
सोशल मीडिया पर कुछ पोस्टों के माध्यम से दावा किया जा रहा है कि कोरोनावायरस पीड़ित के अग्नि द्वारा किये अंतिम संस्कार के दौरान धुएं और राख से कोरोनावायरस संक्रमण फैल सकता है |

केरल के कोट्टायम जिले के एक नगरपालिका क्षेत्र में एक शव को लेकर काफी विरोध प्रदर्शन हुआ, ये तब हुआ जब मुत्तबलम शहर के स्थानीय निवासियों ने २६ जुलाई को एक कोरोनावायरस से पीड़ित व्यक्ति का दाह संस्कार रोक दिया था | मृतक चुंगम के मूल निवासी थे जिनकी २५ जुलाई को कोट्टायम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोरोनावायरस संक्रमण से मृत्यु हो गयी थी, जिसके बाद श्मशान के प्रवेश द्वार पर स्थानीय निवासियों द्वारा उनके शव को अवरुद्ध कर वहाँ उनके अंतिम संस्कार को लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ, वहां मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों से स्पष्टीकरण के बावजूद, वहां मौजूद स्थानीय नागरिकों ने शमशान के प्रवेश द्वार से हटने से इनकार कर दिया | स्वास्थ्य अधिकारियों ने सूचित किया था कि कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार मृतक के शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा |
निवासियों की मांग के समर्थन में एक भाजपा पार्षद भी सामने आए | भाजपा पार्षद टीएन हरिकुमार के नेतृत्व में, निवासियों ने घंटों विरोध किया और जिला प्रशासन को पीछे हटने के लिए मजबूर किया | भाजपा पार्षद टीएन हरिकुमार ने दावा किया कि कोरोनावायरस से मृत व्यक्ति को जलाने के बाद धुएं और राख से कोरोनावायरस फैल जाएगा | उन्होंने श्मशान में कोरोनावायरस पीड़ित के अंतिम संस्कार की अनुमति देने से इनकार कर दिया | भाजपा नेता और स्थानीय लोगों ने मृत व्यक्ति के शरीर को दफ़नाने की सलाह दी | केरल के वित्त मंत्री,थॉमस इसाक ने इस घटना को लेकर ट्वीट एक भी किया था |
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पुलिस ने स्थानीय भाजपा पार्षद और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा २६९ के तहत मामला दर्ज किया है | भाजपा पार्षद को निवासियों को उकसाने के लिए दोषी ठहराया गया है |
अनुसंधान से पता चलता है कि…
जाँच की शुरुवात हमने उपरोक्त दावे से संबंधित कीवर्ड्स सर्च करने से किया, जिसके परिणाम से हमें पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रकाशित एडवाइजरी मिली | बंगाल में ममता बनर्जी प्रशासन ने श्मशान के आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले निवासियों द्वारा विरोध प्रदर्शनों के बाद यह एडवाइजरी जारी की थी | बंगाल स्वास्थ्य विभाग के सलाहकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के मार्गदर्शन (guidance) और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों (guideline) से अवगत कराया और कहा कि कोविड-१९ से मरने वाले व्यक्तियों के शवों के संपर्क में आने से लोगों के संक्रमित होने का कोई सबूत नहीं है |
एडवाइजरी के अनुसार:
- कोरोनावायरस द्रोप्लेट या बूंद के माध्यम से फैलता है |
- शव जलाने के दौरान उत्पन्न तापमान ८०० से १००० डिग्री सेल्सियस है, जिसके तहत, किसी भी हालत में, वायरस व्यवहार्य नहीं रह सकता है |
- इस बात का कोई सबूत नहीं था कि चिता से निकलने वाला धुआं कोरोनावायरस फ़ैलाने का कारण बन सकता है |
- यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि कोविड-१९ पॉजिटिव व्यक्तियों के शवों के परिवहन और डिस्पोजल के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है तो दाह संस्कार के परिणामस्वरूप शव से फैलने वाले राख और धुएं से किसी को भी कोरोनावायरस संक्रमण का कोई खतरा नहीं है |
तद्पश्चात हमने विश्व स्वास्थ्य संगठन के वेबसाइट पर जाकर कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों के निपटान ने बारें में ढूँढा | कोविड-१९ पीड़ितों के शरीर को संभालने पर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी मार्गदर्शन के अनुसार, रक्तस्रावी बुखार (hemorrhagic fevers) (जैसे इबोला, मारबर्ग) और कोलेरा के मामलों को छोड़कर, आमतौर पर मृत शरीर संक्रामक नहीं होते हैं | केवल महामारी इन्फ्लूएंजा वाले रोगियों के फेफड़े, यदि शव परीक्षा के दौरान अनुचित तरीके से संभाला जाता है, तो संक्रामक हो सकता है | अन्यथा, कैवडर्स (शव) बीमारी संचारित नहीं करते हैं | कोरोनावायरस से मृत व्यक्तियों के शवों के संपर्क में आने से संक्रमित होने का कोई सबूत नहीं है |
WHO आगे कहता है कि कैडेवर (शव) में ऑरिफिस से लीक होने वाली किसी भी बॉडी फ्लुइड को समाहित किया जाना चाहिए | शवगृह में स्थानांतरित करने से पहले शरीर को कीटाणुरहित करने की आवश्यकता नहीं है | यह एक आम मिथक है, कि जो लोग छूने से फैलने वाले बीमारी से मर गए हैं उनका अंतिम संस्कार जला के किया जाना चाहिए, लेकिन यह सच नहीं है | श्मशान में अंतिम संस्कार का रीती सांस्कृतिक पसंद और उपलब्ध संसाधनों से संबंधित है |
COVID -19 से मरने वाले लोगों को या तो दफनाया जा सकता है या फिर जलाया किया जा सकता है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ ने यह भी उल्लेख किया है कि जो कर्मचारी नियमित रूप से लाशों को संभालते हैं, उनमें तुबेर्कोलोसिस, ब्लडबोर्न वायरस (जैसे हेपेटाइटिस बी और सी और एचआईवी) और गस्त्रोइन्तेस्तिनल इन्फेक्शन (जैसे कोलेरा, ई. कोलाई, हेपेटाइटिस ए, रोटावायरस डायरिया, साल्मोनेलोसिस, शिगेलोसिस और टाइफाइड / पैराटायफाइड बुखार) का जोखिम हो सकता है |
इस बारें में विशेषज्ञ क्या कहते है ?
डॉ शाहिद जमील, एक वायरोलॉजिस्ट और वेलकम ट्रस्ट-डीबीटी इंडिया एलायंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, ने समझाया कि एक शव तभी संक्रामक हो सकता है जब शरीर में तरल पदार्थ उपलब्ध हों, जो SARS-CoV-2 वायरस को प्रसारित कर सकता है जिससे COVID-19 होता है | उनके अनुसार एक मृत शरीर में मरने के बाद भी तरल पदार्थ बचता हैं, लार रहटी है, और उसमे वास्तव में वायरस रहता है | शरीर नही बल्कि उसमे मौजूद तरल पदार्थ इन्फेक्शन का कारण है और इसलिए COVID -19 पीड़ितों के शवों को या तो दफन किया जाना चाहिए या देखभाल के साथ अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए |
श्मशान घाट से निकलने वाले धुएं के कारण कोरोनोवायरस के फैलने की आशंका पर डॉ शाहिद ने यह भी कहा कि “यह दिखाने के लिए अध्ययन किए जाते हैं कि वायरस एक मिनट में व ७० डिग्री में नष्ट हो जाता है। जब आप शरीर को जला रहे होते हैं, तो अग्नि सर्वोत्तम तापमान पर शरीर को तुरंत नष्ट कर देती है।”
सरकारी राजिंदरा अस्पताल पटियाला के वरिष्ठ फॉरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विशेषज्ञ डॉ डीएस भुल्लर के अनुसार, “सभी आवश्यक प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है | इसलिए, मृत व्यक्ति के शरीर से कोरोनावायरस फैलने का कोई चांस नही है |”
निष्कर्ष: तथ्यों की जाँच के पश्चात हमने उपरोक्त पोस्ट को गलत पाया है | कोरोनावायरस पीड़ित के अंतिम संस्कार के दौरान उत्पन्न हुये धुएं व राख से कोरोनावायरस नहीं फैलता है |

Title:क्या कोरोनावायरस पीड़ित को जलाने से उत्पन्न धुएं एवम् राख से कोरोनावायरस फैल सकता है ?
Fact Check By: Aavya RayResult: False
