
७ मई २०१९ को शर्मा सीमा नामक एक फेसबुक यूजर ने एक विडियो पोस्ट किया | विडियो के शीर्षक में लिखा गया है कि “इस्कोन के संयासों को बंगाल के पुलिस के हमले किया क्योंकि वह भगवद गीता बेच रहे थे |” इस विडियो में हम एक पुलिस की गाड़ी के सामने इस्कॉन सन्यासी तथा पुलिस के बीच हाथापाई होते हुए देख सकते है | विडियो के माध्यम से यह दावा किया जा रहा है कि यह विडियो बंगाल की है और इस विडियो में सन्यासियो को पुलिस द्वारा पीटा जा रहा है क्योंकि यह भगवद गीता बेच रहे थे | यह विडियो सोशल मीडिया पर काफ़ी चर्चा में है | फैक्ट चेक किये जाने यह विडियो ५०० से ज्यादा प्रतिक्रियाएं प्राप्त कर चुकी थी | इस विडियो को लगभग १३००० व्यूज मिल चुके है | इस्कोन एक कृष्णा चेतना के लिए इंटरनेशनल सोसायटी है |
क्या वास्तव में बंगाल में इस्कॉन सन्यासियो पर इसलिए हमला किया गया क्योंकि वह भगवद गीता बेच रहे थे? जानिए सच |
संशोधन से पता चलता है कि..
जांच की शुरुआत हमने इस विडियो को इनविड टूल पर कीफ्रेम्स को तोड़ने से किया | इन कीफ्रेम्स को हमने यानडेक्स रिवर्स इमेज सर्च किया | परिणाम से हमें यह विडियो १६ अप्रैल २०१८ को नेशनलिस्ट भारत द्वारा यू-ट्यूब पर साझा किया हुआ मिला | इस विडियो के शीर्षक में लिखा गया है कि “रूस से आए भगवान कृष्ण के भक्तों को उनकी यात्रा पर गोवा में ईसाइयों ने पीटा था |” इस शीर्षक से हमें यह पता चलता है कि यह विडियो २०१९ का नहीं बल्कि पिछले साल का है | और तो और यह विडियो शायद बंगाल का भी नहीं है | २०१८ में इस विडियो को एक अलग कथन द्वारा साझा किया गया था |
इसके पश्चात हमने विडियो की बारीकी से जांच की | विडियो में पहले ७ वे सेकंड पर हम पुलिस की गाडी के ऊपर गोवा लिखा हुआ देख सकते है | इसके बाद ५४ वे सेकंड पर पुलिस गोवा के बाजु में पुलिस शब्द देखा जा सकता है |
इससे हम स्पष्ट होकर कह सकते है कि यह गाड़ी गोवा पुलिस की है जिसका यह मतलब है की यह विडियो बंगाल की नहीं हो सकती |
इसके पश्चात वायरल विडियो में हमें इस्कॉन ट्रुथ का वाटर मार्क दिखा | इस वाटर मार्क को गूगल पर सर्च करने से हमें इस्कॉन के वेबसाइट का लिंक मिला जहाँ हमें उनके द्वारा अपलोड यह विडियो मिला | उन्होंने यू-ट्यूब पर २५ नवंबर २०१८ को यह विडियो अपलोड किया था | इस विडियो के शीर्षक में भी गलत कथन लिखा गया है कि यह बंगाल का विडियो है और इस विडियो में हम इस्कॉन के सन्यासियो को पुलिस द्वारा पीटते हुए देख सकते है |
हमें यू-ट्यूब पर १८ अप्रैल २०१८ को गोवा बीच लाइफस्टाइल द्वारा अपलोड किया यही विडियो मिला | विडियो के शीर्षक में लिखा गया है कि रुसी यात्रियों ने गोवा पुलिस पर हमला किया |
इसके बाद हमने अलग अलग कीवर्ड्स का इस्तेमाल करके इस खबर को ढूँढने की कोशिश की | हमें २६ नवंबर २००८ को हेराल्ड द्वारा प्रकाशित खबर मिली | खबर हमें वेबसाइट के आर्काइव में मिली जिसके शीर्षक में लिखा गया है कि द हरे राम हरे कृष्णा संप्रदाय के रुसी सदस्य की मापुसा टैक्सी स्टैंड के बाहर एक पुलिस अधिकारी से हाथापाई हुई | इस खबर में हम इस घटना से संबंधित एक तस्वीर भी मिली |
इस शीर्षक को गूगल पर ढूंढने से हमें रेडिट के वेबसाइट पर एक यूजर द्वारा साझा इस घटना का खुलासा मिला | यूजर द्वारा लिखा गया है कि यह घटना २००८ की है, वह गोवा में उस समय मौजूद था जब यह घटना घटित हुई थी | इस लेखन के साथ यूजर ने यह भी लिखा है कि “मापुसा पुलिस स्टेशन के पास हरे राम हरे कृष्ण संप्रदाय के रूसी सदस्यों के एक समूह द्वारा धार्मिक मंत्रोच्चार ने मंगलवार को हिंसक रूप ले लिया, जब रूसी वहां के पुलिस के साथ भिड़ गए तब जनता ने भी हमला कर दिया | झड़पों में दो पुलिसकर्मी घायल हो गए और आठ रूसियों को दंगा करने और हमला करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है | सभी आठ आरोपियों के खिलाफ धारा १४३, १४५, १४७, १४९ और ३५३ आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया है | पीएसआई तुलसीदास धावस्कर मामले की जांच कर रहे हैं |”
इसके पश्चात हमें गोआं वौइस् आर्गेनाईजेशन के वेबसाइट पर भी यही खबर मिली जो हेराल्ड द्वारा दी गई थी |
निष्कर्ष: तथ्यों की जांच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | यह विडियो बंगाल का नहीं, बल्कि गोवा का है और यह घटना २००८ में हुई थी | यह विडियो लगभग ११ साल पुराना है और आज के समय के साथ कोई संबंध नहीं रखता |

Title:क्या बंगाल में इस्कॉन के सन्यासियो को बंगाल पुलिस ने इसलिए मारा क्योंकि वह भगवद गीता बेच रहे थे?
Fact Check By: Drabanti GhoshResult: False
