सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जिसमें भैरों बाबा की मूर्ति को तोड़कर ट्रैक्टर की मदद से जमीन पर घसीट कर ले जाया जा रहा है। वीडियो में कुछ पुलिस वाले भी नज़र आ रहे हैं। जिसे राजस्थान का बताते हुए अशोक गहलोत सरकार पर निशाना साधा जा रहा है। कहा जा रहा है कि क्या गहलोत सरकार द्वारा कभी किसी अवैध मजार या दरगाह को भी तोड़ा गया है? वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि राजस्थान में भैरों बाबा के मंदिर को तोड़कर मूर्ति को ट्रैक्टर से घसीटते हुए ले जाया जा रहा है।

वायरल वीडियो के साथ यूजर ने लिखा है- वीडियो राजस्थान की बताई जा रही है जहां भैरों बाबा के मंदिर को तोड़कर मूर्ति को ट्रैक्टर से घसीटते हुए ले जाया जा रहा है...सवाल - क्या गहलोत सरकार द्वारा कभी किसी अवैध मजार या दरगाह को भी तोड़ा गया है ?

ट्विटरआर्काइव

अनुसंधान से पता चलता है कि…

पड़ताल की शुरुआत में वायरल वीडियो को अच्छी तरह से देखने पर हमें वीडियो में नज़र आ रहे ट्रैक्टर के नंबर प्लेट पर राजस्थान का नंबर दिखाई दिया।इसके अलावा वीडियो में जितने भी लोग नज़र आ रहे हैं, लगभग सभी ने अपने मुंह पर मास्क लगाया है।

जिससे ऐसा लग रहा है कि वीडियो राजस्थान का है और कोविड लॉकडाउन के समय का है।

जांच में आगे वायरल वीडियो की तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च करने पर वीडियो हमें कुलदीप मीणा आदिवासी नाम के एक फ़ेसबुक अकाउंट पर मिला। वीडियो को 21 मई 2021 को अपलोड किया गया है। पोस्ट में मौजूद कमेंट सेक्शन में लोगों ने इसे सिमलिया गांव का बताया है।

इससे ये साफ है कि वायरल वीडियो करीब दो साल पहले से इंटरनेट पर मौजूद है और हाल फिलहाल की घटना नहीं है। जब हमने इस पोस्ट पर आए कमेंट्स को चेक किया तो पाया कि इस यूजर ने कमेंट में इस वीडियो को सिमलिया गांव बताया। आपको बता दें कि यह गांव राजस्थान के कोटा जिले के अंतर्गत सुल्तानपुर तहसील में आता है।

इसी आधार पर हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करने पर हमें इससे मिलता-जुलता एक वीडियो न्यूज 18 की रिपोर्ट में मिला। जानकारी के मुताबिक, राजस्थान के कई गांव में बीमारियां, परेशानियों को रोकने और बारिश लाने के लिए इस तरीके से भैरव बाबा की मूर्ति को खींचकर ले जाया जाता है। जो एक तरह की परंपरा है।

घास भैरव जी की परंपरा-

घास भैरव जी की यह परंपरा प्राचीन है। यह परंपरा राजस्थान के लगभग हर गांव में मनाई जाती है। ऐसा तब किया जाता है जब बारिश न हो या बीमारी जैसा कोई संकट आ जाए। मान्यता है कि गांव के चारों ओर घास भैरव जी की परिक्रमा करने से वर्षा होती है और संकट टल जाता है।

स्पष्टीकरण के लिए हमने सिमलिया पुलिस से संपर्क किया। हमारे साथ बात करते हुए स्टेशन हाउस ऑफिसर उम्मेद सिंह ने वायरल वीडियो की पुष्टि की और कहा, यह वायरल वीडियो हाल का नहीं है, बल्कि 2021 का है।

जब हमने कोरोना दिशानिर्देशों के उल्लंघन के कारण घास भैरव जी की परंपरा खुद की थी।

यह एक प्रचलित परंपरा है और इसे कोरोना काल भगाने एंव बारिश लाने के लिए किया जा रहा था। क्योंकि कोरोना दिशा निर्देशों का लोग उलंघन कर रहे थे।

इसलिए हमने यह फैसला लिया और हमने यह परंपरा निभाई। यह वीडियो सिमलिया गांव का ही है। वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा पूरी तरह से गलत है।

आगे हमने वायरल दावे जैसी कोई घटना राजस्थान में हुई है या नहीं ये गूगल में अलग अलग की-वर्डस के साथ सर्च किया। लेकिन हमें दावे के मुताबिक ऐसी कोई खबर नहीं मिली।

निष्कर्ष-

तथ्य-जांच के बाद, हमने पाया कि मंदिर तोड़े जाने का दावा फर्जी है। ये वायरल वीडियो 2021 का है और यह एक प्राचीन परंपरा है जिसे तब निभाया जाता है जब बारिश न हो या कोई बीमारी जैसी आपदा आ जाए।

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Title:मंदिर तोड़े जाने का दावा गलत, मूर्ति को घसीटे जाने का ये मामला एक परंपरा का हिस्सा है…..

Written By: Saritadevi Samal

Result: False