जाति देखकर रोका शहीद का अंतिम संस्कार प्रशासन की दखल से सुलझा मामला – क्या यह सच है?

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१४ फरवरी २०१९ को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद फेसबुक पर आजतक द्वारा २७ जून २०१६ को प्रसारित की गई एक खबर हाल में काफ़ी साझा की जा रही है | पोस्ट की हैडलाइन में यह कहा गया है कि “जाति को देखकर रोका शहीद का अंतिम संस्कार, प्रशासन की दखल से सुलझा मामला” | यह खबर पुरानी जरुर है, लेकिन पुलवामा की घटना से जोड़कर उसे फिर से प्रसारित किया जाना, इस खबर के सत्यता की पड़ताल के लिए प्रेरित करता है |
आर्काइव लिंक

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क्या है सच?
साझा किये गए पोस्ट की जांच करने के पश्चात हमनें पाया कि आजतक ने २७ जून २०१६ को यह खबर प्रसारित की थी | खबर में यह कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर के पंपोर में सीआरपीएफ पर हुए हमले में शहीद जवान वीर सिंह के अंतिम संस्कार में उनकी जाति को लेकर हंगामा हो गया | उत्तर प्रदेश में उनके पैतृक गांव, शिकोहाबाद जिला फ़िरोज़ाबाद के सार्वजनिक जमीन पर शहीद जवान वीर सिंह के अंतिम संस्कार के लिए इजाजत देने से ऊंची जाती के लोगों ने इनकार कर दिया | उन लोगों ने जवान वीर सिंह की नट जाति को उनके मना करने की वजह बताई | मामले की सुचना मिलने पर स्थानीय प्रशासन को दखल देना पड़ा | जिला अधिकारी के समझाने के पश्चात गांव वाले सहमत हुए व उसके बाद १०x १० मीटर की जमीन वीर सिंह के अंतिम संस्कार के लिए दी गई | इस खबर को इस तरीके से साझा किया जा रहा है जैसे की पुलवामा हमले के शहीद का अंतिम संस्कार रोका गया हो, जबकि जवान वीर सिंह वाली यह खबर पुरानी है |

इस खबर को कई मीडिया संगठनों ने प्रकाशित किया था |

Times of India | आर्काइव लिंक | Tahalka |  DNAindia

निष्कर्ष: संशोधन के पश्चात हमने २७ जून २०१६ को आजतक द्वारा प्रसारित खबर को सच पाया है | इस खबर को पुलवामा आतंकी हमले के संदर्भ में अब साझा किया जा रहा है, परंतु इस घटना का पुलवामा आतंकी हमले के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है | यह एक पुरानी खबर है|

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Title:जाति देखकर रोका शहीद का अंतिम संस्कार प्रशासन की दखल से सुलझा मामला – क्या यह सच है?

Fact Check By: Drabanti Ghosh 

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