
३ जून २०१९ को फेसबुक पर ‘Mallick Jilani’ नामक एक यूजर ने एक पोस्ट साझा किया है | पोस्ट में एक विडियो दिया गया है | विडियो में पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों की बर्बरता से पिटाई की जा रही है | पुरुष पुलिस छात्रा जैसी दिखने वाली महिलाओं को मार रहे है | पोस्ट के विवरण में लिखा है –
कल 1 जून को गोरखपुर में शिक्षामित्रों के अच्छे दिन आ गए
कल तक भाजपा का गुणगान कर रहे थे आज उसी भाजपा सरकार ने सारा नशा उतार दिया
क्योंकि भाजपा अच्छी तरह जानती है वह जनता के वोटों की सरकार नहीं है ईवीएम के द्वारा चुनी हुई सरकार है इसलिए कितना भी जनता को मारे पीटे क्या फर्क पड़ता है क्योंकि उसे जनता से नहीं ईवीएम से वोट चाहिए
इस पोस्ट द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि १ जून २०१९ को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में शिक्षामित्रों की पुलिस ने बर्बरता से पिटाई कर दी | इस तरह की पुलिस बर्बरता का मामला मीडिया से छुपा हो ऐसा मुमकिन नहीं | क्योंकि उस दिन या दुसरे दिन भी इस घटना की कोई खबर किसी समाचार चैनल या अख़बारों में दिखाई नहीं दी | तो आइये जानते है इस विडियो व दावों की सच्चाई |
संशोधन से पता चलता है कि…
हमने सबसे पहले पोस्ट में साझा विडियो को InVid टूल में देकर छोटे छोटे फ्रेम्स में तोडा | इसके बाद इन टुकड़ों को रिवर्स इमेज सर्च किया तो एक टुकड़े के बिंग द्वारा दिखाए परिणाम आप नीचे देख सकते है |
इस परिणाम से हमें ‘डेक्कन क्रोनिकल’ द्वारा १ फरवरी २०१६ को प्रकाशित एक खबर मिली | इस खबर में उपरोक्त पोस्ट के विडियो के वही स्टील फोटो का इस्तेमाल किया गया है, जो हमने रिवर्स इमेज के लिए दिया था | खबर में कहा गया है कि, हैदराबाद यूनिवर्सिटी के दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद आरएसएस के दिल्ली स्थित हेड ऑफिस के सामने प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस ने किये लाठीचार्ज का दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने निषेध किया | खबर में यह भी कहा गया है कि, यह विडियो आम आदमी पार्टी द्वारा वायरल किया गया था |
हमें उपरोक्त पोस्ट में साझा विडियो के स्क्रीनशॉट के यांडेक्स रिवर्स इमेज सर्च से जो परिणाम मिले वह आप नीचे देख सकते है |
इस सर्च परिणाम से हमें ‘Firstpost’ द्वारा १ फरवरी २०१६ को प्रसारित एक खबर मिली | इस खबर में भी विडियो के उसी स्क्रीनशॉट का इस्तेमाल किया गया है, जो हमने रिवर्स इमेज सर्च के लिए दिया था | खबर में लिखा है कि, छात्रों पर हुए लाठीचार्ज के दो दिन बाद छात्र यूनियनों ने कहा है कि, वह अपना आन्दोलन और भी तेज करेंगे |
यह जानकारी मिलने के बाद हमने मूल विडियो के लिए यू-ट्यूब पर ‘lathicharge on students protesting for rohit vemula’ इन की वर्ड्स के साथ सर्च किया तो हमें विभिन्न टीवी चैनेलों द्वारा अपलोड इसी घटना के वही विडियो खबर के साथ मिले, जो उपरोक्त पोस्ट में साझा किया गया है |
हमें ‘इंडिया टीवी’ द्वारा १ फरवरी २०१६ को अपलोड विडियो मिला, जो आप नीचे देख सकते है |
इसके अलावा हमें ‘NDTV’ द्वारा १ फरवरी २०१६ को ही अपलोड विडियो मिला, जो आप नीचे देख सकते है |
यह दोनों विडियो देखने के बाद तथा उपरोक्त संशोधन से मिली जानकारी के आधार पर यह साफ़ तौर पर कहा जा सकता है कि, उपरोक्त पोस्ट में साझा विडियो गोरखपुर का नहीं बल्कि राजधानी दिल्ली का है | साथ ही यह विडियो १ जून २०१९ का नहीं, बल्कि ३० जनवरी २०१६ का है | इसके अलावा यह बात भी साबित हो जाती है कि, यह विडियो पुलिस द्वारा शिक्षामित्रों पर किये गए लाठीचार्ज का नहीं, बल्कि रोहित वेमुला को न्याय दिलाने के लिए आरएसएस के दिल्ली मुख्यालय के सामने धरना दे रहे छात्रों पर किये गए लाठीचार्ज का है |
नीचे दोनों विडियो ती तुलना को आप देख सकते है |
जांच का परिणाम : इस संशोधन से यह स्पष्ट होता है कि, उपरोक्त पोस्ट में विडियो के साथ किया गया दावा कि, “कल 1 जून को गोरखपुर में शिक्षामित्रों के अच्छे दिन आ गए
कल तक भाजपा का गुणगान कर रहे थे आज उसी भाजपा सरकार ने सारा नशा उतार दिया |” सरासर गलत है | विडियो २०१६ का है, तथा रोहित वेमुला को न्याय दिलाने के लिए आरएसएस के दिल्ली मुख्यालय के सामने धरना दे रहे छात्रों पर किये गए लाठीचार्ज का है |

Title:क्या यह विडियो १ जून को गोरखपुर में शिक्षाकर्मियों पर हुए पुलिस लाठीचार्ज का है ?
Fact Check By: Rajesh PillewarResult: False
