वायरल किये जा रहे वीडियो का उत्तराखंड के हालिया छात्र प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है। ये साल 2016 का दिल्ली का वीडियो है।

उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में कथित घोटाले, पेपर लीक और बेरोजगारी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे युवाओं पर नौ फरवरी को पुलिस ने लाठीचार्ज किया जिसमें कुछ प्रदर्शनकारी अभियार्थी घायल हो गए। घटना के बाद से कई ऐसी तस्वीरें और वीडियो सामने आए हैं जिनमें पुलिस दौड़ा-दौड़ा कर अभ्यर्थियों को पीटती दिख रही है।
ऐसा ही एक वीडियो वायरल किया जा रहा है, जिसमें कुछ पुलिस कर्मी और सादे कपड़े में लोग लड़कियों और युवाओं को पीटते नजर आ रहे हैं। वायरल वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो उत्तराखंड का है जहां हाल ही में पुलिस ने विरोध प्रदर्शन कर रही लड़कियों को पीटा।
वायरल वीडियो के साथ यूजर्स ने लिखा है- उत्तराखंड पुलिस की शर्मनाक करतूत ,बेटियों पर कैसे टूट पड़ी है, मर्द पुलिस वाले निहत्थी बेटियों को बाल पकड़कर, घसीटकर मारा।
अनुसंधान से पता चलता है कि…
वायरल वीडियो के तस्वीर का रिवर्स इमजे करने पर वीडियो का स्क्रीनशॉट ‘एनडीटीवी‘ की एक रिपोर्ट में मिली। ये खबर फरवरी 2016 को प्रकाशित की गयी थी।

खबर के मुताबिक 30 जनवरी, 2016 को कुछ युवा, दिल्ली स्थित आरएसएस दफ्तर के पास रोहित वेमुला की आत्महत्या को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। इसी बीच कुछ पुलिसवालों और कुछ सादे कपड़े वाले लोगों ने उनकी बेरहमी से पिटाई कर दी।
पड़ताल में आगे हमें वायरल वीडियो को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक रिएक्शन वीडियो मिला।
इसको लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में छात्रों पर हुए कथित हमले की निंदा की थी और कहा था कि दिल्ली की पुलिस, बीजेपी और आरएसएस की निजी सेना की तरह काम कर रही है।
‘ इंडिया टुडे’ और एनडीटीवी न्यूज’ ने भी इस खबर को 2016 में कवर किया था।
उत्तराखंड में छात्रों का प्रदर्शन. . .
बता दें, सरकारी भर्तियों में आवेदन करने वाले सैकड़ों युवा विरोध प्रदर्शन में उतर गए हैं। आक्रोशित युवाओं ने राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर CBI जांच की मांग की. युवाओं का साफ कहना है कि जब वह एक भर्ती का पेपर देते हैं तो वह लीक हो जाता है, फिर दूसरे की आस में तैयारी करते हैं, तो वह भी लीक हो जाता है। ऐसे में युवाओं के भविष्य का क्या होगा? यह सरकार को बताना चाहिए।
उत्तराखंड में लागू नकल विरोधी कानून….
इस कानून के तहत कड़े प्रावधान किए गए हैं। नकल माफिया पर लगाम लगाने के लिए 10 करोड़ रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ-साथ आजीवन कारावास या 10 साल की जेल की सजा का भी प्रावधान किया गया है। इसके अलावा पकड़े जाने पर नकल माफिआओं की संपत्ति कुर्क भी की जाएगी।
निष्कर्ष-
तथ्य-जांच के बाद, हमने पाया कि सात साल पुराने वीडियो को उत्तराखंड में हुई हालिया हिंसा के मामले से जोड़ा जा रहा है।

Title:सात साल पुराने वीडियो को उत्तराखंड में हालिया प्रदर्शन से जोड़ कर वायरल किया जा रहा है..
Fact Check By: Saritadevi SamalResult: False
