चमोली जिले में आई प्राकृतिक आपदा के पश्चात १३ गाँवों के अवशेष मात्र रह जाने की ख़बर गलत व भ्रामक है।

False Natural Disaster

हालही में उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने से हुई तबाही के चलते सोशल मंचों पर कई वीडियो, तस्वीरें व खबरें इस सन्दर्भ में साझा की जा रही है। इन दिनों इंटरनेट पर एक ख़बर काफी वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि गत दिनों चमोली जिले के तपोवन क्षेत्र में आई प्राकृतिक आपदा के पश्चात क्षेत्र के १३ गाँव के अब केवल अवशेष मात्र रह गये हैं व क्षेत्रवासी बिना किसी छत के खुले में ही पड़े हैं।

पोस्ट के शीर्षक में लिखा है 

चमोली,तपोवन! लगभग 13 गांवो के तो अवशेष ही बचे हैं। सैकड़ों स्त्री-पुरुष-बच्चे खुले में पड़े हैं। दिन जैसे तैसे कट जाता है, लेकिन रात में तापमान 1-2 डिग्री हो जाता है। उस पर जंगली भालुओं का डर! पुल बह चुका है। सड़कों का नामोनिशां नहीं। ऐसे में खाद्यों से भरी बोरियां कंधे पर उठाए यह कौन लोग है? नमन, वंदन, ऐसी निष्ठा को

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जंवाज़ों ने पिछले 3 दिनों से मोर्चा संभाल रक्खा है। कोई भूखा न मरे।कोई बीमारी से न मरे। नोट:- तस्वीर फाइल फोटो गर्व है कि संघ से हैं।

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इस खबर को इंटरनेट पर काफी साझा किया जा रहा है।

अनुसंधान से पता चलता है कि…

फैक्ट क्रेसेंडो ने जाँच के दौरान पाया कि १३ गावों के अवशेष मात्र रह जाने की ख़बर गलत है, उत्तराखंड प्रशासन व स्थानीय ग्राम वासियों ने ये स्पष्ट किया है कि किसी भी ग्राम को कोई जान माल का नुकसान नहीं हुआ है।

उपरोक्त हो रहे दावे की सत्यता जाँचने के लिए सबसे पहले हमने जोशीमठ तहसील (जिसके अंतर्गत ये सारे ग्राम आते हैं) एस.डी.एम् कुमकुम जोशी से संपर्क किया, उनके द्वारा हमें स्पष्ट किया गया कि..

इसके पश्चात हमें उत्तराखंड के समकालीन डी.जी.पी अशोक कुमार जी के दफ्तर से ये जानकारी दी गई..

तदनंतर इस मामले की अधिक जानकारी के लिए हमने तपोवन के ग्राम प्रधान श्री “किशोर कनियाल से इस सन्दर्भ में बात की उनके द्वारा ये स्पष्ट किया गया कि 

तदनंतर फैक्ट क्रेसेंडो ने तपोवन क्षेत्र के स्थानीय निवासी भगत सिंह बिष्ट से संपर्क किया जो राहत कार्य में अपना योगदान दे रहे है व वर्तमान में आपदा की जगह पर मौजूद हैं, वायरल हो रहे सन्देश के सन्दर्भ में उन्होंने स्पष्ट किया कि 

भगत सिंह बिष्ट ने हमें प्रभावित स्थल की कुछ तस्वीरें भी उपलब्ध करायी है।

उपरोक्त दावे के साथ जिस फोटो को वायरल किया जा रहा है उस फोटो को भी कई सोशल उपभोक्ताओं द्वारा वर्तमान का बताया जा रहा है, ज्ञात रहे कि यह फोटो वर्ष २०१३ उत्तराखंड में बादल फटने के बाद आई केदारनाथ आपदा के वक़्त की है

निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने पाया है कि उपरोक्त दावा गलत है। उत्तराखंड प्रशासन व स्थानीय लोगों द्वारा ये स्पष्ट किया गया है कि सोशल मंचों पर वायरल हो रहा दावा सरासर गलत व भ्रामक है, कुछ सोशल उपभोक्ताओं द्वारा दावे के साथ की तस्वीर को वर्तमान में आरएसएस कार्यकर्ताओं द्वारा तपोवन आपदा में सहयोग का बताना भी गलत है, तस्वीर वर्ष २०१३ से है। 

फैक्ट क्रेसेंडो द्वारा किये गये अन्य फैक्ट चेक पढ़ने के लिए क्लिक करें :

.शिवसेना के पोस्टर का रंग बदलकर उसे गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

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Title:चमोली जिले में आई प्राकृतिक आपदा के पश्चात १३ गाँवों के अवशेष मात्र रह जाने की ख़बर गलत व भ्रामक है।

Fact Check By: Rashi Jain 

Result: False