कथित भाजपा विधायक अनिल उपाध्याय का नाम उत्तरप्रदेश में जातीय हिंसा भड़काने के सम्बंध में फैलाया जा रहा है |
विधायक अनिल उपाध्याय सोशल मंच पर एक वो नाम है जिसे अलग अलग समयों पर अलग अलग राजनीतिक पार्टियों के साथ सुविधा अनुसार जोड़ भ्रामक दावे पेश किये जाते रहें हैं, हालाँकि विधायक अनिल उपाध्याय एक काल्पनिक पात्र हैं | एक वीडियो, जिसमें पुलिस स्टेशन के सामने एक ट्रक देखा जा सकता है, और उसमें कुछ लोग भरे हुये हैं इस विडियो को सोशल मंचो पर जातीसूचक दावों व कथित भाजपा विधायक अनिल उपाध्याय से जोड़ के फैलाया जा रहा है, इस बहुचर्चित विडियो के बैकग्राउंड में एक व्यक्ति को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि ट्रक पर सवार सारे लोग दलित हैं, जिन्हें सिर्फ इसलिए पकड़ कर लाया गया है क्योंकि इन्होंने क्षत्रिय बिरादरी के लोगों के खिलाफ शिकायत की थी, जो गाँव की जमीन पर कब्ज़ा कर रहे थे, सम्बंधित गांव उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में पड़ता है | इस वीडियो को वायरल करते हुए यह भी दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश से भाजपा विधायक, अनिल उपाध्याय दलितों के साथ ऐसा व्यहवार करते है | इस वीडियो को ३५००० से ज्यादा प्रतिक्रियाएं मिल चुकी है |
वीडियो के बैकग्राउंड में एक व्यक्ति कहता है कि “इनकी शिकायत पर पुलिस ने इनको थाने पर बुलाया और थाने पर बुलाकर के कब्जाधारित और पुलिस ने मिलकर के इनकी पिटाई की | पिटाई करने के बाद इनको गोली भी मारी गई, जिसमें से 3 लोग घायल हुए, जिसमें से एक १२ साल का बच्चा है, एक १५ साल का बच्चा है और एक ६५ साल के बुज़ुर्ग हैं | इन तीनों लोगों के घायल होने के बाद ग्रामीणों ने जब विरोध किया तो पुरे गाँव में PAC लगाकर के पुरे गाँव की महिलाओं और बच्चों को बर्बरता से मारा गया और उनमें से इन २६-२७ बुज़ुर्गों को गिरफ्तार करके पुलिस ले आयी है | आप देख सकते हैं कि किस तरह से भेड़-बकरी की तरह ले करके आयी है |”
पोस्ट के शीर्षक में लिखा गया है कि “B.j.p. विधायक अनिल उपाध्याय की इस हरकत पर क्या कहेगे मोदी जी |”
अनुसंधान से पता चलता है कि...
जाँच की शुरुवात हमने इस वीडियो को इन्विड टूल के मदद से गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया, जिसके परिणाम में हमें १८ मई २०१८ को ABP न्यूज़ द्वारा प्रसारित एक खबर मिली | खबर के अनुसार दलितों के दो वर्गों ने एक सरकारी ज़मीन को लेकर आपस में लड़ाई गई थी, जहाँ एक ईमारत का निर्माण कार्य जारी था | एक वर्ग इस निर्माण कार्य का विरोध कर रहे थे, उनका कहना था कि इससे गाँव में शादी-विवाहों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली खाली ज़मीन बहुत कम रह जाएगी | इस खबर में लालचंद नामक एक व्यक्ति ने सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की जिसके बाद गांव वालों ने विरोध कर सरकारी जमीन पर बनाई जा रही दीवार को गिरा दिया | यह विवाद लालचंद के लोगों और एक अन्य गावंवालों के बीच था, जो इस निर्माण कार्य का विरोध कर रहे थे | खबर में साफ़ साफ़ कहा गया है की यह घटना दालितों के बीच सरकारी ज़मीन को लेकर लड़ाई की है | पुलिस ने ABP न्यूज़ को बताया कि इस सम्बंध में लगभग २०० लोग थाने आए थे और थाने के सामने हिंसक रूप से विरोध करने लगे थे|
मीडिया संगठन UttarPradesh.org ने भी इस घटना पर सम्बंधित खबर प्रकाशित की थी, उनके आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से इस घटना की सुचना देते हुए लिखा गया है कि “गोरखपुर- सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से आवास बनवाए जाने के विरोध में आक्रोशित भीड़ ने गगहा थाने पर किया पथराव, पुलिस ने भीड़ को काबू में करने के लिए चलाई रबर की गोलियां, तीन ग्रामीण सहित कुछ पुलिसकर्मियों के घायल होने की सूचना |”
१५ मई २०१८ को न्यूज़ यूपी उत्तराखंड नामक यूट्यूब चैनल ने इस घटना से संबंधित वीडियो अपलोड किया | वीडियो के शीर्षक व विवरण में लिखा गया है कि “गोरखपुर में मंगलवार को गांव के लोगों ने गगहा थाने पर जमकर पथराव किया | पुलिस ने भीड़ को काबू में करने के लिए रबर की गोलियां चलाई। इस दौरान तीन ग्रामीण घायल हो गए |”
आई.जी रेंज मोरादाबाद पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से मीडिया को यह जानकारी देते हुए कहा कि इस मामले में १३ लोगों की गिरफ़्तारी हुई है |
इस खबर को पत्रिका ने भी प्रकाशित किया है |
घटना का पूरा ब्योरा मिलने के पश्चात हमने कथित भाजपा विधायक अनिल उपाध्याय को ढूँढने की कोशिश की, भाजपा विधायक के बारें में गूगल पर सर्च करने से हमें MyNeta.info की वेबसाइट का लिंक मिला | हमने MyNeta डेटाबेस पर खोजा तो पाया की अनिल उपाध्याय नाम का कोई भाजपा विधायक नहीं है | इसी नाम से दो व्यक्तियों का प्रोफाइल हमें मिला | पहला- जोधपुर के एक बीएसपी नेता डॉ अनिल उपाध्याय, जिन्होंने २०१८ में राजस्थान से चुनाव लड़ा | दूसरा प्रोफाइल लखनऊ से निर्दलीय उम्मीदवार अनिल कुमार उपाध्याय, जिन्होंने २००७ और २०१२ में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ा था |
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निष्कर्ष: तथ्यों के जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | यह घटना सरकारी ज़मीन पर निर्माण कार्य को लेकर दो दलित वर्गों के बीच विवाद के चलते पुलिस द्वारा की गई गिरफ़्तारी के वक्त की है | इस घटना के साथ कथित भाजपा विधायक अनिल उपाध्याय का कोई संबंध नही है, भाजपा विधायक अनिल उपाध्याय मात्र एक काल्पनिक चरित्र हैं | सम्बंधित घटना लगभग २ साल पुरानी है |
Title:कथित भाजपा विधायक अनिल उपाध्याय का नाम उत्तरप्रदेश में जातीय हिंसा भड़काने के सम्बंध में फैलाया जा रहा है |
Fact Check By: Aavya RayResult: False