दिन, मदन मोहन मालविया ने इरविन के सामने ‘मर्सी अपील’ किया था, व फांसी का दिनांक २३ मार्च १९३१ था |
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Title: क्या है 14 फरवरी का सच: क्या इस दिन भगत सिंह सहित इन जांबाज बहादुरों को सुनाई थी फांसी की सजा? Fact Check By: Nita Rao Result: False |
