किसानों द्वारा फेंके गए टमाटरों के वीडियो का किसान कानूनों के रद्द होने से कोई संबंध नहीं।

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यह वीडियो इस वर्ष मई महिने का है। लॉकडाऊन में टमाटरों की मांग कम होने की वजह से दाम कम मिलने पर किसानों ने कर्नाटक में ऐसे टमाटर फेंक दिए थे।

रास्ते पर टमाटर (Tomatoes) फेंकने वाले दो लोगों के वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है, दक्षिण भारत के इन किसानों को दलाल सही दाम नहीं दे रहे इसलिए वे टमाटर फेंक रहे है।

इस वीडियो के माध्यम से सूचित किया जा रहा है कि किसानों को अब कृषि कानूनों की अहमियत समझ में आएगी। बता दे कि पिछले हप्ते ही केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापिस लिया है।

वायरल हो रहे पोस्ट में लिखा है कि, “दक्षिण भारत में टमाटर का सही मूल्य दलाल लोग किसानों को नही दे रहे हैं, 75 पैसे प्रति किलो दे रहे हैं। इसलिए किसान लोग टमाटर सड़कों के किनारे फेक रहे है,, उत्तर भारत मे किल्लत मची है दलालों के कारण, मोदी जी का किसान कानून का महत्व अब सबको समझ आएगा।“

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अनुसंधान से पता चलता है कि…

वीडियो को ध्यान से देखने पर ‘एशियानेट न्यूज़’ का वॉटरमार्क नजर आता है। फिर हमने यूट्यूब पर कीवर्ड सर्च कर एशियानेट न्यूज़ द्वारा प्रसारित इस खबर की खोज की। 

इस वर्ष 15 मई को मलयालम भाषा के एशियानेट न्यूज ने इस वीडियो के बारे में खबर प्रसारित की थी कि लॉकडाउन के दौरान कर्नाटक के किसान संकट में है।

आर्काइव लिंक

खबर में बताया गया है कि दो रुपये प्रति किलो की दर पर सहमति होने के बावजूद बिचौलियों ने इन किसानों को केवल 75 पैसे प्रति किलो का भुगतान दिया. इससे नाराज इन किसानों ने सारे टमाटर रास्ते पर ही फेक दिए। यह वीडियो कोविड-19 की दूसरे लहर में लगे प्रतिबंध के दौरान का है।

आईबी टाइम्स के 21 मई को प्रकाशित समाचार लेख के अनुसार, मार्च से अगस्त कर्नाटक के कोलार में टमाटर का मौसम होता है जो एशिया में टमाटर का सबसे बड़ा उत्पादक और आपूर्तिकर्ता है। लॉकडाउन के कारण शादियों जैसे बड़े आयोजन नहीं हुये, होटल भी अधिक आपूर्ति की मांग नहीं कर रहे थे। इसलिए टमाटरों का इतना स्टॉक बर्बाद हो गया। इस वजह से हताश होकर किसान टमाटर फेंक रहे थे। टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी द्वारा इस वर्ष 3 अगस्त को कर्नाटक के किसानों खराब स्थिति के बारे में लिखा है।

निष्कर्ष

इससे हम समझ सकते है कि इस वीडियो में जो किसान टमाटर फेंक रहे है उसकी वजह लॉकडाउन के कारण टमाटरों की बिकरी न होना है। इसका तीन कृषि कानूनों से कोई लेना देना नहीं। इस वीडियो के गलत संदर्भ के साथ वायरल किया जा रहा है।

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Title:किसानों द्वारा फेंके गए टमाटरों के वीडियो का किसान कानूनों के रद्द होने से कोई संबंध नहीं।

Fact Check By: Rashi Jain 

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