जम्मू-कश्मीर में आए दिन पत्थरबाजी होती रहती है । २७ जनवरी २०१८ को शोपिया जिले के गनवपोरा गांव के पास से गुजर रहे भारतीय सेना के एक काफिले पर १०० से २०० पत्थरबाजों के एक समूह ने हमला बोल दिया था । जवानों ने आत्मरक्षा मे गोलीयां चलाई जिसके बाद तीन नागरिकों की मौत हो गयी । इसके बाद राज्य सरकार ने नागरिकों की हत्या के आरोप लगाते हुए सेना के जवानों के खिलाफ प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की । मेजर आदित्य कुमार, जिनका नाम इस एफआयआर में शामिल है- के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह ने इस एफआईआर के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की । अब इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है और सेना को गोली चलाने कि एक तरह से छुट दे दी है इस तरह का दावा करने वाली पोस्ट फेसबुक पर काफ़ी साझा की जा रही है। सत्याभारत के वेबसाइट द्वारा प्रसारित किये गए खबर मे यह कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर कहा कि पत्थरबाजों को सेना कितनी भी गोली मार सकती है, पर उनके खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं होगा ।
आर्काइवलिंक
प्रचलित कथन:
फेसबुक पर मेजर आदित्य कुमार के मामले पर इस पोस्ट को काफ़ी तेजी से साझा किया जा रहा है।
देखते है इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले की अपडेट
रणबीर दंड संहिता (जम्मू और कश्मीर में लागू दंड संहिता) की धारा ३०२ (हत्या) और ३०७ (हत्या का प्रयास) के तहत १० गढ़वाल राइफल्स के कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
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मामले में मेजर आदित्य और उनकी यूनिट को नामित किया गया था। भारतीय सेना ने मामले की अपनी जांच शुरू की और कहा कि “आत्मरक्षा” में गोली चलाई गई थी। बाद में, सुप्रीम कोर्ट में मेजर आदित्य के पिता, लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह द्वारा एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने आग्रह किया कि उनके बेटे का नाम नागरिक हत्या में एफआईआर से हटा दिया जाए। उन्होंने कहा कि उनका बेटा सिर्फ अपनी ड्यूटी कर रहा था।
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१२ फरवरी २०१८ को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में तीन नागरिकों की हत्या में सेना के प्रमुख आरोपी, मेजर आदित्य कुमार के खिलाफ “कोई ठोस कार्रवाई नहीं होगी” व केंद्र और राज्य से दो सप्ताह के भीतर अधिकारी के पिता द्वारा याचिका पर जवाब मांगा जाएगा। कर्नल करमवीर सिंह की वकील – ऐश्वर्या भाती ने भी यही ब्यान दिया है।
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३० जुलाई २०१८ को सुप्रीम कोर्ट ने शोपियां फायरिंग मामले में मेजर आदित्य कुमार को दी गई सुरक्षा २१ अगस्त २०१८ तक बढ़ा दी |
तथ्यों की जांच का निष्कर्ष :
सत्याभारत कि वेबसाइट द्वारा अपलोड की गई खबर में जो हैडलाइन में लिखा है “सुप्रीम कोर्ट में सेना की बड़ी जीत,कोर्ट ने कहा-पत्थरबाज को मारो जितनी चाहे गोली पर कोई एफ.आई.आर नहीं होगी,पत्थरबाजों में मची चीख पुकार” ये गलत है |अब तक सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण पर कोई अंतिम निर्णय नहीं दिया है, यह लेख पाठकों को भ्रमित करता है | हमारे द्वारा की गयी तथ्यों कि जांच में हमने इस पोस्ट को गलत शीर्षक का पाया है।
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Title: क्या सुप्रीम कोर्ट मे हुई सेना की बड़ी जीत जिसके वजह से पत्थरबाजों में मची चीख पुकार? Fact Check By: Drabanti Ghosh Result: False Headline (यह शीर्षक गलत है) |
