पुलिस के मुताबिक सभी बच्चें बिहार व बंगाल के हैं जिनके आधार कार्ड से यह पता चला , ये छुट्टियों के दौरान घर से मदरसा लौट रहे थे….

सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें कई नाबालिग लड़कों को पुलिस की मौजूदगी में एक ट्रक से नीचे उतरते हुए देखा जा सकता है। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि इन बच्चों को अवैध रूप से बांग्लादेश से भारत में प्रवेश कराया जा रहा हैं। जिसके बाद इन्हें पूरे देश में भेजा जाएगा।
वायरल वीडियो के साथ लिखा गया है – एक ट्रक कोल्हापुर, महाराष्ट्र में पकड़ा गया. बच्चों के पास पश्चिम बंगाल का रेलवे टिकट पाया गया। बांग्ला देश से रोहिज्ञा को पश्चिम बंगाल में प्रवेश कराया जाता हैं फिर सारे देश में भेजा जाता है।
अनुसंधान से पता चलता है कि…
पड़ताल की शुरुआत में हमने वायरल वीडियो के तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च किया। परिणाम में वीडियो की खबर हमें कई मीडिया रिपोर्ट्स में देखने को मिली।
18 मई 2023 को टीवी9 हिन्दी में प्रकाशित खबर के मुताबिक ट्रक में 63 बच्चों को बिहार और पश्चिम बंगाल की सीमा से महाराष्ट्र के कोल्हापुर लाया गया था। इन बच्चों के आधार कार्ड और पहचान पत्र बरामद किए जा चुके हैं।
पूछताछ और जांच में पता चला कि वे कोल्हापुर स्थित एक मदरसे में पढ़ते हैं। गर्मी की छुट्टी में बच्चे अपने-अपने गांव गए थे। वहां से वे ट्रेन से रेलवे स्टेशन तक पहुंचे थे। इसके बाद उन्हें ट्रक में लाद कर ले जाया जा रहा था।

वहीं इंडिया टीवी में प्रकाशित खबर के मुताबिक यह घटना 17 मई दोपहर 2 बजे की है। सभी बच्चे 8-12 साल की उम्र के हैं, जो बिहार और पश्चिम बंगाल से ट्रेन के जरिए कोल्हापुर पहुंचे थे। सभी बच्चे मदरसे में पढ़ते हैं। स्टेशन पहुंचने के बाद कुछ हिंदूवादी संगठनों ने पुलिस को बच्चों को ट्रक में बिठाए जाने की सूचना दी। पुलिस की जांच में पता चला कि ये सभी बच्चे इलाके के एक मदरसे में पढ़ते हैं। सभी गर्मी की छुट्टी में अपने घर चले गए। सभी एक साथ ट्रेन से कोल्हापुर स्टेशन पहुंचे थे।

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पड़ताल में आगे हमें लोकमत और आईएएनएस टीवी में कोल्हापुर के पुलिस अधीक्षक मंगेश चव्हाण का स्पष्टीकरण वीडियो मिला। जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि बच्चे बिहार और बंगाल से आए है।
उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि 69 बच्चे बिहार से पुणे तक ट्रेन से आए थे, फिर उन्हें पुणे से कोल्हापुर तक ट्रक में लाया गया था। इस ट्रक को पूर्वाकार कॉलोनी के महाराजा चौक पर रोक दिया गया। इस ट्रक में 7 से 13 साल के बच्चों को देखकर भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्रीय सदस्य विजेंदर माने ने ट्रक ड्राइवर से सवाल किया, जब ट्रक चालक कोई जवाब नहीं दे सका, तो माने ने जिला पुलिस प्रमुख शेलेश बालकोडे को सूचित किया और लड़कों और ट्रक को शिरोली पुलिस स्टेशन ले जाया गया। बच्चों की तलाशी के बाद सहायक पुलिस निरीक्षक सागर पाटिल ने कहा कि उनके पास आधार कार्ड हैं। बच्चे बिहार और बंगाल से महाराष्ट्र के कोल्हापुर स्थित एक मदरसे में पढ़ने आए थे। बच्चे गर्मी की छुट्टियां खत्म कर घर से वापस आ रहे थे।
हमने मंगेश चव्हाण से संपर्क किया तो उन्होंने हमें कहा कि वायरल दावा गलत है।बच्चे बांगलादेशी या फिर रोहिंग्या नहीं है। कोल्हापुर में एक ट्रक के अंदर 63 बच्चे मिले थे। पहले हमें लगा था मामला चाइल्ड ट्रैफिकिंग है। लेकिन एसा नहीं था। आगे की जांच चल रही है। ये बच्चे बिहार के अररिया के हैं। वे यहां अजरा स्थित मरदसे में पढ़ते हैं। वे घर से चले और फिर हावड़ा से ट्रेन पकड़कर रेलवे स्टेशन पहुंचे थे। वहां से मदरसा दूर है, जिस कारण उनको ट्रक में ले जाया जा रहा था। उनको चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को सौंप दिया गया है। सोशल मीडिया पर गलत दावा वायरल किया जा रहा है।
इसके अलावा हमनो सीडब्ल्यूसी कोल्हापुर के मजिस्ट्रेट पद्मजा घेर से संपर्क किया तो उन्होंने हमें कहा कि घटना में मुख्य रुप से नाबालिग शामिल हैं और अभी भी मामले की जांच चल रही है। लेकिन ये स्पष्ट है कि ये बचे रोहिंग्या नहीं हैं। उनमें से ज्यादातर बिहार के अररिया और सुपौल इलाके से हैं।
इससे साफ होता है कि वीडियो में दिख रहे बच्चों को अवैध रूप से बांग्लादेश से भारत में प्रवेश नहीं कराया जा रहा है। जिसका दावा भ्रामक है।
निष्कर्ष- तथ्य-जांच के बाद, हमने पाया कि वायरल पोस्ट में बच्चों को अवैध रूप से बांग्लादेश से भारत में प्रवेश कराने का दावा भ्रामक है। बच्चे बिहार और बंगाल से आए थे। ये बच्चे महाराष्ट्र के कोल्हापुर स्थित एक मदरसे में पढ़ते हैं। जो गर्मी की छुट्टियां खत्म कर घर से मदरसा लौट रहे थे।

Title:ट्रक से उतरते बच्चों के भारत में अवैध रूप से प्रवेश का वीडियो क्या वाकई सच है ? क्या ये रोहिंग्या है ?
Written By: Sarita SamalResult: False
