सड़क पर इस तरह से भागते बच्चों की तस्वीर के पीछे की वास्तविक घटना क्या है? पढ़िए पूरी खबर

False International

1972 में हुए वियतनाम युद्द की घटना को 1965 का बता कर गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है , इस घटना का पाकिस्तान से कोई लेना देना नहीं है।

बलूचिस्तान लंबे वक़्त से पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे हिंसक विद्रोह का सामना कर रहा है। सोशल मीडिया पर इसी से मिलती जुलती ब्लैक एंड वाइट के दौर की दो तस्वीरों को जम कर प्रचारित किया जा रहा है। जिसमें कुछ बच्चें सड़क पर भागते हुए दिख रहे है। इनमें एक बच्चा नग्न अवस्था में दौड़ते हुए नज़र आ रहा है। 

यूज़र द्वारा साझा किये गए इस पोस्ट की तस्वीरों को 1965 का बताया गया है, जब भारत से करारी हार का सामना किया था| उस समय बलूचिस्तान ने 1965 की भारतपाकिस्तान की लड़ाई में भारत का साथ दिया था जिसके बाद पाकिस्तान  की फौज ने बलूच बच्चों पर अत्याचार किया, और उनको सड़क पर नग्न अवस्था में दौड़ाते हुए फायरिंग की। पकिस्तान की फौज ने ऐसा इसलिए किया क्यूंकि बलूचिस्तान ने भारत का साथ दिया था। 

वायरल पोस्ट के कैप्शन में लिखा गया है कि बलूचिस्तान ने 1965 की भारतपाकिस्तान की लड़ाई में भारत का साथ दिया था, भारत से 1965 की लड़ाई हारने के बाद पाकिस्तान की फौज ने बलोचिस्तान के लोगों पर अत्याचार करने शुरू कर दिए , ये उनके अत्याचारो को बेनकाब करती हुई कुछ तवसीरे हैं जिनमें पाकिस्तान के फौजी बलूच बच्चों को सड़क पर नंगा दौड़ते हुए उनपर फायरिंग कर रहे थे

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अनुसंधान से पता चलता है की…

सबसे पहले हमने तस्वीरों का गूगल इमेज रिवर्स किया और इससे सम्बंधित ख़बरों की खोज शुरू की। परिणाम में हमें कुछ मीडिया रिपोर्ट्स प्रकाशित मिलीं। इनमें न्यूयोर्क पोस्ट के मुताबिक ये तस्वीरें 8 जून, 1972 की है जब वियतनाम युद्ध के दौरान नैपालम नागरिकों पर गिरा दिया गया था। इस रिपोर्ट हम वायरल तस्वीर को देख सकते हैं जिसे यूज़र द्वारा बलूचिस्तान का बताया गया। रिपोर्ट को आगे पढ़ने पर ये पता चलता है की तस्वीर में नग्न हो कर भाग रही बच्ची एक नौ वर्षीय बच्ची है जिसका नाम किम फुक है। जो अपने भाइयों, चचेरे भाइयों और दक्षिण वियतनामी सेना के साथ चल रही है, जिसने गलती से नैपालम नागरिकों पर गिरा दिया गया था। इस बच्ची को आज पूरी दुनिया ‘नेपल्म गर्ल’ के नाम से जानती है। 

25 अक्टूबर, 2015 को प्रकाशित इस रिपोर्ट में नेपालम गर्ल यानी की किम फुक ने उन दिनों को याद करते हुए कभी न भूलने वाला दिन बताया। नेपालम से पीड़ित होने के बाद किम फुक ने अपने शरीर पर उसके द्वारा दिए गए ज़ख्मों को ठीक करने के लिए लेज़र ट्रीटमेंट का जिक्र किया है।

इसके बाद हमने सीएनएन द्वारा प्रकाशित खबर पढ़ी जिसे 9 जून 2022 को प्रकाशित किया गया था, जिसके अनुसार तस्वीर से सम्बंधित घटना के बारे में बताया गया। नेपालम के घातक हमले से भागते बच्चों की भयानक तस्वीर न केवल वियतनाम युद्ध बल्कि 20वीं शताब्दी की एक परिभाषित छवि बन गई है। उनके पीछे काला धुंआ उड़ रहा है, युवा विषयों के चेहरे आतंक, दर्द और भ्रम के मिश्रण से रंगे हुए हैं। दक्षिण वियतनामी सेना के 25वें डिविजन के सैनिक बेबसी से पीछे पीछे चल रहे हैं। 8 जून, 1972 को त्रांग बंग गांव के बाहर ली गई इस तस्वीर में एक संघर्ष के आघात और अंधाधुंध हिंसा को दिखाया गया है, जिसमें कुछ अनुमानों के अनुसार, एक लाख या अधिक नागरिक जीवन का दावा करते हैं।  गौरतलब है ये रिपोर्ट एक फीचर राइटिंग के तौर पर छपी  थी। जिसमें घटना का पूरा विवरण देते हुए तस्वीर के फोटोग्राफर निक यूट ये बताते है की “उस दिन  फुक और उसका परिवार एक बौद्ध मंदिर में अन्य नागरिकों और दक्षिण वियतनामी सैनिकों के साथ शरण लिए हुए थे। अपने स्वयं के सेना के विमान के ऊपर की आवाज सुनकर, सैनिकों ने हमले के डर से सभी से भागने का आग्रह किया। दुख की बात है कि समूह को दुश्मन समझ लिया गया था।

“मैंने अपना सिर घुमाया और हवाई जहाजों को देखा, और मैंने चार बमों को नीचे उतरते देखा,” फुक ने कहा। “फिर, अचानक, हर जगह आग लग गई, और मेरे कपड़े आग से जल गए। उस पल मैंने अपने आसपास किसी को नहीं देखा, बस आग थी। इस दौरान फुक ने अपने बचे हुए कपड़े फाड़ दिए और रूट 1 हाइवे पर भाग गई। वियतनामी फ़ोटोग्राफ़र निक यूट , जो उस समय 21 वर्ष का था, उस दिन और संघर्ष की आशंका जताते हुए गाँव के बाहर तैनात कई पत्रकारों में से था।

रिपोर्ट में एक वीडिओ है जिसमें नेपालम गर्ल के साथ फोटोग्राफर निक यूट के एक इंटरव्यू देखे जा सकते हैं।

पड़ताल में हमने पोस्ट से जुड़ी और भी तथ्यों की खोज की जिससे मिलती जुलती रिपोर्ट को   हिंदुस्तान टाइम्सद सन,  ईडी टाइम्स , में देखे जा सकते हैं।

वियतनाम की नेपालम घटना क्या थी ?

आजतक की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका ने वियतनाम युद्ध में जो तबाही मचाई, उसके निशान अब भी वियतनाम और वहां के लोगों के बीच मौजूद हैं. युद्ध में अमेरिका ने खतरनाक रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया जिसमें लाखों लोगों की मौत हो गई।  जो लोग बच गए, उनके शरीर पर भी युद्ध की विभीषिका ने ऐसे जख्म दिए जो आज भी ताजे हैं। उन्हीं लोगों में शामिल थीं नौ साल की किम फूक फान ती जो अमेरिकी विमानों द्वारा गिराए गए नेपालम रासायनिक बमों से बुरी तरह जल गई थीं। बम गिरने के बाद बच्चों के बीच दौड़ती उनकी एक तस्वीर वियतनाम युद्ध का चेहरा बन गई थी ।तस्वीर वायरल होने के बाद वो विश्वभर में ‘नेपालम गर्ल’ के नाम से मशहूर हुईं। अब अमेरिका-वियतनाम युद्ध के 50 सालों बाद फान ती की जली हुई त्वचा का इलाज पूरा हुआ है जिससे वो बेहद खुश हैं।

निष्कर्ष

उपरोक्त तथ्यों के जांच से ये पता चलता है की जिस तस्वीर को यूज़र द्वारा बलूचिस्तान की एक घटना का बता कर वायरल किया है। असल में वो वियतनाम की एक घटना है। हमने अपने पड़ताल में बलूचिस्तान से जुड़ी ऐसी कोई भी घटना को नहीं पाया जो दावे को सही साबित कर सके। ऐसे में यूज़र का पोस्ट को लेकर किया गया दावा पूरी तरह से फ़र्ज़ी है।

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Title:सड़क पर इस तरह से भागते बच्चों की तस्वीर के पीछे की वास्तविक घटना क्या है? पढ़िए पूरी खबर

Fact Check By: Priyanka Sinha 

Result: False