
सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ एक तस्वीर साझा की जा रही है कि उत्तर प्रदेश टांडा पुलिस द्वारा पिटाई के बाद एक मुस्लिम लड़के रिजवान की मौत हो गई है, क्योंकि वह तालाबंदी के दौरान बिस्कुट और अन्य घरेलू सामान खरीदने के लिए बाहर गया था |
पोस्ट के शीर्षक में लिखा गया है कि “टांडा (यूपी) में पुलिस द्वारा पीटे जाने के बाद एक मुस्लिम लड़के, रिजवान की मौत हो गई | उसके रिश्तेदारों का कहना है कि वह भूखा था और बिस्कुट और अन्य घरेलू सामान खरीदने के लिए बाहर गया था |”
अनुसंधान से पता चलता है कि..
जाँच की शुरुवात हमने गूगल पर उपरोक्त घटना से संबंधित कीवर्ड्स से सर्च कर न्यूज़ रिपोर्ट ढूँढने से की, जिसके परिणाम से हमें १८ अप्रैल २०२० को प्रकाशित ‘द हिंदू’ का एक लेख मिला | इस लेख के अनुसार, दिहाड़ी मजदूर रिजवान अहमद की उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले में मृत्यु हो गई थी और उसके पिता ने आरोप लगाया कि तीन दिन पहले टांडा शहर पुलिस द्वारा पिटाई के परिणामस्वरूप लगी चोटों के कारण रिजवान की मौत हुई थी |
इस घटना से बारें में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए फैक्ट क्रेसेंडो ने आंबेडकर नगर के एस.पी अलोक प्रियदर्शी से संपर्क किया उन्होंने हमें बताया कि:-
“सोशल मीडिया पर इस घटना के माध्यम से किये गये दावे सरासर गलत है | रिजवान की मौत पुलिस द्वारा उसे पीटने कि वजह से नही हुई है | उसके मौत के बाद उसके पिता ने हमें बताया कि उसको ताजगंज के चौराहा में पुलिस ने पीटा था | परंतु वहां लगे सी.सी.टी.वी कैमरों में हमें ऐसा कुछ भी नही मिला | रिज़वान की मौत के पश्चात पोस्ट मोर्टेम रिपोर्ट के अनुसार उसकी मौत पेरिकार्दिअल एफुशुन और वुंड इंजरी से हुई थी | वुंड इंजरी के बारे में रिजवान के परिवार वालों ने रिज़वान को सबसे पहले चिकित्सा देने वाले उनके पारिवारिक डॉक्टर और उसके बाद हस्पताल के डॉक्टर को यह बताया कि रिजवान को ये चोटें मोटरसाइकिल दुर्घटना से पहुंची थी | उन्होंने इलाज के चलते कभी भी इस बात का ज़िक्र नही किया था कि पुलिसकर्मी ने रिजवान को पीटा था | इंजरी रिपोर्ट में भी रिजवान को सेप्तिसेमिया होने का संदेह था |”
फैक्ट क्रेसेंडो द्वारा रिज़वान की पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्राप्त की गई, रिपोर्ट के अनुसार रिज़वान की मौत पेरिकार्दिअल एफुशुन और वूंड इन्फेक्शन की वजह से हुई थी|
इसके आलावा हमें आंबेडकर नगर पुलिस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर दिया गया एक वीडियो स्पष्टीकरण मिला जहाँ पुलिस अधीक्षक ने कहा कि उन्होंने सीसीटीवी फुटेज की जांच की है और रिजवान के परिवार के सदस्यों द्वारा कथित रूप से बोली गई जगह पर ऐसी कोई घटना नहीं हुई है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मृतक के शरीर पर लाठीचार्ज के कारण चोटों का कोई जिक्र नहीं था | साथ ही, पुलिस ने कहा है कि, रिपोर्ट में, यह उल्लेख किया गया था कि मृतक के फेफड़े और दिल में संक्रमण था और मोटरसाइकिल से गिरने के कारण चोटें आई थीं, जिसकी पुष्टि एक स्थानीय चिकित्सक ने की थी |
अम्बेडकरनगर पुलिस ने एक अन्य ट्वीट में स्थानीय (टांडा) डॉक्टर के बयानों की रिकॉर्डिंग के साथ एक वीडियो भी अपलोड किया है | वीडियो में दिखाए गये डॉक्टर रिजवान के परिवार के पारिवारिक डॉक्टर है | वीडियो में, डॉक्टर ने कहा है कि पांच से छह दिन पहले, रिजवान के परिवार के सदस्य ने उनसे दवा के लिए कहा, यह कहते हुए कि रिजवान को मोटरसाइकिल के गिरकर चोट लगी थी और बाद में, दूसरे दिन, जब वह इलाज के लिए रिजवान के घर गया, तो उसके पैरों पर घाव दिखाई दिए परंतु तब भी किसीने उन्हें पुलिस द्वारा पीटने कि बात नही की | उन्हें बार बार यह बताया गया कि रिजवान को मोटरसाइकिल के गिरकर चोटे पहुंची थी |
अंबेडकरनगर पुलिस ने भी इस घटना के संबंध में सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही फर्जी खबरों की निंदा व खंडन करते हुए ट्वीट किया | इस रिपोर्ट में साफ़ साफ़ लिखा गया है कि रिजवान की मौत ह्रदय और फेफड़े के संक्रमण से कारण हुई थी | साथ ही पोस्ट मोर्टेम रिपोर्ट में शारीर में लाठी कि चोट नही पाये गये थे |
हालाकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रिजवान अहमद ने मरने से पहले एक लिखित बयान दिया था, जिसके अनुसार उन्होंने यह बात खुद कबूला था कि उन्हें पुलिस द्वारा पीटा गया है | इस सम्बन्ध में जब हमने एस.पी अलोक प्रियदर्शी से बात की, तो उन्होंने हमें बताया कि पुलिस के पास मृत व्यक्ति द्वारा दिया गया कोई लिखित बयान नही है और ना ही ऐसा कोई बयान पुलिस को उपलब्ध कराया गया है | साथ ही उन्होंने हमें बताया कि इस प्रकरण को लेकर रिजवान के पिता या फिर रिज़वान के किसी भी पहचान वालों ने कोई शिकायत दर्ज नही की है | पुलिस के बार बार पूछने के बावजूद भी रिजवान के पिता या परिवार वालें हमें यह नही बता पाए कि उनके बेटे को पुलिस ने किस जगह पर पीटा था | अगर उनके द्वारा शिकायत दर्ज कि जाती है तो पुलिस उनकी तहरीर पर संज्ञान ले विवेचना करेगी|
इस पूरे प्रकरण में जो बातें निकल कर आयीं है,
1-पारिवारिक डॉक्टर व तद्पश्चात जिस हॉस्पिटल में रिज़वान का इलाज हुआ दोनों जगह चोट की वजह मोटरसाइकिल से गिरना बताई गई थी|
2-रिज़वान के पिता द्वारा बताई गई घटना की जगह के CCTV खंगालने पर ऐसी कोई घटना रिकॉर्ड नहीं पाई गई|
3-रिज़वान का लिखित बयान जो की कई समाचार पत्रों में उल्लेखित है जिसमे रिज़वान ने पुलिस द्वारा उसे पीटने की बात की है, गलत है|पुलिस के पास न तो ऐसा कोई लिखित बयान है और न ही उन्हें प्राप्त कराया गया है|
4-पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रिज़वान की मृत्यु का कारण स्पष्ट बताया गया है, जो कि पेरिकार्दिअल एफुशुन और सेप्तिसेमिया हैं, मृतक के शरीर पर लाठीचार्ज के कारण चोटों का कोई जिक्र नहीं है|
5-रिज़वान के पिता के द्वारा पुलिस पर संगीन आरोप लगाने के पश्चात भी कोई शिकायत पत्र नहीं दिया गया|
निष्कर्ष: तथ्यों के जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर के माध्यम से किया गया दावा कि यूपी में टांडा पुलिस ने मुसलमान व्यक्ति को लोक डाउन का उल्लंघन करने के कारण लाठी से पीटकर मार डाला सरासर गलत है | रिजवान में पोस्ट मोर्टेम के अनुसार उसकी मौत ह्रदय और फेफड़ों के संक्रमण से कारण व सेप्तिसेमिया से हुई थी | उसके शारीर में लाठी की कोई भी चोट नही पाई गई थी |

Title:क्या लॉकडाउन का उल्लंघन करने के कारण उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक मुसलमान लड़के कि जान ले ली?
Fact Check By: Aavya RayResult: False
