
२ मई २०१९ को अमित कुमार यादव नामक एक फेसबुक यूजर ने एक तस्वीर पोस्ट की | तस्वीर के ऊपर लिखा गया है कि “गौ भक्ति का जो ड्रामा करने वाले मोदी और भक्तों से एक सवाल, ईमानदारी से जवाब, गाय को काटना पाप है, लेकिन गौशाला के नाम पर चारदीवारी में कैद करके भूखी प्यासी महीनो तक तडफा तडफा कर मारना कौनसा पुन्य है ?”
इस दावें के साथ तीन तस्वीरों का कोलाज भी संलग्न किया गया है जिसमे हम मरे हुए गायों की लाशें देख सकते है | इस तस्वीर के माध्यम से यह दावा किया जा रहा है कि भारत एक ऐसा देश है जहाँ गायों को पूजा की जाती है और उनके रक्षा को एक मुद्दा बनाकर वोट मांगे जाते है | दावें अनुसार यह तस्वीर भारत की है जहाँ सैंकड़ो गायों की लाश देखी जा सकती है | फैक्ट चेक किये जाने तक यह तस्वीर लगभग ९००० प्रतिक्रियाएं प्राप्त कर चुकी थी |
गाय को हिंदू धर्म में एक पवित्र जानवर माना जाता है | भारत की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने पहले अपने चुनाव घोषणापत्रों में गोरक्षा को शामिल किया है | पार्टी के सदस्यों ने २०१९ में चुनावी प्रचार में इस मुद्दे पर अभियान चलाया है | तो क्या ऐसी हालातों के बीच भारत में सचमे इतने क्रूरता से गो-हत्या की जाती है? हमने सच्चाई जानने की कोशिश की |
संशोधन से पता चलता है कि..
जांच की शुरुवात हमने इस तस्वीर को अलग कर गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया | परिणाम से हमें पहली तस्वीर डेली नेशन के वेबसाइट पर मिली | इस खबर को ३ अक्तूबर २००९ को प्रकाशित किया गया है | तस्वीर के कैप्शन में लिखा गया है कि “एक ट्रक ने गुरुवार को अथी नदी में दफन के लिए गायों को उतार दिया | वध का इंतजार करते हुए केन्या मांस आयोग में सैकड़ों गायों की मौत हो गई है | फोटो- एबेल मोसिंगिसी” | इस खबर से हम स्पष्ट हो सकते है कि यह तस्वीर १० साल पुरानी है और यह घटना अफ्रीका के केन्या में हुई थी |
हमें यह तस्वीर ‘द ईस्ट अफ्रीकन’ की वेबसाइट पर भी मिली, जहाँ यह लिखा गया है कि यह तस्वीर केन्या की है |
दूसरी तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमने पाया कि रायटर्स ने इस तस्वीर को आपने सबसे बेहतरीन तस्वीर की सूचि के शामिल किया है | इस तस्वीर के शीर्षक में लिखा गया है कि “एक कार्यकर्ता १६ सितंबर, २००९ को राजधानी नैरोबी से ५० किलोमीटर (३१ मील) पूर्व में अथी नदी के पास केन्या मीट कमीशन (KMC) कारखाने के एक पैडकॉक में सूखाग्रस्त गायों के शवों के बीच से एक कमजोर गाय को उठाने की कोशिश करता है | किसान हाल ही में पुनर्जीवित केएमसी के लिए अपना रास्ता बना रहे हैं ताकि मांस के लिए अपने सूखे से पीड़ित पशुओं को बेचकर अपने नुकसान को कम किया जा सके | REUTERS / थॉमस मुकोया”
इसके पश्चात हमने तीसरी तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया तो परिणाम से हमें दिव्य मराठी द्वारा प्रकाशित खबर मिली | यह खबर ५ अगस्त २०१६ को प्रकाशित की गई थी | तस्वीर को इस्तेमाल करते हुए लिखा गया है कि यह घटना राजस्थान के जयपुर की है जहाँ इन गायों की मौत दलदल में फंसने की वजह से हुई है | यह घटना हिंगोनिया नामक एक गौशाला की है जहाँ दो महीने से गोबर नहीं उठाया गया था, जो बारिश के बाद कीचड़ में मिश्रित होकर एक दलदल तैयार हो गया था | इस दलदल में गाय अटककर मर जाती है |
निष्कर्ष: तथ्यों की जांच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | साझा की गई तस्वीरों में से दो तस्वीरें १० साल पहले केन्या में हुई घटना की है जब वे गाय वध का इंतजार करते हुए मर गई थी | तीसरी तस्वीर २०१६ की है जब जयपुर के गौशाला में गाय दलदल में फंसकर मर गई थी |

Title:क्या भारत में गौवंश को कैद मे भूखा प्यासा रख के मारा जाता है ?
Fact Check By: Drabanti ghoshResult: False
