
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट काफ़ी साझा किया जा रहा है | पोस्ट के मुताबिक अगर आपका नाम मतदाता सूचि (वोटर लिस्ट) में नहीं है तो आप आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र दिखाकर धारा ४९ए के तहत “चुनौती वोट” (Challenge Vote) की मांग कर सकते हैं | इसके अलावा पोस्ट मे कहा गया है कि अगर आपका वोट किसीने आपके पहले ही डाल दिया है तो आप “टेंडर वोट” की मांग कर अपना वोट डाल सकते है | यदि कोई भी पोलिंग बूथ मे १४% से अधिक ‘टेंडर वोट’ रिकॉर्ड होते है तो वहां पुनः मतदान किया जायेगा | कितनी सच्चाई है इस दावे में, आइये देखते हैं |
सोशल मीडिया पर प्रचलित कथन:
तथ्यों की जांच:
हमने जांच की शुरुआत उपरोक्त पोस्ट मे दिए गए तरीकों का मतलब समझने से की | गूगल मे ढूँढने पर हमें ECI द्वारा प्रकाशित ‘Handbook for Presiding Officers’ नामक पुस्तिका मिली |

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित इस पुस्तिका मे मतदान केंद्रों के संबंध में चुनावी नियम और प्रक्रिया के बारे मे पूरी जानकारी दी गयी है |
इस पुस्तिका में हमें उपरोक्त पोस्ट से जुडी बातों का अर्थ मिला | आइये देखते हैं इन शब्दों से जुड़े अर्थ और नियम |
“मतदान की पात्रता” अथवा “Voting Elligibility” :
भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार अगर किसी भी मतदाता (Voter) का नाम निर्वाचक सूचि (electoral roll) मे नहीं है, तो उसके पास मतदाता फोटो पहचान पत्र होने के बावजूद वह व्यक्ति मतदान नहीं कर सकता |
“चुनौती वोट” अथवा “Challenged Vote” :
भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार अगर मतदान अभिकर्ता (Polling Agent) को किसी भी मतदाता के पहचान में शंका हो तो वह ‘चैलेंज्ड वोट’ प्रक्रिया शुरू कर सकता है | अगर मतदाता ने अपने पहचान पत्र के ज़रिये किये गए चुनौती को ख़ारिज कर दिया तो उसे मतदान करने की अनुमति मिलेगी, वरना स्वीकार्य पहचान प्रमाण ना मिलने पर वोटर को पुलिस के हवाले कर दिया जायेगा |
“टेंडर वोट” अथवा “Tendered Vote” :
भारत निर्वाचन आयोग के धारा ४९पी के तहत अगर किसी भी मतदाता को अगर यह पता चलता है कि उसका मतदान किसी और ने कर दिया है, तो वह ‘टेंडर वोट’ की मांग कर सकता है | पहचान का प्रमाण देने के पश्चात उसे मतदान की अनुमति देने के लिए फॉर्म १७बी भरा जायेगा और फिर उसे मतदान के लिए मतपत्र दिया जायेगा |
हमने फिर धारा ४९ए या Section 49A के बारे मे गूगल मे ढूँढा तो हमें ‘legislative.gov.in’ नामक एक अधिकारिक वेबसाइट द्वारा प्रकाशित चुनाव नियमों का ब्यौरा मिला |
“धारा ४९ए” अथवा “Section 49A” :
भारत निर्वाचन आयोग के ‘चुनाव नियमों का संचालन’ के अनुसार धारा ४९ए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के डिज़ाइन से जुड़ी है | इसमें कहा गया है कि ‘प्रत्येक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में एक नियंत्रण इकाई और एक मतदान इकाई होगी और ऐसे डिज़ाइन होंगे जो चुनाव आयोग द्वारा अनुमोदित हो सकते हैं |’
Legislative.gov.inPost | ArchivedLink
हमने जब फिर से मतदान के नियम ढूँढने की कोशिश की तो हमें कहीं भी ‘१४% से ज़्यादा ‘टेंडर वोट’ होने पर फिर से मतदान होगा’ इस दावे का पुख्ता सुबूत नहीं मिला |
उपरोक्त पोस्ट पर महाराष्ट्र DGIPR ने भी ट्वीट किया है जिसमे उन्होंने साफ़ कहा है कि १४% वाला आकड़ा और ख़बर भी ग़लत है |
इन सब जांच से हमें यह साफ़ पता चलता है कि उपरोक्त पोस्ट मे ‘टेंडर वोट’ के अलावा बाकी बातें ग़लत व भ्रामक है |
निष्कर्ष : ग़लत
तथ्यों की जांच से इस बात की पुष्टि होती है कि किया गया चुनाव नियम से जुड़ा दावा ग़लत है | उपरोक्त पोस्ट मे सिर्फ़ ‘टेंडर पोस्ट’ की जानकारी सही है, बाकी सारी जानकारी ग़लत है |
- अगर आपका नाम निर्वाचक सूचि (electoral roll) मे नहीं है, तो आप मतदान नहीं कर सकतें हैं |
- धारा ४९ए EVM के बनावट के बारे मे हैं, ‘चैलेंज्ड वोट’ के बारे मे नहीं है |
- ‘चैलेंज्ड वोट’ मतदान अभिकर्ता के लिए है, मतदाता के लिए नहीं |
- १४% से ज़्यादा टेंडर वोट होने पर फिर से मतदान होगा, यह दावा भी गलत है |
- सिर्फ़ ‘टेंडर वोट’ का दावा आंशिक रूप से सही है, क्योंकि यह तभी लागू होगा जब मतदाता का नाम निर्वाचक सूचि (electoral roll) मे दर्ज हो |

Title:क्या मतदाता सूचि मे नाम नहीं रहा तो भी नियम ४९ए के तहत आप वोट कर सकते हैं? जानिये सच |
Fact Check By: Nita RaoResult: False
