ज्ञानवापी केस में हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने इस बात की पुष्टि की है कि कथित शिवलिंग की अब तक कार्बन डेटिंग नहीं हुई है। वायरल पोस्ट का दावा गलत है, जिस कार्बन डेटिंग की रिपोर्ट को आधार बनाया गया है वो अब तक नहीं हुआ हैं।

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी में कथित शिवलिंग को लेकर सर्वे का काम चल रहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का कार्य कर रही है। अत्याधुनिक मशीनों से परिसर के अलग-अलग हिस्सों का सर्वे किया जा रहा है। इस बीच सोशल सोशल मीडिया पर एक पोस्ट को व्यापक रूप से प्रचारित किया जा रहा है। जिसमें यूज़र द्वारा ये दावा किया जा रहा है कि कथित शिवलिंग का कार्बन डेटिंग हो गया है और ये कितना पुराना है इसका पता चला गया है। ऐसे में कुछ यूज़र ने अपने दावे में कथित शिवलिंग की उम्र को 8000 वर्ष पुराना बताया है।

तो वहीं पोस्ट के साथ कैप्शन में लिखा गया है कि “सुन लो 1400 वर्ष पहले आने वालो कशी विश्वनाथ शिवलिंग 8000 वर्ष पुराना है कार्बन डेटिंग रिपोर्ट|”

फेसबुक पोस्ट

अनुसंधान से पता चलता है कि …

वायरल पोस्ट में किये गए दावे की जाँच हमने गूगल पर कीवर्ड सर्च कर की। परिणाम में हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली। जो इस बात की प्रमाणिकता पेश करे की ज्ञानवापी मामले में कार्बन डेटिंग का काम पूरा हो चूका है। और उसकी रिपोर्ट में कथित शिवलिंग की उम्र 8000 वर्ष पुरानी बताई गयी है। इसके लिए हमने मीडिया रिपोर्टों को ढूँढा और उसमें ये पता लगाने की कोशिश की ज्ञानवापी की कथित शिवलिंग संरचना पर कार्बन डेटिंग को ले कर अभी क्या स्थिति है ?

इस दौरान हमने द इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट को देखा जिसे 21 जुलाई 2023 को प्रकाशित किया गया। इसमें बताया गया है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश, वाराणसी की देखरेख और निर्देशन में ज्ञानवापी परिसर के परिसर में "शिवलिंग" के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अनुमति दी है। मगर इसमें ऐसा कही नहीं बताया गया कि कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की जाएगी या किसी भी तरह का उसका वैज्ञानिक परिक्षण किया जायेगा।

इसके बाद दावे की पुष्टि के लिये फैक्ट क्रेसेंडो ने ज्ञानवापी मामले में हिन्दु पक्ष के वकील विष्णु जैन से संपर्क किया। जिन्होंने ये बताया की कार्बन डेटिंग की प्रक्रिया को लेकर सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा भ्रामक है। अभी केवल परिसर का एएसआई द्वारा सर्वे किया जा रहा है। क्यूंकि कोर्ट की तरफ से वजू वाले इलाके में किसी भी प्रकार के सर्वेक्षण पर रोक है। पर एएसआई की टीम परिसर के अलग-अलग हिस्से में सर्वे सैटेलाइट और GPS मशीनों के जरिए सर्वे कर रही है। इसके बाद यूनिट द्वारा रिपोर्ट तैयार कर अदालत को सौंपा जायेगा और फिर आगे की प्रक्रिया का इंतज़ार किया जायेगा। ये एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें समय लगने वाला है। इसलिए कथित शिवलिंग का परीक्षण या उसकी उम्र का निर्धारण ये तमाम बातें बेबुनियाद है।

इसके बाद हम स्पष्ट हुए की वायरल पोस्ट को झूठे दावे के साथ फैलाया जा रहा है।

निष्कर्ष-

तथ्यों की जांच में हमने वायरल पोस्ट को पूरी तरह से फेक पाया है। फैक्ट क्रेसेंडो की पड़ताल में यह साबित हुआ है कि जब कथित शिवलिंग का कोई परिक्षण ही नहीं हुआ। तो उसकी उम्र का निर्धारण कैसे होगा इसलिए यूज़र द्वारा वायरल पोस्ट गलत सन्दर्भ से साथ फैलाया गया है।

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Title:ज्ञानवापी में कथित शिवलिंग का कार्बन डेटिंग रिपोर्ट नहीं आया है|

Written By: Priyanka Sinha

Result: False