
२० नवम्बर २०१९ को फेसबुक पर ‘भारत गौरव’ द्वारा की गई एक पोस्ट में एक तस्वीर साझा की गयी है | तस्वीर में एक युवती ने विरोध का एक पोस्टर पकड़ा हुआ है, जिसमें बहुत ही खराब हिंदी भाषा का प्रयोग किया गया है – “पहलि इन्त्रन्श पाष क्रो फीर जानू पर वागबाष क्रो” | पोस्ट के विवरण में लिखा है कि, “ऐसी भाषा देख कर तो JNU को तत्काल सील कर देना चाहिए.. |” इस पोस्ट में यह दावा किया जा रहा है कि – ‘जेएनयु विरोध प्रदर्शन के बैनर में बहुत ही ख़राब हिंदी में लिखा गया है, जिसके ज़रिये जेएनयू में दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठायें जा रहे है |’ क्या सच में ऐसा है ? आइये जानते है इस पोस्ट के दावे की सच्चाई |
सोशल मीडिया पर प्रचलित कथन:
अनुसंधान से पता चलता है कि…
इस दावे के ‘comments’ के हिस्से में एक और सामान दिखने वाली तस्वीर साझा कर Nishant Gupta नामक एक यूजर ने लिखा है कि उनके द्वारा साझा तस्वीर असली है |
इस पर हमने सबसे पहले साझा तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च में ढूंढा, तो हमें ‘DailyBihar’ नामक एक समाचार वेबसाइट पर यह तस्वीर मिली | १९ नवम्बर २०१९ को ‘DailyBihar’ द्वारा प्रसारित ख़बर के मुताबिक, जेएनयु में फी वृद्धि के विषय पर वहाँ के छात्रों ने विरोध किया | इसी विरोध के दौरान, सारे छात्र-छात्राओं में से एक छात्रा ने यह बैनर पकड़ा था | इस बैनर में लिखा था कि, “तोड़ देंगे नोटों कि जंजीरे जो खीचेंगी शिीक्षा पे लकिरें |” पूरी ख़बर को पढने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें |
इसके अलावा ‘NewsLoose’ नामक एक वेबसाइट पर १४ नवम्बर २०१९ को प्रकाशित एक ख़बर में भी यह तस्वीर साझा की गयी थी, जिसमें लिखा था कि जो छात्र हिंदी में शोध कर रही है, उसने अपने हाथ में पकड़े बैनर पर हिंदी की वर्तनी में कई गलतियां की है | यह तस्वीर सोशल मीडिया पर बहुत वाइरल भी हो रही है | इस प्रसारित ख़बर में भी हाथ में पकड़े बैनर पर “तोड़ देंगे नोटों कि जंजीरे जो खीचेंगी शिीक्षा पे लकिरें |” लिखा हुआ था | मात्राओं में गलतियां करने के वजह से, इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर काफ़ी ट्रोल किया गया व जेएनयू में दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठायें गए | पूरी ख़बर पढने के लिया नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें |
छात्रा द्वारा लिखे गए विरोध के बैनर पर असलियत में “तोड़ देंगे नोटों की जंज़ीरें, जो खीचेंगीं शिक्षा पर लकीरें |” लिखा होना चाहिए था | मगर यह बात स्पष्ट होती है कि, “पहलि इन्त्रन्श पाष क्रो फीर जानू पर वागबाष क्रो” नहीं लिखा हुआ है |
इस अनुसंधान से यह बात स्पष्ट होती है कि उपरोक्त पोस्ट में साझा तस्वीर असली नहीं है | जेएनयू में विरोध की असली तस्वीर को फ़ोटोशॉप की मदद से बदलकर गलत विवरण के साथ लोगों को भ्रमित करने के उद्देश्य से फैलाया जा रहा है |
जांच का परिणाम : उपरोक्त पोस्ट मे किया गया दावा “जेएनयु में विरोध प्रदर्शन में बैनर में बहुत ही ख़राब हिंदी में लिखा गया है, जिसके ज़रिये जेएनयू में दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठायें जा रहे है |” ग़लत है |
